आईटी विभाग की ओर से डिज़ास्टर मैनेजमेंट के लिए जयपुर शहर में चलेगा ‘जियोसिस्टम बेस्ड व्हीकल

जयपुर/राजस्थान। शहर की प्लानिंग एंड डेवलपमेंट में एक व्हीकल बड़ी भूमिका अदा करने जा रहा है। डिपार्टमेंट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एंड कम्यूनिकेशन (डीओआइटीसी) की ओर से शहर में जियोसिस्टम बेस्ड व्हीकल चलाया जा रहा है। व्हीकल पर मोबाइल लेज़र स्कैनर के साथ पांच सामान्य और छह हाई क्वालिटी कैमरे 360 डिग्री पैनोग्राफिक कैमरा जीपीएस और रिमोट सेंसिंग बेस्ड लाइडार लगा है। ये कैमरे एक साल तक पिंकसिटी की गली मौहल्लों, बाज़ारों में जाकर घर, बिल्डिंग, लाइट्स पोल, ट्रांसफार्मर, गार्बेज बिन जैसी चीज़ों की थ्रीडी इमेज लेंगे। ये कैमरे ज़मीन के ऊपर मौजूद लगभग सभी चीज़ों की फोटोग्राफी कर डेटा कलेक्ट करेंगे।

इसके बाद इसे राजधारा जीआइएस प्लेटफॉर्म पर अपलोड किया जाएगा। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि थ्रीडी इमेज के ज़रिए विभिन्न विभागों को उनकी प्लानिंग में मदद मिलेगी। उल्लेखनीय है कि वोनोबो जैसी वेबसाइट जयपुर का स्ट्रीट व्यू क्रिएट कर चुकी है। वेबसाइट ने आमजन के लिए इसे अपने प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराया था, जिससे लोग घर बैठे अपने घर की लोकेशन और फोटोग्राफ देख सकते थे| आइटी विभाग का कहना है कि फिलहाल इसके डेटा को आमजन को उपलब्ध नहीं कराया जाएगा, लेकिन सरकार से अनुमति मिलने के बाद इसे उपलब्ध कराने की योजना है।

*यह होगा फायदा*

इसका फायदा विभिन्न विभागों को उनकी योजनाओं के लिए मिलेगा। इसका फायदा कई क्षेत्रों में होगा। मसलन ओवरब्रिज या अंडरपास बनाने के लिए विभाग प्रीडिसाइडेड टेम्प्लेट क्रिएट कर सकेंगे। इससे पता चलेगा कि ओवरब्रिज या अंडरपास बनने के बाद यह कैसा लगेगा। इससे प्रोजेक्ट के डीटेल वर्क में आसानी होगी। विभाग के जॉइंट डायरेक्टर अपरेश दुबे का कहना है कि इससे डीपीआर बनाने में समय और पैसे की बचत होगी। इससे ट्रैफिक की स्थितियों के बारे में भी सिमुलेशन हो सकेगा। वहीं इसका फायदा डिज़ास्टर मैनेजमेंट के लिए भी होगा। उदाहरण के लिए आग लगने के बाद किसी जगह की परिस्थिति के हिसाब से छोटे या बड़े फायर बिग्रेड व्हीकल या एम्बुलेंस को पहुंचाया जा सकता है। यहाँ तक कि थ्रीडी इमेज में व्हीकल को वर्चुअली अपलोड कर यह देख सकेंगे कि उक्त स्थान तक व्हीकल या फायर फाइटिंग इक्विपमेंट पहुंच पाएंगे या नहीं। इसके साथ ही बारिश के पानी भराव संबंधी डेटा का भी एक्यूरेट एनालिसिस इमेजेज के ज़रिए किया जाएगा। इसके डेटा के लिए एयरक्राफ्ट से भी फोटोग्राफी कराई जाएगी। हालांकि प्रयोग के तौर पर ड्रोन से इमेज ली जा चुकी हैं।

*चेंज के बाद दोबारा लेंगे इमेज*

फिलहाल एक साल के लिए घोषित इस प्रोजेक्ट के डेटा को कलेक्ट किया जा रहा है। विभाग के अधिकारियों के अनुसार इसकी इमेज आर्काइव में सेव रहेंगी। यदि किसी जगह डेवलपमेंट होता है तो व्हीकल को उस लोकेशन की इमेज लेने भेजा जाएगा। छोटे मोटे चेंजेज के लिए व्हीकल को दोबारा इमेज लेने नहीं भेजा जाएगा, लेकिन किसी जगह बड़ा बदलाव होता है तो करेंट सिचुएशन कैप्चर करने के लिए व्हीकल दोबारा इमेज लेगा। इससे पहले की स्थिति से कंपेरिजन कर प्लानिंग में मदद मिलेगी।
दिनेश लूणिया, राजस्थान

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