क्या सरकार अब जीएसटी विवाद से विश्वास की ओर चल पड़ी है?

जीएसटी परिषद की 48वीं की बैठक में लिए गए निर्णयों से यह लगने लगा कि सरकार ने अब ‘जीएसटी विवाद से विश्वास की ओर’ ले जाना चाहती है। केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण के एक बयान से लगने लगा है कि अब सरकार जीएसटी के अन्तर्गत विवादों को सुलझाने के साथ पंजीकृत डीलर्स की संख्या में भी बढ़ोतरी करने के मूड में आ गई है।

जैसाकि जीएसटी परिषद की 48वीं की बैठक में जीएसटी को विवाद के विश्वास की ओर बढ़ने के सोच के साथ वर्ष 2017-18 एवं 2018-19 के मिसमैच के मामले में समाप्त करने करने के इन वर्षो में जीएसटीआर-2ए एवं बी के लागू न होने के कारण मिसमैच के मामले सामने आ रहे थे, अतः अब पोर्टल पर जीएसटीआर-2ए एवं बी को एक्टिवेट करते हुए इन दोनों वर्षो में सामने आ रहे ‘मिसमैच’ को भी समाप्त करने के लिए गंभीर एवं सराहनीय निर्णय लिया गया है।

आपको बता दें कि हमारी संस्था ‘नेशनल फोरम’ लगातार इसकी मांग करती आ रही थी कि वर्ष 2017-18 एवं 2018-19 के दौरान जीएसटीआर-2ए एवं बी एक्टिवेट न होने के कारण भारी संख्या में मिसमैच सामने आ रहे थे, जिनके चलते विभाग लगातार पंजीकृत डीलर्स को नोटिस भेजते हुए टैक्स आरोपित करने के साथ ब्याज की भी मांग करने लगे थे, जिनके कारण पंजीकृत डीलर्स में भारी असंतोष व्याप्त होने लगा था, साथ ही इस प्रकार के वादों पर अनेक माननीय उच्च न्यायालयों ने भी इस प्रकार से टैक्स आरोपण एवं वसूली पर सरकार के खिलाफ अनेक निर्णय दिये थे। इस निर्णय के साक्षेप में जीएसटी परिषद के निर्णय की संस्तुति के सरकार द्वारा 27 दिसम्बर 2022 को परिपत्र संख्या 183/15/2022-जीएसटी जारी करते हुए लिए गये निर्णय को प्रभावी कर दिया। अब पंजीकृत डीलर्स का यह दायित्व होगा कि वह अपने अधिवक्ता के साथ मिल कर इस प्रकार के मिसमैच को समाप्त करायें।

बैठक में केंद्रीय माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 की धारा-75;2द्ध के प्रावधानों की प्रयोज्यता और सीमा पर इसके प्रभाव के सम्बन्ध में स्पष्टीकरण परिपत्र संख्या 185/17/2022-जीएसटी दिनांक 27 दिसम्बर 2022 में जारी कर दिया। जिसके बारे में लम्बे समय से विभिन्न संस्थाओं द्वारा मांग की जा रही थी। इसी प्रकार परिपत्र संख्या 184/16/2022-जीएसटी दिनांक 27 दिसम्बर 2022 में एकीकृत माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 की धारा-12 की उप-धारा ;8द्ध के प्रावधान के अनुसार आपूर्ति की जगह निर्धारित होने पर इनपुट टैक्स क्रेडिट की पात्रता पर स्पष्टीकरण जारी करने के साथ ही अन्य परिपत्र संख्या 188/20/2022-जीएसटी दिनांक 27 दिसम्बर 2022 द्वारा अपंजीकृत व्यक्तियों द्वारा रिफंड के लिए आवेदन दाखिल करने का तरीका निर्धारित करने के संदर्भ में निर्देश जारी किया। इसकूे अतिरिक्त जीएसटी नियमावली के नियम 37 उनपनियम ;1द्ध को भी संशोधित करने का निर्णय लिया गया। आप स्वयं ही जानते हैं कि नियम 37 का उप नियम ;1द्ध जिसमें ‘‘प्रतिफल के असंदाय की दशा में इनपुट कर प्रत्यय की वापसी’’ का प्रावधान रखा गया है, इस प्रावधान से खरीदार बहुत ही प्रभावित हो रहे थे।

