दुर्लभ संयोग में मनाई जाएगी जन्माष्टमी, यह है पूजा- विधि, शुभ मुहूर्त और व्रत पारण का समय

बरेली। हर वर्ष भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस बर्ष 30 अगस्त को जन्माष्टमी का पावन पर्व मनाया जाएगा। इस दिन को बड़े ही धूम- धाम से मनाया जाता है। इस बार जन्माष्टमी पर दुर्लभ संयोग बन रहा है। महंत के अनुसार इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी विशेष है। 29 अगस्त को रात 11.24 मिनट 38 सेकेंड पर अष्टमी प्रारंभ हो जाएगी। जो 30 अगस्त के आधी रात के बाद 1.59 दो सेकेंड तक रहेगी। महंत ने बताया कि इसी दिन शाम 6.37 बजे रोहिणी नक्षत्र लग रहा है। करीब 15 साल बाद अष्टमी और रोहिणी नक्षत्र एक साथ पड़ रहे हैं। पूरे देश में एक ही दिन अष्टमी मनाई जाएगी। 30 अगस्त को रात 12 बजे भगवान का जन्म होगा। दिन सोमवार रहेगा। यह दुलर्भ संयोग है। आइए जानते हैं जन्माष्टमी पूजा – विधि व शुभ मुहूर्त के बारे में। भगवान श्री कृष्ण की जन्माष्टमी के लिए पूजा विधि में सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। घर के मंदिर में साफ- सफाई करें। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। सभी देवी- देवताओं का जलाभिषेक करें। इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है। लड्डू गोपाल का जलाभिषेक करें। इस दिन लड्डू गोपाल को झूले में बैठाएं। लड्डू गोपाल को झूला झूलाएं। अपनी इच्छानुसार लड्डू गोपाल को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। लड्डू गोपाल की सेवा पुत्र की तरह करें। इस दिन रात्रि पूजा का महत्व होता है, क्योंकि भगवान श्री कृष्ण का जन्म रात में हुआ था। रात्रि में भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा- अर्चना करें। लड्डू गोपाल को मिश्री, मेवा का भोग भी लगाएं। लड्डू गोपाल की आरती करें। इस दिन अधिक से अधिक लड्डू गोपाल का ध्यान रखें। इस दिन लड्डू गोपाल की अधिक से अधिक सेवा करें। जन्माष्टमी पर इसका महत्व और बढ़ जाता है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी का बहुत अधिक महत्व होता है। इस दिन विधि- विधान भगवान श्री कृष्ण की पूजा- अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इस दिन पूजा- अर्चना करने से निसंतान दंपतियों को भी संतान की प्राप्ति हो जाती है। भगवान श्री कृष्ण का जन्म रात्रि में हुआ था। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण के बाल रूप की पूजा- अर्चना रात्रि में ही की जाती है। पूजा का शुभ मुहूर्त 30 अगस्त को रात 11 बजकर 59 मिनट से देर रात 12 बजकर 44 मिनट तक है।।

बरेली से कपिल यादव

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