कोरोना: जिले में बढ़ रहा है सामुदायिक संक्रमण का खतरा

फतेहगंज पश्चिमी, बरेली। जिले में कोविड-19 ने सामुदायिक संक्रमण का का रूप ले लिया है और अब यह दिन पर दिन तेजी पकड़ता जा रहा है गुरुवार को कोरोना मरीजों की संख्या में आया उछाल खतरनाक हालातों की ओर संकेत दे रहा है। संक्रमण के तीसरे चरण में प्रवेश कर चुके बरेली में हालातों पर काबू नहीं पाया गया तो जल्द ही अगले चरण में जिला महामारी की चपेट में भी आ सकता है। बीते दिनों से बरेली में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। साथ ही मौत का आंकड़ा भी उसी तेजी से बढ़ रहा है। बरेली में अब तक कोरोना के 1276 केस पॉजिटिव आ चुके हैं। जिनमें 526 लोग ठीक हो कर घर जा चुके हैं। वर्तमान में कोरोना के 705 केस सक्रिय हैं। इसके साथ ही जिले में 45 कोरोना संक्रमितो की मौत भी हो चुकी है। मरने वालों में पांच संक्रमित गैर जनपद के हैं। उनकी मौत बरेली में ही इलाज के दौरान ही हुई है। स्वास्थ्य विभाग गैर जनपद कि मृतकों की संख्या बरेली में शामिल नहीं कर रहा है। जिससे आधिकारिक रूप में मृतकों की संख्या 40 बताई जा रही है। गुरुवार को एक दिन में 170 लोग कोरोना संक्रमित मिले। आईवीआरआई, एंटीजन टेस्ट, प्राइवेट लैब और ट्रूनेट की जांच रिपोर्ट में क्रमश: 132, 08, 12 और 18 केस पॉजिटिव पाए गए। गुरुवार को ही बरेली में छह कोरोना संक्रमित की मौत हो गई।
क्या है सामुदायिक संक्रमण
जब कोई अज्ञात वायरस या बीमारी समुदाय में इस कदर फैल जाए कि यह पता ही न चले कौन किस वजह से संक्रमित हुआ है। उसे सामुदायिक संक्रमण कहते हैं। संक्रमित होने वाला मरीज किस अन्य मरीज के संपर्क में आया था। जब यह पता लगाना नामुमकिन हो जाए। वही स्थिति सामुदायिक संक्रमण की होती है।
संक्रमण फैलने के चार चरण, चौथा चरण सबसे खतरनाक
किसी भी अज्ञात वायरस या बीमारी के फैलने के चार चरण माने जाते हैं। कोरोना वायरस के मामले मे भी यह नियम लागू होता है। इसमें चौथा चरण सबसे खतरनाक है। किसी भी वायरस के फैलने के पहले चरण में वायरस कहां से फैला इसकी जानकारी होती है। ट्रैवल हिस्ट्री का पता लगाकर इससे ज्यादा लोगों में फैलने से रोका जा सकता है। जब संक्रमित व्यक्ति से वायरस उसके परिवार या परिजनों तक पहुंचने लगता है। वह दूसरे चरण में आता है। ऐसे में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग बहुत जरूरी होती है। इस स्थिति में लॉकडाउन, कंटेंनमेंटजोन बनाकर वायरस को फैलने से रोका जा सकता है। इसे स्थानीय संक्रमण के नाम से भी जाना जाता है। तीसरा चरण सामुदायिक संक्रमण के नाम से जाना जाता है। यह बेहद खतरनाक स्थिति है क्योंकि इसमें वायरस अचानक से बहुत तेजी से फैलता है। संक्रमण के स्रोत के बारे में कोई जानकारी नहीं होती है। स्रोत के बारे में कोई जानकारी न होने पर इसे ट्रेस कर पाना असंभव हो जाता है। चौथा चरण किसी भी वायरस का बीमारी के संक्रमण का अंतिम चरण जो सबसे खतरनाक है। इस अवस्था में बीमारी संबंधित क्षेत्र में महामारी का रूप ले लेती है।
रोस्टर तो हटवा लिया लेकिन भूले दो गज की दूरी
जिले में संक्रमण पर शिकंजा कसने की मंशा से दुकानों को खोले जाने का रोस्टर लागू किया गया था। जिसमें अलग-अलग दिशा की दुकानों को अलग-अलग दिन खोले जाने की व्यवस्था की गई थी। इससे पहले लॉकडाउन में दुकानें पूरी तरह बंद रही थी। जिससे व्यापारियों का कारोबार ठप होने के कगार पर पहुंच चुका था। रोस्टर के बाद महीने में 10 या 12 दिन ही दुकान खोलने का मौका मिल पा रहा था। व्यापारियों की गुहार पर डीएम नितीश कुमार ने बीते सोमवार से रोस्टर खत्म कर दिया। तब से हफ्ते में लॉकडाउन के दो दिन छोड़कर पांचों दिन दुकान खोलने की इजाजत तो मिल गई लेकिन सामाजिक दूरी मेंटेन रखने की शर्त का दुकानदारों और ग्राहकों ने पहले दिन से ही उल्लंघन करना शुरू कर दिया। उधर त्योहारों का सीजन होने के कारण बाजारों में भीड़ भी बढ़ रही है। भीड़ में दो गज की दूरी का ध्यान कोई भी नहीं रख पा रहा है। इससे भी सामुदायिक संक्रमण बढ़ने की एक वजह माना जा रहा है।
तो राशन व शराब की दुकानों से तो नहीं है खतरा
दो दिवसीय साप्ताहिक बंदी घोषणा के बाद पहला लॉकडाउन 10 और 11 जुलाई को लगाया गया था। उसके बाद दूसरा पिछले शुक्रवार व शनिवार को लगाया गया। दोनों लॉकडाउन में शराब की दुकान खोले जाने पर पाबंदी थी। तीसरे राउंड से पहले सरकार की ओर से लॉकडाउन में भी राशन और शराब की दुकानें खोलने की छूट दे दी गई है। ऐसे में क्या यह माना जाए कि राशन और शराब की दुकानें खोले जाने से संक्रमण फैलने का खतरा7 नहीं है। ऐसे में पुलिस भी लॉकडाउन ढंग से पालन नहीं करा पा रही है जबकि शराब की दुकान पर सरकार की गाइडलाइन का पालन शुरू से नहीं किया जा रहा है।।

बरेली से कपिल यादव

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