उधर केन्द्रीय वित्त मंत्री ने माना कि देश की कुल जनसंख्या के साक्षेप में पंजीयन कम हैं। इस विषय पर केन्द्रीय वित्त मंत्री का एक बयान समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ। यह बयान बहुत ही महत्वपूर्ण है उल्लेखनीय है कि हम और आप यह अनुभव कर रहे थे कि सरकार का यह कड़ा प्रयास था कि कैसे-न-कैसे प्रतिमाह राजस्व संग्रह बढ़ाया जाये, और दिसम्बर 2020 से यह राजस्व बढ़ा भी और दिसम्बर 22 में प्रतिमाह 1.49 लाख करोड़ पर पहुंच गया। जबकि यह राजस्व वसूली की राशि 3 लाख करोड़ से भी अधिक हो सकता है।

हमारा हमेशा से ही मानना रहा है कि सरकार जीएसटी नीतिओं में वास्तविकताओं को देखने से बचती रही है। हमारी संस्थाओं के प्रतिनिधि मंडल ने उच्चाधिकारियों एवं केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री के बैठकों में यही मांग करते हुए प्रश्न किया कि देश की कुल आबादी 136 करोड़ के साक्षेप में मात्र 1.4. करोड़ पंजीकृत डीलर्स की संख्या से क्या आप संतुष्ट हैं, लेकिन तब हमको कोई उत्तर नहीं मिला लेकिन गत दिसम्बर 2022 माह में वित्त मंत्री के बयान से उत्तर मिल गया और उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री की दिशा-निर्देश में प्रदेशभर में व्यापक सर्वे करवाते हुए पंजीयन बढ़ाये जाने के प्रयास हुए, भले ही समाचार पत्रों ने इसको छापेमारी का नाम दिया। यह तय मान लेना चाहिए कि उत्तर प्रदेश में यह सैम्पल सर्वे था और प्रदेश सरकार को सफलता भी मिली भले ही मुख्यमंत्री ने इस पर 12 दिसम्बर को रोक लगा दी। लेकिन तुरन्त बाद केन्द्रीय वित्त मंत्री का बयान कि ‘जीएसटी का दायरा बढ़ोगा, तीन करोड़ करदाता का लक्ष्य’ स्पष्ट कर रहा है कि अब हमारी मांग के अनुरुप सरकार तरह-तरह के कड़े प्रावधान लागू करने के बजाय पंजीकृत डीलर्स की संख्या बढ़ाकर प्रतिमास का राजस्व संग्रह लक्ष्य बढ़ाएगी, इस ओर प्रयास किये जाने लगे हैं। इस संदर्भ मंे सीबीआईसी के प्रमुख विवेक जौहरी का एक बयान महत्व रखता है कि ‘‘1 जुलाई 2017 को लान्च किए गए जीएसटी में साढ़े पांच साल के बाद भी कम यानि 1.40 करोड़ की संख्या में करदाताओं के होने विभाग के राजस्व के नुकसान होने की जानकारी मिली है’’। अर्थात सरकार मानने लगी है कि 1.40 करोड़ की संख्या कम है।

हम यहां पर सरकार का ध्यान आकृष्ट करना चाहते हैं समय-समय पर हमारे प्रधानमंत्री ने यह मानते हंै कि भारत विश्व का सबसे बड़ा बाजार के रुप में स्थापित हो चुका है। लेकिन प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि विश्व के बड़े बाजार के रुप में स्थापित होने के बावजूद भी सरकार को अपेक्षित राजस्व नहीं मिल सका है, क्यों ??

यदि सरकार ने पंजीकृत डीलर्स की संख्या को बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित करते हुए ईमानदारी से प्रयास करती है तो हम दावे के साथ कह सकते हैं कि जीएसटी राजस्व का प्रतिमाह का लक्ष्य 3 लाख करोड़ से कहीं अधिक 5 से 6 करोड़ भी हो सकता है। इसके साथ यह भी विचार करना होगा कि जब देश में 3 करोड़ पंजीकृत डीलर्स होंगे तो अधिवक्ताओं का कामकाज के कितने प्रतिशत वृ(ि हो सकती है!!
हमारी संस्था का मानना कि सरकार को अब पुरानी सोच को त्यागते हुए नयी सोच के साथ नीति निर्धारण करते हुए नीतिओं को लागू एवं प्रभावी की जाये और देश में ‘टैक्स वातावरण को विकसित किया जाये।
-पराग सिंहल

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