कवि मंजुल मयंक की पुण्यतिथि पर काव्य गोष्ठी का किया गया आयोजन

*राह गुलों की ना भाती मुझको आह शूलों की बढ़ाती मुझको – कवि गणेश सिंह विद्यार्थी

हमीरपुर- बुंदेलखंड अभिव्यक्ति साहित्यिक संस्था हमीरपुर की एक आवश्यक बैठक नारायण प्रसाद रसिक की अध्यक्षता में बलदाऊ मंदिर परिसर में हुई जिसमें 30 सितंबर को प्रातः 10 बजे बुंदेलखंड के प्रख्यात कवि गीतकार स्व. मंजुल मयंक की पुण्य तिथि पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया जाएगा और अपरान्ह दो बजे से बलदाऊ मंदिर परिसर में स्मृति काव्य गोष्ठी होगी. बैठक के बाद काव्य गोष्ठी भी हुई. महामंत्री प्रेमपाल द्विवेदी ने पढ़ा ‘मेरे देश के राजदुलारे, कल के सूरज चंदा तारे, जागो जागो आँखें खोलो, सारा हिंदुस्तान पुकारे’, साहित्य परिषद के प्रांतीय मंत्री रेवती रमण पाठक ने कहा ‘गिरिराज सुता अवलोकि जलंधर, ठान लई यहि मैं बरिहौँ, यहु बेगहि छीनि कै शंकर से, निज चाहत पूरन करिहोँ’, संचालन कर रहे डॉ. गणेश सिंह ‘विद्यार्थी’ ने पढ़ा ‘राह गुलों की न भाती मुझको, आह शूलों की बढ़ाती मुझको, अब गुहार करो या मनुहार करो, मत मेरी परवाह करो’, अध्यक्षता कर रहे संस्थापक नारायण प्रसाद रसिक ने पढ़ा ‘दीप बनकर जिंदगी जिसकी जली है, उसको अंधेरा चीरकर उषा मिली है’, डॉ. जी. के. द्विवेदी ने पढ़ा ‘अब प्रवासी चल पड़े पैदल ही मेरे गांव के, लम्बा रास्ता नाप लेंगे, छाले उनके पाँव के’. कोषाध्यक्ष पुष्पेंद्र कृष्ण, बिष्णु कुमार खरे, शिवबाबू, पुजारी जगत प्रसाद, महेश पालीवाल, अखिलेश आदि उपस्थित रहे|

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