कोरोना कर्फ्यू से टूट रही आर्थिक व्यवस्था की कमर, पहुंचाया भुखमरी की कगार पर

बरेली। कोरोना महामारी का असर हर क्षेत्र पर पड़ा है लेकिन इस महामारी की मार सबसे ज्यादा व्यापारी झेल रहे है। खासकर छोटे-मोटे काम कर अपने परिवार का पेट पालने वाले व्यापारी ज्यादा परेशान रहे है। घर का खर्च चलाना भी उनके लिए बड़ी परेशानी का सबब बन गया है। दो माह से कोरोना की दूसरी लहर ने सब कुछ चौपट कर दिया। दूसरी लहर में सरकार ने कर्फ्यू लगाया तो व्यापारियों की परेशानी बढ़ गई और आर्थिक व्यवस्था की कमर टूट गई। कोरोना कर्फ्यू में एक वर्ग ऐसा है जिसने जमकर कमाई की तो एक बड़ा तबका ऐसा भी है जो भुखमरी की कगार पर पहुंच चुका है। अब इस तबके को सरकार से कोरोना कर्फ्यू आगे न बढ़ाने की उम्मीद है। वही इस तबके को केवल इतनी राहत की दरकार है कि कोरोना से भी लड़ाई जारी रहे मगर सरकार ऐसे लोगों को कुछ इस तरह की रियायत तो दे ही दे कि उनकी आजीविका चलती रहे। ऐसे लोगों को इतनी रियायत की दरकार है कि कम से कम घरों के ठंडे पड़े चूल्हे तो जल सके। कोरोना कर्फ्यू में किराना और मेडिकल स्टोरों को छोड़कर कपड़ों की दुकान, होटल या रेस्टोरेंट पर काम करने वाले लोगों के आगे आर्थिक संकट गहराता जा रहा है। वही सब्जी-फलों के ठेला वालों को छोड़कर अन्य सामान की फेरी लगाने वाले एक बड़े तबके के आगे दो जून की रोटी का संकट खड़ा हो गया है। ठेलों पर कबाड़ खरीदने व बेचने का काम करने वाले कुछ लोग तो उन्हीं ठेलों पर घर के बुजुर्ग या लाचार को बैठाकर घर-घर भीख मांग रहे है। चश्में की दुकानें, साइकिल की दुकानें, बाइक व कार के शोरूमों पर काम करने वाले कर्मचारी भी भुखमरी की कगार पर पहुंच चुके हैं। सीए, आर्किटेक्टों के यहां से भी स्टॉफ को निकाल दिया गया है। प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने व नौकरी करने वालों को नौकरी से हाथ धोना पड़ गया है। इसी तरह का एक बड़ा तबका है जो इतनी रियायत की दरकार रखता है कि उनके घर में चूल्हा जलने की व्यवस्था तो हो ही जाए। कोरोना कर्फ्यू में आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सभी प्रतिष्ठान व गतिविधियों पर पाबंदी रही। इसके बावजूद तमाम गतिविधियां बिना अनुमति भी जारी रहीं। पान-गुटखे की दुकानें खुलती रहीं तो मिठाई की दुकानें दूध और ब्रेड आगे रखकर खुलती रहीं। तमाम रेस्टोरेंट भी बिना अनुमति के ही खुलते रहे। ऐमजॉन व फ्लिप कार्ड के गोदाम व ऑफिस भी खुलते रहे। शहर के रामपुर गार्डन, जनकपुरी, राजेन्द्र नगर, बदायूं रोड पर कोचिंग सेंटरों का संचालन जारी रहा। फल-सब्जी के ठेले वालों को गलियों में बिक्री करने की अनुमति थी मगर शहर की मुख्य बाजारों व सड़कों पर ठेले लग गए। कोरोना कर्फ्यू में सरकारी दफ्तरों को खोलने की अनुमति रही। मगर कर्मचारी कोरोना के नाम पर मौज मारते रहे। सरकारी के साथ ही प्राइवेट अस्पतालों के खुलने की अनुमति दी गई तो प्राइवेट अस्पताल वालों ने लूट मचा डाली। किराना की दुकानों को निर्धारित समय तक खोलने की अनुमति दी गई तो वह अधखुले शटर से दिन-दिन भर सामान बेचते रहे। जरूरत की चीजों के दाम कोरोना कर्फ्यू के नाम से बढ़ा दिए गए थे। सभी बैंकों, मेडिकल स्टोरों, कोरियर कंपनियों, सब्जी की दुकानें, शराब की दुकानें, पेट्रोल पम्प, कृषि यंत्र, कीटनाशक, खाद, पशु आहार, दूध की दुकानों को खोलने की अनुमति के चलते इन कामों से जुड़े लोगों को कोरोना कर्फ्यू से कोई संकट महसूस नहीं हुआ।।

बरेली से कपिल यादव

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

किसी भी समाचार से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है।समाचार का पूर्ण उत्तरदायित्व लेखक का ही होगा। विवाद की स्थिति में न्याय क्षेत्र बरेली होगा।