सीमान्त गाँवो के साथ सीमाओ को जोडने वाला पुल बनकर तैयार

उत्तराखंड/तपोवन-ऋषि गंगा रैंणी आपदा का आज 27वाँ दिन है,इसी जलआपदा में जोशीमठ-मलारी हाईवे बॉर्डर रोड पर ऋषि गंगा पर 90मीटर लंबे रैंणी पुल के बहने पर इसके विकल्प के रुप में बीआरओ टीम के अथक प्रयासों से तैयार किया वैली ब्रिज,आज दोपहर किया गया ।इस वेली व्रिज का निर्माण होने से मलारी नीति बॉर्डर रोड पर आवाजाही सुचारु हुई ,60मीटर लंबा यह रेणि वेली ब्रिज उतराखंड का सबसे लम्बा वैली ब्रिज है,आज 28दिनों बाद मलारी बॉर्डर के डेढ़ दर्जन गाँव फिर से जल आपदा के बाद यातायात की सुविधा से जुड़ गये,बी०आर०ओ की ओर से क्षतिग्रस्त पुल का निर्माण निर्धारित समय से 15 दिन पहले पूर्ण कर लिया गया है। पुल के सुचारु होने के बाद नीति घाटी के यातायत सुविधा से वंचित 13 गांवों को आवाजाही की सुचारु सुविधा मिल गयी ।
गौरतलब है कि सात फरवरी को ऋषिगंगा नदी में हिमखंड टूटने से आई जलप्रलय के दौरान भारत-तिब्बत सीमा क्षेत्र में सड़क सुविधा प्रदान करने वाले जोशीमठ-मलारी हाईवे पर रैंणी में बना पुल क्षतिग्रस्त हो गया था। जिसके बाद से यहा बीआरओ की ओर से यहां सीमा क्षेत्र और घाटी के 13 गांवों को यातायात सुविधा से जोड़ने के लिये वैली ब्रिज का निर्माण किया जा रहा था। 22 दिनों की मशक्कत के बाद यहां बीआरओ की ओर से यहां 60 मीटर लम्बाई का वैली ब्रिज तैयार कर लिया गया है। पुल पर जहां फैब्रिकेशन का कार्य पूर्ण हो चुका है। पुल पर बीआरओ की ओर अंतिम चरण में सुरक्षात्मक कार्य पूर्ण किये जा रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार आगामी शुक्रवार को पुल से वाहनों की आवाजाही सुचारु कर दी जाएगी।
रैंणी में बना उत्तराखंड का अभी तक का सबसे लम्बा वैली ब्रिज
जोशीमठ-मलारी हाईवे पर रैंणी में बीआरओ की ओर बनाया वैली ब्रिज उत्तराखण्ड में अब तक बनाये गये वैली ब्रिज में सबसे अधिक लम्बाई का वैली ब्रिज है। ब्रिज की लंबाई लगभग 60 मीटर है। ऐसे में पुल की सुरक्षा को देखते हुए पुल पर तीन मंजिला फैब्रिकेशन कार्य किया गया है। वहीं पुल निर्माण के लिये जम्मू कश्मीर के पठानकोट, उत्तराखंड के उत्तरकाशी, पिथौरागढ़ से सामान मंगवाया गया है। पुल निर्माण करने वाले अधिकारियों के अनुसार पुल पर 40 टन वजन के वाहनों की आवाजाही सुगमता से हो सकेगी।

– अनिल राणा, चमोली

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