डीएम साहब! एक नजर इधर भी, चौपुला पर निर्माणाधीन ओवरब्रिज के पास बन गए ऑटो स्टैंड

बरेली। चौपुला चौराहा पर ओवरब्रिज का निर्माण चल रहा है। मुख्य चौराहे पर अभी शटरिंग नहीं हटी है। लोगों को वहां से आने जाने की थोड़ी सी छूट क्या मिली। वहां ऑटो टेंपो स्टैंड ही बना लिया। यह खतरों के स्टंट किसकी अनुमति से चल रहे है। डीएम साहब एक नजर इधर भी कर लीजिए। चौपुला पुल निर्माण के दौरान बीती एक दिसंबर से 75 दिन तक के लिए वहां से आवागमन पूरी तरह बंद कर दिया गया था। जिससे शहर की ट्रैफिक व्यवस्था ही बेपटरी हो गई थी। जिसका प्रभाव आधे से ज्यादा शहर पर पड़ा। गली मोहल्लों में ट्रैफिक का लोड पड़ने से वहां भी जाम लगने लगा। लोगों को आने जाने में काफी दिक्कत हो रही थी। उसके बाद भी तय किए गए 75 दिनों में पुल का निर्माण नहीं हो सका। आवागमन बंद करते वक्त दुहाई दी गई थी कि पुल निर्माण को लगी शटरिंग के गिरने से कोई बड़ा हादसा हो सकता है। मगर अचानक वहां की शटरिंग हटाए बिना ही रास्ते को खोल दिए गए है। अब चौपुला चौराहा पर ऑटो स्टैंड बन गए है। वहां पर हर दिशा की ओर जाने वाले ऑटो टेंपो खड़े होने लगे हैं।कुतुबखाना की ओर से जाने वाली रोड और चौकी चौराहा की ओर आने वाली रोड पर टेंपो निर्माणाधीन ओवरब्रिज के पास खड़े होते है। जिससे लोग भी वहां ज्यादा पहुंच रहे हैं और जमघट लग रहा है जबकि अभी भी वहां से शटरिंग तक नहीं हटी है। यह ऑटो स्टैंड खुद में लोगों के लिए खतरे से कम नहीं है। चौपुला ओवरब्रिज निर्माण और सीवर लाइन बिछाने के नाम पर सारे शहर को नर्क बना दिया। चौपुला पुल निर्माण की धीमी गति से शहर की ट्रैफिक व्यवस्था में बेपटरी हो गई है। उसके बाद लोगों को निकलने के रास्ते तलाशने पड़े तो पूरा शहर खुदा पड़ा है। जल निगम ने शहर के सभी रास्ते को खोद डाला है। काम को कहीं भी ठीक से नहीं किया जा रहा है। जल निगम सीवर लाइन डालने के बाद भी सड़क बिछाने में लापरवाही बरत रहा है। प्रशासनिक अफसर इसकी मानिटरिंग नहीं कर रहे हैं तो जल और सेतु निगम के अफसर बेलगाम हो गए है। शहर में हो रही अंधाधुंध खुदाई ने लोगों की दुश्वारियां तो बढ़ाई ही है मगर गरीब और मध्यम वर्ग के आवागमन के सस्ते साधन ऑटो टेंपो का किराया भी बढ़ा दिया है। ऑटो टेंपो बालों को सीधे जाने का रास्ता नहीं मिल रहा था। घूमकर और फेर काट कर जाने की बात कहकर किराया दोगुना कर दिया। अब अगर रास्ते खुल भी जाएंगे तब भी किराया को घटाया नहीं जाएगा। जाहिर है कि इसका बोझ लोगों की जेबों पर पड़ेगा। मई 2018 मे वाराणसी के कैंट रेलवे स्टेशन के पास निर्माणाधीन ओवरब्रिज का एक हिस्सा ढह जाने से मलबे में दबकर करीब डेढ़ दर्जन लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना से भी सबक नहीं लिया गया। चौपुला पुल अभी निर्माणाधीन है और वहां इस समय ऑटो टेंपो स्टैंड बनना किसी खतरे की घंटी से कम नहीं है। सेतु निगम और चौपुला पर खड़े होने वाले ट्रैफिक के सिपाहियों की तो चोपुला के निर्माणाधीन पुल के करीब से लोगों को गुजरने से रोकने की फुर्सत नहीं है। वहीं तमाम लोग खुद खतरों के खिलाड़ी बन रहे है। चौपुला से कुतुबखाना की साइट पर बैरिकेडिंग लगाई गई थी। मगर उसे हटाकर लोगों ने रास्ता बना लिया। अब सीमेंट से बनी भारी अवरोधक लगाए गए। मगर पैदल और बाइक वाले इनसे भी गुजरने की जद्दोदहेज मे लगे रहते है।।

बरेली से कपिल यादव

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