बरेली। जिले में कोरोना संक्रमितों रफ्तार हर दिन धीमी पड़ती जा रही है। कोरोना वायरस के खतरे से कर्मचारी इस कदर भयभीत हैं कि वे ऑफिस बुलाने के लिए बाद भी आने से कतरा रहे है। सरकार ने 33 फीसदी स्टाफ को बुलाने के लिए कहा है लेकिन 20 फीसदी ही कर्मचारी नही पहुंच रहे है। जनता से जुड़े कार्यो पर अभी भी पाबंदी लगी हुई है। यदि कोई फरियादी किसी कर्मचारी तक किसी तरह पहुंच जाता है तो उस फरियादी को कर्मचारी घृणा की दृष्टि से देखते है और बाहर जाने के लिए चलता कर देते है। इसकी जानकारी विभागीय अफसरों को भी भली भांति है। इसके बाद भी कर्मचारियों पर लगाम लगाना उचित नहीं समझ रहे है। सबसे ज्यादा दिक्कत नगर निगम और तहसील सदर में देखी जा रही है। अप्रैल के अंत और मई की शुरूआत मे कोरोना संक्रमण चरम पर था। हर दिन बढ़ते संक्रमितों को देखते हुए सरकार ने लॉकडाउन के साथ सरकारी कर्मचारियों को वर्क फ्राम होम की सुविधा दी थी जिसें 33 फीसदी कर्मचारियों को आने की छूट थी। कोरोना की रफ्तार काफी थमने के बाद भी कर्मचारियों का रवैया जस की तस बना हुआ है। कर्मचारी आने के बजाए फोन पर ही बुखार या अन्य कोई बहाना बनाकर अपने विभागाध्यक्षों को अवगत करवाकर अवकाश पर रहते है। आपको बता दें कि पिछले दिनोंं सीडीओ ने कई विभागों में निरीक्षण के दौरान कर्मचारियों के गैर हाजिर मिलने के बाद शेडयूल से मिलान कर कार्रवाई की चेतावनी दी थी। इसके बाद भी कर्मचारी कार्रवाई की चिंता किए बगैर ही मनमानी करते देखे जा रहे है। विकास भवन के समाज कल्याण विभाग में सीडीओ की सख्ती के बाद भी कर्मचारियों के दफ्तर में आने का रवैया पूर्व की भांति ही है। शासन ने वर्क फ्राम होम के बहाने 33 फीसदी के बजाए अभी भी 20 फीसदी कर्मचारी ही दफ्तर में आ रहे है। फरियादी सरकारी विभागों के दफ्तरों पर चक्कर काट रहे हैं लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। कटरा चांद खां में रहने वाली महिला ने बताया कि पति की मौत के बाद पारिवारिक लाभ के लिए आनलाइन आवेदन किया था लेखपाल की सर्वे रिपोर्ट लगने के बाद भी समाज कल्याण विभाग में तैनात राजीव बाबू कभी आता है कभी नहीं आता है टहलाता रहता है। कर्मचारियों के दफ्तर मे न आने से आधा दर्जन से ज्यादा फरियादियों को बैरंग लौटना पड़ गया।।
बरेली से कपिल यादव