सीएम के सपने को पलीता: वृक्षारोपण के 7000 पौधों को जमीन निगल गई या आसमान खा गए

*सीएम योगी की घोषणा एक वर्ष से अधिक का समय बीतने के बाद भी नहीं रखी जा सकी विकास कि एक ईंट

*अध्यक्ष की बीमारी के बाद से नगर पंचायत की कमान पूरी तरह है ईओ के हाथ में

गोरखपुर – सीएम का जिला होने के बावजूद सरकारी योजनाएं सरकारी अफसरों के कारनामे से कैसे दम तोड़ती हैं इसका उदाहरण अगर देखना हो तो संग्रामपुर कस्बा उर्फ उनवल चले आइए । स्वच्छता अभियान से लेकर शौचालय और ओडीएफ घोषित करने के अलावा सघन पौधारोपण अभियान में यहां तैनात अधिशासी अधिकारी मनोज श्रीवास्तव ने न सिर्फ अपने उच्चाधिकारियों की आंखों में धूल झोंकने का काम किया है बल्कि उनवल के विकास के लिए सीएम योगी के सपने को हकीकत के धरातल पर उतरने से रोक दिया। इससे न सिर्फ सरकारी धन का नुकसान हुआ बल्कि उनवल का विकास ही अवरुद्ध हो गया । यह सब कुछ इसलिए सम्भव हो सका कि नगर पंचायत अध्यक्ष उमाशंकर निषाद नगर पंचायत बनने के शुरुआती दिनों की भाग दौड़ में अपना ख्याल नही रख सके और बीमार हो गए।
बताते चलें कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद संग्रामपुर उर्फ उनवल को नगर पंचायत का दर्जा दिया। जिले के दक्षिणांचल में विकास की शुरुआत एक तरह से कहा जाए तो उनवल से की गई जिसके लिए मुख्यमंत्री ने बाकायदा करोड़ों की योजनाओं का शिलान्यास किया और इस कड़ी में उनवल नगर पंचायत के लिए नए भवन का निर्माण भी शामिल था लेकिन एक वर्ष से अधिक का समय बीत जाने के बावजूद भी नगर पंचायत उनवल आज अपनी पुरानी स्थिति में ही है।
साफ सफाई की बात करें या पीने की पानी की बात करें या जलजमाव की बात करें या शौचालय की बात करें या फिर गड्ढों में तब्दील सड़कों की बात करें। आज उनवल का विकास वहीं ठहरा हुआ है जहां से सीएम योगी ने इसके विकास की बात कही थी।
सफाई के नाम पर लाखों खर्च हो रहे हैं, मोबाइल शौचालय के नाम पर लाखों खर्च हो गए लेकिन आज भी कस्बे की बजबजाती हुई नालियां और सड़कों पर फैला गंदा पानी और लावारिस पड़ा मोबाइल शौचालय हकीकत बयान कर रहा है।
सीएम योगी ने उनवल नगर पंचायत को नया भवन देने के लिए धन अवमुक्त किया लेकिन नए भवन के लिए अभी एक ईट भी नहीं रखी जा सकी जबकि पुराने भवन के मेंटेनेंस पर लाखों रुपये खर्च किया जा रहा है।
बात करें सघन वृक्षारोपण अभियान की तो खुद अधिशासी अधिकारी मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि उनवल में लगभग सात हजार पौधों का रोपण किया गया जिसमें से दो हज़ार चालीस पौधे उनवल ग्राम पंचायत के लिए और शेष पांच हजार पौधे संग्रामपुर कस्बा उर्फ उनवल नगर पंचायत के लिए आवंटित किया गया था जिसका रोपण करा दिया गया है। हालांकि पौधों का रोपण कहां हुआ इसका जवाब ईओ साहब नहीं दे पाए । उल्टा उन्होंने पौधों को ही दोषी ठहरा दिया कि वह छोटे और खराब बीज के थे । वहीं जब हमने सघन पौधारोपण की हकीकत जानने के लिए नगर पंचायत उनवल के विभिन्न इलाकों में गए तो कई जगह पौधे सड़कों पर लावारिस बिखरे मिले।
बहरहाल कागजों में तो यहां सात हजार पौधों का रोपण कर अधिशासी अधिकारी ने अपनी पीठ ठोंक ली लेकिन सवाल यह है कि सात हजार पौधे आखिर गए तो कहां गए ? इन्हें जमीन निगल गई या आसमान खा गए।

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