बाड़मेर जिले से रेलगाड़ियों को हरी झंडी का रहेगा इंतजार:रेलमंत्री बनने के बाद पहली बार मारवाड़ में आ रहें है वैष्णव

बाड़मेर /राजस्थान- केंद्र सरकार में मौजूदा कार्यकाल में दूसरे रेलमंत्री बनने के करीब तीन महीने बाद जोधपुर के अश्विनी वैष्णव पहली बार दो अक्टूबर को घर आ रहे हैं। रेलमंत्री का मुख्य कार्यक्रम राइकाबाग रेलवे स्टेशन पर होगा। वे मुख्यालय सहित जोधपुर स्टेशन का निरीक्षण करने के दौरान ही बाड़मेर जिले की समस्याओं को दूर करने के लिए विचार विमर्श करेंगे । उनके दौरे के मद्देनजर रेल्वे अधिकारियों की टीमें बनाकर उन्हें ड्यूटी सौंप दी गई है। रेल्वे के इतिहास में यह पहला मौका है जब जोधपुर मूल का व्यक्ति देश में रेलमंत्री बने हैं। वैष्णव के कार्यक्रम का मिनट टू मिनट कार्यक्रम भी रेल मंत्रालय एक-दो दिन में जारी करेगा।

रेल्वे अधिकारियों ने शहर के उपनगरीय राइकाबाग स्टेशन को नए सिरे से तैयार करवाया है। यात्रियों के लिए लिफ्ट लगाई गई है व फुट ओवरब्रिज भी तैयार हो गया है। रेलमंत्री वैष्णव इन तीनों कार्याें का लोकार्पण करेंगे। वे राइकाबाग से ही भगत की कोठी स्टेशन पर बनाए गए पुलिस थाने का रिमोट से लोकार्पण करेंगे। मुख्य स्टेशन पर यात्री सुविधाओं, स्टेशन पर विकसित की जाने वाली भावी सुविधाओं व विकास परियोजनाओं का अवलोकन भी करेंगे। वे पाली मारवाड़ तक विशेष ट्रेन से निरीक्षण करने भी जा सकते हैं। व्यवस्थाओं के लिए डीआरएम गीतिका पांडेय के निर्देशन में तीन अधिकारियों की प्रोटोकॉल कमेटी बनाई गई है।

जोधपुर रेल्वे अधिकारियों द्वारा बाड़मेर जिले से छः रेलगाड़ियों को शुरू ओर विस्तार करने से सम्बंधित प्रस्ताव तैयार करके जयपुर ओर रेलमंत्रालय दिल्ली भेजा गया था और रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव के द्वारा हरी झंडी दिखाने का इंतजार कर रहे हैं।

रेल सेवा संघर्ष समिति बाड़मेर के गणपत मालू ने बताया कि वर्तमान में बाड़मेर हावड़ा और बाड़मेर गुवाहाटी दोनों गाड़ियों को बाड़मेर से 8 किलोमीटर दूर उत्तरलाई और कवास स्टेशन पर खडी करनी पड़ रहा है इससे रेल्वे का खर्च भी बढ़ता है अतः बाड़मेर से तीन किलोमीटर दूर स्थित रेल्वे की जमीन पर पांच लाइन अलग-अलग बिछाकर व तथा वॉशिंग लाइन बनाई जाए जिससे बाड़मेर में नई रेलगाड़ियों के आने की संभावनाएं बढ़ेगी और वर्तमान रेलगाड़ियों को रखने की भी सुविधा बढ़ेगी।बाड़मेर से जयपुर व दिल्ली के लिए प्रतिदिन रेल मंडोर सुपरफास्ट को बाड़मेर विस्तार कर अथवा बाड़मेर जम्मूतवी को बाड़मेर से ही प्रतिदिन चलाकर इस समस्या का हल किया जा सकता है।

गौतम चंद जैन ने बताया कि बाड़मेर से मुंबई नई रेल
इसका प्रस्ताव उत्तर पश्चिम द्वारा बार-बार भेजा जा रहा है राजनीतिक पैरवी नहीं होने की वजह से इस रेल को चलाया नहीं जा रहा है जबकि जनता की अत्यंत महत्वपूर्ण मांग है। जोधपुर दिल्ली सालासर सुपरफास्ट एक्सप्रेस का बाड़मेर विस्तार यह रेल जोधपुर में खड़ी रहती है तथा इसका विस्तार बाड़मेर होता है तो शेखावटी और बाड़मेर का जुड़ाव होगा इसके साथ साथ यह बाड़मेर के लिए इंटरसिटी का काम करेगी।

