- डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा थे कार्यक्रम के मुख्यातिथि
वाराणसी- महाकुम्भ से पहले वाराणसी में ‘पर्यावरण कुम्भ’ का उदघाटन शनिवार को डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा ने किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि ये पर्यावरण कुम्भ मानव के कर्तब्यों का जागरण है।
ये उक्त बातें शनिवार को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के खेल मैदान में ‘पर्यावरण कुम्भ’ की शुरुआत हुई। इस कुम्भ का उद्घाटन उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने दीप प्रज्वलीत कर किया। उद्घाटन के बाद उपमुख्यमंत्री ने सीएसआईआर और मिनिस्ट्री ऑफ़ फारेस्ट, इन्वायरमेंट की टीम सहित विश्वविद्यालय द्वारा लगायी गयी प्रदर्शनी का उद्घाटन किया और उसका अवलोकन भी किया।
उद्घाटन करने के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए उपमुख्यमंत्री डॉ शर्मा ने कहा कि भारत की संस्कृति की पहचान कुम्भ है। वही बताया कि कुम्भ का अर्थ है कलश, और कहते हैं कि जब समुन्द्र मंथन हुआ देवताओं और असुरों के बीच तो अमृत कलश निकला। इस अमृत कलश से अमृत की कुछ बुंदे प्रयागराज में गिरी जहाँ पर कुम्भ का पर्व मनाया जाता है।
डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा ने कहा कि कुंभ केवल लोगों का समागम ही नहीं है बल्कि कुम्भ का अर्थ ये है कि जो व्यक्ति की जीवन शैली है वो प्रकृति के साथ उसकी तारतम्यता बढे और आज जो तमाम बीमारियों का कारण है वो है पर्यावरण का संतुलन न होना। जलवायु का परिवर्तन होना, वातावरण का प्रदूषित होना। ये ऐसी हानिकारक तत्व हैं इनकी वजह से आज पूरे भारत वर्ष में एक अजीब सी स्थिति पैदा हुई है। लोगों के मन में जागरूकता का भाव जगे और जल के प्रति, वायू के प्रति, अग्नि के प्रति, प्रकृति के प्रर्ति, वनस्पति के प्रति, जीवों के प्रति लोगों में चैतन्यता हो और व्यक्ति के जीवन का उससे जुड़ाव हो यानी पर्यावरण संतुलन हो।
डॉ दिनेश शर्मा ने बताया कि कुम्भ के पहले आज जो ये वाराणसी की नगरी में पर्यावरण कुम्भ का आयोजन किया गया है। इसमें जो लोगों की जागरूकता के लिए भव्य प्रदर्शनी है। यहाँ का वो सीख दे रहा है एक प्रकार का कि यदि हमने प्रकृति के साथ खिलवाड़ किया तो मानव जीवन को जितनी हानि हो सकती है। उसे कोई नहीं बचा सकता है।
रिपोर्टर-:महेश पाण्डेय मण्डल कॉर्डिनेटर वाराणसी