बरेली। गर्मी की धमक के साथ ही शहर में बिजली-पानी का संकट शुरू हो गया है। 24 घंटे बिजली आपूर्ति के दावों की कलई खुल गयी है। यही नहीं, जब लोगों को बिजली की जरूरत ज्यादा है तब घंटों बिजली गुल रह रही है। विभाग मेंटेंनेस के नाम पर सुबह से ही बिजली काट दे रहा है। इससे पानी का संकट भी गहरा जा रहा है। शहरी व ग्रामीण क्षेत्र की बिजली हर रोज गुल होने से लोगो को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा रहा है। ऐसे में गर्मी से लोगो का सिर का पसीना पांव तक पहुंच रहा है। कोरोना के बहाने बिजली महकमें के अधिकारी एसी दफ्तरों में आराम फरमाए हुये है। फील्ड में जाने की अपेक्षा कार्यालय में ही अपने आपको ज्यादा सुरक्षित समझ रहे है। जबकि दूसरी और बिजली मेंटेनेस लाइनों के रखरखाव का जिम्मा संविदा कर्मचारियों के भरोसे छोड़ दिया गया है। जब फील्ड पर अफसर ही न होगें तो कैसे बिजली व्यवस्था ठीक से चलेगी। अफसरों की उदासीनता के चलते बिजली व्यवस्था भी लापरवाही की भेंट चढ़ी हुई है। न तो शिकायतों का समाधान हो रहा है न ही ट्रिपिग जैसी समस्यांए खत्म हो पा रही है। आला अधिकारियों ने भी अपने अधीनस्थ अधिकारियों के फील्ड से गायब रहने, पेट्रोलिंग न करने को लेकर सख्त नाराजगी जाहिर की है। दरअसल बारिश से पूर्व मेंटनेंस के तहत अब तक काम पूरा कर लेना था लेकिन काम इतनी धीमी गति से चल रहा है कि लोगो के लिए परेशानियों का पहाड़ बन चुका है। बिजली विभाग द्वारा सड़क के आसपास से गुजरे बिजली तार के नीचे के पेड़-पौधे की छटनी कर व्यवस्थित किया जा रहा है। जिसके चलते तपती दोपहरी में बिजली कटौती कर मेंटेनेंस किया जाता है। जिसका खामियाजा लोगो को भुगतना पड़ता है। शटडाउन लेने के बाद काम पूरा होने के बाद कर्मचारी आला अधिकारियों को काम पूरा होने की जानकारी नही देते। जिससे अधिकारियों की नजर में भी रहता है कि पेड़-पौधो की छटाई का काम तेजी से हो रहा है। जब लोगो के फोन पहुंचने शुरू हो जाते है तब अधिकारी कर्मचारियों से जानकारी लेने के बाद सप्लाई शुरू कराते है। कोरोना संक्रमण के खौफ के चलते विभाग के अधिकारी घर से आफिस और आफिस से घर तक की ही दौड़ लगाते है। फील्ड में न जाने से अधीनस्थ कम्रचारी अपनी मर्जी से समझा- बुझा जाते है।।
बरेली से कपिल यादव