अरबों रुपए रायल्टी देने के बाद भी विकास को तरसे

राजस्थान/बाड़मेर – देशभर में सरकारी खजाने को भरने में सबसे ज्यादा काला सोना उगलने वाले बाड़मेर जिले में पिछले दो-तीन दशकों से इतना विकास किया गया होगा जितना विकासशील देशों के गांव ग्वाड़, कस्बों, पंचायतों, तहसीलों ओर जिलों में नहीं किया गया होगा, लेकिन सब जानते है की विकास सिर्फ और सिर्फ अधिकारियों और कर्मचारियों के घरों पर इधर-उधर से सरकारी टेबलों के नीचे से, मिठाइयों के डिब्बों में वार त्यौहारों पर विशेष अंदाज में जरूर पहुंच गया होगा। वातानुकूलित कमरों में राजा महाराजाओं की तरह
बैठकर सरकारी योजनाओं को बनाकर धरातल पर लागू करने के लिए कोयलें की खदान में से हीरा मोती ढूंढने के समान है।

आजकल राज्य में खनिज खोज, खान ब्लॉकों का चिन्हीकरण, आवंटन, नीलामी प्रक्रिया, खनन, खनिज परिवहन, राजस्व संग्रहण, अवैध खनन व परिवहन की रोकथाम, ऑनलाइन डाटा उपलब्धता आदि प्रक्रिया व व्यवस्थाओं को पारदर्शी व अन्य प्रदेशों से अग्रणी बनाने की दिशा में राज्य सरकार आगे आ रही है। अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस एवं पेट्रोलियम डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि इसके लिए राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों को इन राज्यों में भेेजकर मध्यप्रदेश, उड़ीसा, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ के कानून कायदों और प्रक्रियाओं का अध्ययन कराया गया है।

अब चारों राज्यों में बजरी, मेजर मिनरल, माइनर मिनरल, नीलामी प्रक्रिया, ई रवन्ना या राजस्व वसूली व्यवस्था, खनिज परिवहन वाहनों की ट्रेकिंग व्यवस्था और अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने के प्रावधानों और जुर्माना की राशि व उसकी वसूली व्यवस्था की तुलनात्मक रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं ताकि इसके अनुसार राज्य की आवश्यकता, उपयोगिता के अनुसार आत्मसात् किया जा सके।

अग्रवाल ने बताया कि मध्यप्रदेश में बजरी को लेकर 2019 से अलग से नियम बनाए हुए हैं। इसी तरह से माइनर मिनरल में एक भी ऑक्शन नहीं होकर आवंटन की प्रक्रिया है। अधिकांश प्रदेशों में राज्य के खनिज निगम द्वारा खोज कार्य भी किया जा रहा है। इसी तरह से अधिकांश प्रदेश खान क्षेत्र में एसबीआई केप जैसी बाहरी विशेषज्ञ संस्थाओं का सहयोग लिया जा रहा है। मध्यप्रदेश में प्री बिडिंग मीट आदि का आयोजन कर सीधा संवाद कायम किया जाता है, जिससे अधिक नीलामी में अधिक राजस्व मिलने की संभावना रहती है। उन्होंने बताया कि अन्य प्रदेशों की व्यवस्थाओं को राजस्थान के संदर्भ में परीक्षण कर निर्णय किया जाएगा।

निदेशक माइंस केबी पण्डया ने बताया कि कई संदर्भों में राजस्थान सरकार के प्रावधान अन्य प्रदेशों से अधिक कारगर, पारदर्शी और उपादेय है। उन्होंने बताया कि सभी संबंधित का तुलनात्मक अध्ययन कर राज्य सरकार को रिपोर्ट दी जाएगी। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में छोटे ब्लॉक तैयार कर नीलामी की व्यवस्था भी है।

– राजस्थान से राजूचारण

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