बरेली। जनपद के दबतरा रेलवे स्टेशन पर 12 साल पहले हुई डकैती मामले मे फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम के न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर ने चार डकैतों को उम्र कैद की सजा सुनाई है। पूरी घटना में छह डकैतों के विरुद्ध नामजद रिपोर्ट दर्ज की गई थी। इसमें एक डकैत दीमक की ट्रायल के दौरान मौत हो चुकी है। एक डकैत तौफीक की फाइल इस केस से अलग कर दी गई। बाकी बचे चार डकैतों शादाब, इजहार, आशिक अली व निसार अहमद को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। चारों दोषी बदायूं के रहने वाले हैं और अलग-अलग जिलों से हिस्ट्रीशीटर भी रहे है। दबतरा स्टेशन के तत्कालीन स्टेशन मास्टर खचेड़ू सिंह ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसमें बताया था कि 14 अक्तूबर 2012 की सुबह करीब 3:55 बजे ड्यूटी पर थे। इसी दौरान किसी के खटखटाने पर उन्होंने दरवाजा खोला तो तीन बदमाश तमंचा दिखाकर अंदर घुस आए। तीन दरवाजे के पास ही खड़े रहे। अंदर आए एक आते ही उनका गला दबाकर और तमंचा निकालकर उसकी कनपटी पर रख दिया। तभी एक डकैत ने टोकन पोर्टर पर गोली चला दी। टोकन पोर्टर संजय ने उसका हाथ पकड़ रखा था। गोली चलने से पहले ही उसका हाथ हिल गया और गोली टेबल पर रखी केतली में जा धंसी। इस बीच अन्य डकैतों ने कंट्रोल रूम को जाने वाले तार तोड़ दिए। इसके बाद डकैत सेफ में रखे 57 हजार 175 रुपए नगदी लूट ले गए। डाकू स्टेशन मास्टर का निजी मोबाइल भी लूट ले गए। सभी आरोपियों ने चेहरे को ढक रखा था। सूचना मिलते ही पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। जख्मी हालत में स्टेशन मास्टर ने बरेली जंक्शन पहुंचकर राजकीय रेलवे पुलिस थाना में मुकदमा दर्ज कराया। वारदात को अंजाम देते समय एक बदमाश के चेहरे से कपड़ा हट गया। जिसका नाम दीमक ऊर्फ दीमका ऊर्फ नजारिक खां था। पुलिस ने इसी आरोपी के माध्यम से अन्य आरोपियों की पहचान कर ली। पुलिस ने 27 नवंबर 2013 को विवेचना कर आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किए। वर्ष 2016 में दीमका की मौत हो गई। पुलिस ने सभी आरोपियों की निशानदेही पर साक्ष्यों को बरामद किया गया। न्यायालय के समक्ष सुनवाई के दौरान साक्ष्यों के रूप में कुल 40 साक्ष्य प्रस्तुत किए गए और आठ गवाह पेश किए गए। न्यायालय ने साक्ष्यों का अवलोकन करने, गवाहों को सुनने और पत्रावलियों के अध्ययन करने के बाद चार दोषियों शादाब, आशिक अली, इजहार और निसार अहमद को सजा सुनाई है व चार लाख रुपये जुर्माने से दंडित किया है।।
बरेली से कपिल यादव