जब ईश्वर की बनाई व्यवस्थाओं पर पानी फिर सकता है तो रेडीमेड इंसानों की औकात ही क्या है ?

बाड़मेर – ईश्वर ने मौसम की जो व्यवस्थाएं बनाई है उसके अनुसार मई माह में भारत के अधिकांश हिस्सों में भीषण गर्मी पड़नी चाहिए। गर्मी भी ऐसी कि समुद्र का पानी उबलने और रेगिस्तान की रेत जैसे आग उगलने लगे। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार इन दिनों सूरज की किरणें सीधी भारत की धरती पर आती है, इसलिए ऐसी गर्मी पड़ती है।यानी प्रथ्वी पर मौसम की यह व्यवस्था ईश्वर ने बनाई है, लेकिन समुद्र के किनारे वाले राज्य कर्नाटक, तमिलनाडु, गोवा, महाराष्ट्र और गुजरात सहित अन्य प्रदेशों में लोग देख रहे हैं कि मई माह के मध्य में आसमान से जोरदार पानी टपक रहा है। वहां पर मौसम ठंडा हो गया है। यानी ईश्वर ने श्रद्धालुओं के लिए जो व्यवस्था बनाई उस पर पानी फिर गया है। समुद्र से उठे तूफान ने मौसम में ऐसा परिवर्तन किया कि मौसम विज्ञानी भी आजकल सोच में पड़ गए हैं। सवाल तूफान की तबाही का नहीं है, सवाल तूफान के आने और मौसम तंत्र-मंत्र के बिगड़ने का है? आखिर ऐसा क्या हुआ कि एक तूफान ने ईश्वर की व्यवस्थाओं पर भी पानी फेर दिया?

पहले कहा गया कि यह तूफान समुद्र किनारे वाले राज्यों पर ही असर करेगा, लेकिन कल परसों आने वाले तूफान रेगिस्तान माने जाने वाले राजस्थान में घुस आएगा। रेतीले राजस्थान में तो समुद्र नहीं है, लेकिन फिर भी प्रदेश के सरहदी जिलों में इस तूफान का खासा असर है। जब राजस्थान में तूफान की तेज हवाएं और बरसात बिजली के खंभे से लेकर पेड़ तक उखड़ रही हैं, तब समुद्र किनारे महाराष्ट्र गुजरात, गोवा आदि राज्यों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।

जो लोग अपने किए कार्यों पर अभिमान घमंड करते हैं, उन्हें इस तूफान से सबक लेना चाहिए। जब ईश्वर की बनाई ऋतुएं बदल सकती है, तब इंसान की क्या औकात है। कुछ लोग कह सकते हैं कि इंसान ने प्रकृति के साथ जो छेड़छाड़ की है, उसी का परिणाम यह तूफान है। ऐसे ही लोग इसे ग्लोबल वार्मिंग का परिणाम बता रहे हैं। प्रकृति को जानने वाले विज्ञानी कुछ भी कहे, लेकिन यह तूफान इंसान को सबक सिखाने वाला जरूर है।

भारत के लोकतंत्र में आजकल बहुत से लोग घमंड करते हैं। ऐसे लोग भी इस तरह आने वाले तूफानों से सबक ले सकते हैं। हमारे देश के लोग पहले ही कोरोना भडभडी वायरस की वजह से लाखों करोड़ों लोग परेशान रहे, उस पर पिछले साल भी ताऊ-ते तूफान आ गया है। जब 175 से 200 किलो प्रति घंटे की रफ्तार से हवा और पानी एक साथ आ रहे हों, तब इंसान की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। इंसान के बनाए हुए आलीशान बंगले और पक्के मकान कुछ ही क्षणों में धराशाई होकर मिट्टी के ढेर में तब्दील हो गए।

हर बार की तरह इस बार भी सरकारी सिस्टम चाक चौबन्द रहेगा और वही पुराने तूफान के दौरान आने वाली आंधी – बारिश व गर्मी बढ़ने के साथ ही विद्युत उपकरणों के अधिक गर्म होने के कारण उसमें आगजनी, शॉर्ट सर्किट व तार टूटने की घटनाए होती रहती हैं। इसलिए आमजन विद्युत ट्रांसफॉर्मर के पास, विद्युत लाईनों के नीचे कोई हाथ ठेले, कोई झोंपे, कोई पशु बाड़े नहीं लगाए जाए। साथ ही कोई सामाजिक आयोजन नहीं किए जाए व वाहनों को भी विद्युत ट्रांसफॉर्मर व विद्युत तारों के पास खड़े नहीं किए जाए। उन्होने बताया कि विद्युत तंत्र से सुरक्षा की दृष्टि से विद्युत तारों व ट्रांसफॉर्मर को नहीं छुए और विद्युत तंत्र से निर्धारित दूरी बनाकर रखते हुए विभाग से पूर्व अनुमति लेने के बाद ही किसी प्रकार का निर्माण कार्य किया जाए ताकि किसी प्रकार की विद्युत दुर्घटना घटित नहीं हो। इसके साथ ही साथ भारी वाहन व बस चालको से अपील की जाती हैं कि वह वाहनों की नियमानुसार उंचाई से अधिक उंचाई पर वाहनो को नहीं चलावें ताकि रोड़ क्रॉसिंग वाली विद्युत तंत्र से निर्धारित दूरी रखकर ही वाहन का संचालन हो और किसी भी प्रकार की जैसलमेर बस हादसे की तरह से होने वाली विद्युत दुर्घटनाओं से बचा जा सके।

– राजस्थान से राजूचारण

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