वकील कुमार कौशल अम्बा लाल जोशी ने बताया कि जोधपुर पुरी गंगासागर एक्सप्रेस का बाड़मेर तक विस्तार करने से यह रेलगाड़ी जोधपुर में खड़ी रहती है इसका विस्तार बाड़मेर तक किया जाता है तो बाडमेंर वासियों को कोटा सवाई माधोपुर और पूरी के लिए सुविधा मिलेगी तथा इसका 2019 में बाडमेंर विस्तार के लिए रेलवे स्वीकृति हो चुकी थी लेकिन किसी कारणवश हो नहीं पाई। बाड़मेर चेन्नई रामेश्वरम सप्ताहिक बाड़मेर से चेन्नई रामेश्वरम के लिए साप्ताहिक प्रतिदिन ट्रेन जालोर और बाड़मेर वासियों को वाया अहमदाबाद विजयवाड़ा तिरचि मदुरई चलाई।

रेल सेवाओं के जानकार बाबू लाल शर्मा ने बताया कि बाड़मेर आगरा फोर्ट 12195/96 अथवा 22987/88 अजमेर आगरा फोर्ट दोनों में से किसी एक का विस्तार बाड़मेर तक किया जाना चाहिए जिससे बाड़मेर की पाली अजमेर तक जुड़ाव हो सके।बाड़मेर कोटा नई रेल वाया अजमेर भीलवाड़ा गत वर्ष अजमेर कोटा नई रेल चलाने का प्रस्ताव पास हुआ था अगर यह रेल बाड़मेर तक वाया अजमेर कोटा चलाई जाए तो 6 या 7 जिले राजस्थान के आपस में कनेक्ट हो सकेंगे।

वरिष्ठ पत्रकार राजू चारण ने बताया कि बाड़मेर -कन्या कुमारी नागरकोइल सप्ताहिक रेलगाड़ी इस रेल की मांग तिरुवंतपुरम सांसद शशी थरूर के द्वारा की गई है।

रेलगाड़ियों के विस्तार करने ओर नई रेलगाड़ियों को शुरू करने से पहले रेल्वे सुविधाओं के लिए शायद ही कोई ऐसा पल नहीं होता होगा, जिसमे किसी यात्री या संगठनों द्वारा कोई माँग रेलगाड़ियों के लिए न होती हो। स्टापेजेस से लेकर नई लम्बी दूरी की रेल गाड़ियों के लिए एक से बढ़कर एक माँग तैयार ही रहती है। कई यात्री संगठन तो रेल गाड़ी के मार्ग परिवर्तन, एक्सटेंशन के लिए आन्दोलनों की हद तक उत्साहित रहते है। क्या अपनी मांगों, जरूरतों से इतर जाकर रेलवे की उत्पादकता बढ़े ऐसा सुझाव कहीं नजर क्यों नही आता ?

रेल प्रशासन जब भी किसी गाड़ी में स्टापेजेस बढ़ाती/घटाती है तो उसके पीछे खर्च का कारण बताती है, जो की कुछ लाख रुपयों में होता है। यात्री ठहराव का मतलब उक्त स्टेशन पर यात्री सुविधाएं, रखरखाव, उसके लिए संसाधन, कर्मचारी आदी मूलभूत सुविधाओं का भी विस्तार का विचार करना होता है। यही बात नई गाड़ी शुरू करना या गाड़ी को विस्तारित करने के बाबत में भी लागू होता है। गाड़ी बढाना, स्टापेजेस बढाना केवल इतना मात्र नही होता, आगे उनके परिचालन विभाग के कर्मियोंके, जैसे लोको पायलट, गार्ड, स्टेशनकर्मी, मेंटेनेंस स्टाफ़ आदि के व्यवस्थापन का भी यथायोग्य नियोजन करना होता है। यह सारी चीजें उस खर्च में सम्मिलित होती है।

