मनिहारी का गंगा घाट: नमामी गंगे सिर्फ जुमला,नही बदली चार साल में हालत

पूर्णिया/बिहार- सत्ता का लालच इंसान को कुछ भी कहने और करने को मजबूर कर देती है। राजनीति में आप कुछ भी कह दीजिये लोग उसे सहज और आसानी से भूल जाते है। क्यूंकि जनता भी जानती है कि नेता जी के द्वारा दिए जा रहे भाषण में कोई सत्यता रहती नही है। राजनीतिक मंच से सवार हो कर कोई भी नेता चाहे वो किसी भी पार्टी का हो या फिर निर्दलीय कुछ भी कहने को स्वतंत्र है। और अपने देश के कानून ने भी इसकी पूरी आजादी दे रखी हैं। आप जितना लोगो को झूठ कहेंगे और जब तक जनता इस झूठ के भरोसे अपना अमूल्य वोट देते रहेंगी देश की राजनीति में चमक दिखता रहेगा ।
बिहार झारखण्ड को कटिहार के मनिहारी और झारखण्ड के साहेबगंज से जोड़ने वाली मनिहारी गंगा तट की अगर बात करें तो यहां गंगा सफाई के नाम पर रत्ती भर काम भी नजर नहीं आता। जब तक उमा भारती के पास गंगा सफाई की जिम्मा था, उन्होने दो बार क्षेत्र का दौरा किया लेकिन ये दौरे औपचारिकता मात्र बनकर रह गए। आज भी मनिहारी गंगा तट पर कूड़े के ढेर वैसे ही हैं जैसे चार साल पहले हुआ करते थे।
2014 में प्रधानमंत्री बनने से पहले जब नरेन्द्र मोदी बनारस से चुनाव लड़ने जा रहे थे तब उन्होंने कहा था कि ‘मुझे मां गंगा ने बुलाया है.’ सत्ता के सिंघासन पर पहुंचने के बाद मोदी ने गंगा सफाई के लिए ‘नमामि गंगे’ योजना बनाकर सबसे काबिल मंत्रियों में एक मानी जाने वाली उमा भारती को गंगा सफाई का जिम्मा भी सौंपा, लेकिन मोदी सरकार के चार साल बीतने के बाद भी गंगा सफाई के नाम पर कुछ खास हुआ नजर नहीं आ रहा है।

-पूर्णिया से शिव शंकर सिंह की रिपोर्ट

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