आईपीएल पर लग रहा करोड़ों का सट्टा, एप के जरिए टीवी से एक बॉल पहले ही रिजल्ट

बरेली। आईपीएल क्रिकेट में सट्टेबाजी का अब नया ट्रेंड शुरू हो गया है। पहले जहां क्रिकेट सट्टा फोन पर जमकर लगाया जाता था। वहीं अब सट्टे का कारोबार ऑनलाइन एप के माध्यम से होने लगा है। यही नहीं एप के जरिए टीवी से एक बॉल आगे की जानकारी सट्टेबाजों को मिल रही है। ऐसे में पुलिस के लिए सट्टे का नया तरीका सर दर्द बनता जा रहा है। आईपीएल मैचों के दौरान रोजाना करोड़ों रुपए दांव पर लगाए जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार टेक्नोलॉजी के युग में अब सट्टेबाजी का ट्रेंड भी बदल गया है। पहले जहां फोन करके भाव पूछे जाते थे। अब कहीं भी बैठा हुआ व्यक्ति मोबाइल में ही भाव देखकर बिना बोले सट्टा लगा लेता है। उसी ऐप में उसका हिसाब भी हो जाता है। यह भाव पूरे इंटरनेशनल मार्केट के हिसाब से चलते रहते हैं। ऐसे में कोई व्यक्ति कहीं भी बैठकर सट्टा खेल लेता है। वही बुकीज को भी लंबा चौड़ा सिस्टम रखने की जरूरत नहीं है। ऐसे में अब सटोरियों को पकड़ना पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। पहले बुकी को पूरा लाव लश्कर रखना पड़ता था। कई व्यक्ति होते थे इनमें एक तो भाव बोलता रहता था। इसके अलावा हिसाब किताब के लिए एक व्यक्ति रखना पड़ता था। जिस जगह वह सट्टा करवाते थे। उस जगह लोगों की आवाजाही होने व अन्य सूत्रों से पुलिस इन पर कार्यवाही कर देती थी। लेकिन अब ऑनलाइन सट्टा पकड़ने के लिए पुलिस के पास संसाधन ही नहीं है। मोबाइल एप टीवी से भी फास्ट चलता है। टीवी पर टेलीकास्ट दिखने से पहले मोबाइल एप पर टेलीकास्ट हो जाता है। एप और टीवी पर एक गेंद का फर्क चलता है। ऐसे में सट्टा करने वाले लोग मोबाइल एप का ही इस्तेमाल करने लग गए है। क्रिकेट सट्टेबाजी के लिए वर्तमान में आधा दर्जन मोबाइल एप प्ले स्टोर पर मौजूद है। सट्टा करवाने वाले बुकी फंटर को एप के बारे में बताते हैं। वह डाउनलोड करने के बाद उसको आईडी पासवर्ड बता देते है। आईडी पासवर्ड से उसका अकाउंट बना लेते है। वह उससे कुछ राशि जमा कराकर उसके सट्टा करने की लिमिट फिक्स कर देते है। उस एप पर लिमिट से एक भी रूपया ज्यादा राशि उधार हो जाती है तो सट्टा बंद हो जाता है। बुकिंग को पैसे देने के बाद ही एप में सट्टा हो सकता है। प्ले स्टोर पर एबी एक्सचेंज एचएनएम सहित कई एप्लीकेशन मौजूद हैं। उक्त एप एंड्राइड व आई फोन दोनों प्लेटफार्म को सपोर्ट करती है। ऑनलाइन सट्टा पकड़ने के लिए पुलिस का खुफिया तंत्र और पुलिस खुद पूरी तरह से फेल साबित हो रही है। मुखबिरों से संबंध मजबूत न होने के कारण शहर से लेकर देहात तक में जमकर सट्टेबाजी हो रही है। इसके साथ ही पुलिस के पास संसाधन ही मौजूद नहीं है। साइबर एक्सपर्ट की मदद से पुलिस प्ले स्टोर से एप के बारे में जानकारी जुटा सकती है और एप की जांच पड़ताल करके साइबर एक्सपर्ट पता लगा सकते हैं कि यह कहां कहां पर चल रही है पुलिस उस आधार से ही पकड़ सकती है। पहले जहां पुलिस कॉल डिटेल व कॉल सर्विलांस के माध्यम से सट्टे पकड़ लेती थी लेकिन अब इस दौर में यह मुमकिन नहीं है। स्थानीय स्तर पर तो पुलिस के पास बिल्कुल भी संसाधन मौजूद नहीं है।।

फिलहाल तो अब तक कोई सूचना हमें नहीं मिली है। ऑनलाइन हो रही सट्टेबाजी को पकड़ने के लिए लगातार प्रयास जारी है। प्ले स्टोर पर ऐसी एप होने की जानकारी अब तक नहीं थी। इन एप को ट्रेस करने का प्रयास किया जाएगा।।

  • उमेश त्यागी, साइबर सेल प्रभारी, बरेली

बरेली से कपिल यादव

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