आजकल रेल प्रशासन ज़ीरो टाइमटेबल पर काम कर रही है। इसमें कई स्टापेजेस छोड़े जाने का नियोजन है। यह व्यवस्था गाड़ियों की न सिर्फ गति बढ़ाएगी बल्कि रेल व्यवस्थापन के खर्च में कमी भी ले आएगी। इसके बदले में रेलवे उक्त स्टेशनों का अभ्यास कर, माँगों के अनुसार डेमू,मेमू गाड़ियाँ चलाने की व्यवस्था करने की सोच रही है। मेमू गाड़ियाँ ग़ैरउपनगरिय क्षेत्रों में चलाई जानेवाली उपनगरीय गाड़ियोंके समान होती है। जिनका पीकअप स्पीड ज्यादा होता है और रखरखाव कम। छोटे अन्तरोंमें यह गाड़ियाँ बेहद उपयुक्त साबित होती है। फिलहाल इनके ट्रेनसेट कम है और जरूरत के हिसाब से तेजी से उत्पादन बढाया जा रहा है।

रेल प्रशासन ने हाल ही बजट में संसाधनो पर 95 प्रतिशत से ज्यादा का निर्धारण किया है। इसमें समर्पित मालगाड़ियों के गलियारों के लिए बड़ा प्रस्ताव है, साथ ही व्यस्ततम मार्गों का तीसरी, चौथी लाइन का निर्माण भी सम्मिलित है। यह प्रस्तवित संसाधन जब हकीकत के धरातल पर कार्य शुरू कर देंगे तब ग़ैरउपनगरिय मेमू गाड़ियोंके लिए जगह ही जगह उपलब्ध हो जाएगी। मुख्य मार्ग की लम्बी दूरी की गाड़ियाँ सीधी चलाने में कोई बाधा या रुकावट नही रहेगी और यात्रिओं की माँग की भी यथोचित पूर्तता की जा सकेगी। आज यह सारी बाते स्वप्नवत है, लेकिन जिस तरह कार्य चलाया जा रहा है, तस्वीरें जल्द ही बदलने वाली है।

यात्रिओं को यह समझना चाहिए, स्टेशनों के व्यवस्थापन का निजीकरण कर के यात्री सुविधाओंको कितना उन्नत बनाया जा रहा है। किसी जमाने मे बड़े से बड़े जंक्शन पर लिफ्ट, एस्कलेटर, बैट्रिचलित गाड़ियों की बात तो छोड़िए रैम्प तक नही होते थे, जो आज लगभग हर मेल/एक्सप्रेस के ठहराव वाले स्टेशनों पर मिल रहे है। गाड़ियों के द्वितीय श्रेणी के डिब्बों तक मे मोबाईल चार्जिंग पॉइंट दिए जा रहे है। स्टेशन साफसुथरे, सुन्दर और आकर्षक हो रहे है। क्या यह व्यापक बदलाव नही है?

सिर्फ गाड़ियों के स्टापेजेस बढाना, विस्तार करना, नई गाड़ियोंके प्रस्ताव रखना इसके अलावा भी रेलवे को कई सुझावों की आवश्यकता है, जिनसे उसकी उत्पादकता बढ़े। रेलवे पार्सल ऑफिस को जनोपयोगी, ग्राहकोंपयोगी बनाना, पार्सल कर्मियोंकी निपुणता बढाना ताकी वह ग्राहक को यथयोग्य उत्तर दे सके। रेलवे बहुत सारे काम ऑनलाईन जर रही है। ऐसे में मैन्युयल काम को घटाकर भी अपनी उत्पादकता बढ़ाने में सहायता मिल रही है।

आखिर में, हमारा देश इतना बड़ा और जनसंख्या इतनी अधिक है, की कोई भी ट्रेन बढ़े या स्टापेजेस बढ़े वहाँपर ट्रैफिक तो मिलनी ही है। खैर जनसंख्या ज्यादा होना इसको हम कमी नही, हमारे देश का बलस्थान मानते है और रेलवे भी उसी सोचपर अपनी कार्यशैली को आगे बढ़ाती है। जरूरत एक बेहतर सोच की है, सेवा का बेहतर मूल्य चुकाने की है।

– राजस्थान से राजूचारण

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