श्रद्धा व भक्ति के साथ मनाया अक्षय तृतीया पर्व

मुजफ्फरनगर- धर्मनगरी खतौली के नौ जैन मंदिरों में जैन धर्म के अनुयायियों ने अक्षय तृतीया पर्व की धर्म आराधना मंगल भावना के साथ की। नगर के सभी मंदिरों में स्त्री,पुरुष तथा बच्चें पीत तथा केसरिया वस्त्रों में एकत्रित थे। धार्मिक विधान की पूजा अर्चना की गई। पवित्र मंत्रों के साथ अरघ समर्पित हुए। वातावरण धर्ममय था। भक्ति संगीत का सभी ने आनंद लिया। जक्की वाला मंदिर में कार्यक्रम संयोजन संजय दादरी ने किया।इस पावन अवसर पर जक्की वाला मंदिर में परम पूज्य श्रद्धानंद तथा पवित्रानंद महाराज ने अपनी पीयूष वाणी में धर्म संदेश के माध्यम से बताया भारतीय संस्कृति में पर्व त्योहारों और व्रतो का बहुत महत्व है। अक्षय तृतीया का पर्व हमें आत्म कल्याण का मार्ग दिखाता है। वैशाख शुक्ल तृतीया को अक्षय तृतीया पर्व मनाया जाता है। इस दिन जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव आदिनाथ ने राजा श्रेयांश के यहां हस्तिनापुर में इक्षु रस गन्ने के रस का आहार लिया था। उस दिन वैशाख शुक्ल तृतीया थी। उस दिन राजा श्रेयांश के यहां भोजन अक्षीण कभी खत्म न होने वाला हो गया था। जैन धर्म के अनुसार भरत क्षेत्र में इसी दिन से आहार दान की परंपरा शुरू हुई। राजा श्रेयांश ने भगवान आदिनाथ को आहार दान देकर अक्षय पुण्य प्राप्त किया था। यह दिन बहुत शुभ होता है। इस दिन बिना मुहुर्त निकले शुभ कार्य संपन्न होते हैं। आज के दिन किसी भी प्रकार का दान देना अत्यंत शुभ और मंगलकारी माना जाता है। सुश्रावकों ने श्रद्धानंद तथा पवित्रानंद महाराज ससंघ की आहार चर्या नवधा भक्ति पूर्वक संपन्न कराई। भक्तगण बड़ी संख्या में उत्साह पूर्वक एकत्रित थे‌। व्यवस्था संकलन संयम महोत्सव समिति ने किया।
इस अवसर पर सुशील मंडी संजय दादरी सुशील सिल्लो राजेंद्र दादरी अरुण औषधि बल्लू सराफ राजीव मुखिया अशोक शास्त्री बबलू टीकरी दीपू किराना सुरेंद्र घड़ी विवेक प्रवक्ता डॉ ज्योति प्रीति दादरी सुधीर मुखिया अनुपम आढती दीपक भैसी विभा कल्पेंद्र वर्षा सतेंद्र बस मनोज आढती जयभगवान अकलंक रामकुमार अरूण नंगली सतेन्द्र एग्रो राकेश अंबर छवि मुकेश एडवोकेट एल.एम. जैन दिनेश नीलिशा नैना ममता मीनू सर्वेश दीपाली शैली मीनू मुखिया शिखा प्रियंका प्रवक्ता इंदू जैन अतुल विनीत मुकेश आढती विजय सर्राफ पुनीत दादरी महेश शंशाक महलका बाला नमिता उर्मिला आंचल मोनिका संदीप सोनू पंकज महलका मोहित स्वतंत्र सहित समाज के लोग रहे। धर्म प्रेमियों के लिए शुद्ध गन्ने के रस की व्यवस्था की।48 दीपकों से आरती करते हुए भक्तांबर की महा अर्चना की।

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