सावन के तीसरे सोमवार पर श्रद्धा से गूंजे शिवालय: कोरोना के खौफ पर भारी आस्था

फतेहगंज पश्चिमी, बरेली। सावन के सोमवार पर अमावस्या का योग कम ही बनता है लेकिन इस बार सावन के तीसरे सोमवार पर अमावस्या होने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ गया। जिसके कारण पिछले सोमवार के मुकाबले मंदिरों पर इस बार अच्छी खासी भीड़ देखी गई। कोरोना के बीच भी भारी तादाद में भक्त मंदिरों पर पहुंचे। सोमवार को शहर से लेकर देहात तक के शिवालयों में लंबे समय बाद बम बम बोले व हर हर महादेव के जयकारों की गूंज सुनाई दी। हालांकि कोरोना की वजह से सुबह के समय श्रद्धालुओं की एक बार भीड़ लगी। जैसे जैसे दिन चढ़ता गया, श्रद्धालुओं की संख्या कम हो गई। सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस ने विशेष प्रबंधन किए। हर मंदिर के बाहर होमगार्ड व पुलिस कर्मचारियों की तैनात की गई। कहा जा सकता है कि कोरोना के खौफ पर आस्था भारी पड़ी। मंदिरों के लिए कोविड-19 के तहत सरकार की ओर से गाइडलाइन जारी की गई है। जिसमें तमाम तरह की पाबंदियां हैं। इस गाइडलाइन की जमकर धज्जियां उड़ाकर मंदिर व्यवस्था पर को नहीं सैकड़ों भक्तों को संकट में डालने का काम किया है। शहर के मढ़ीनाथ मंदिर पर सुबह से ही भक्तों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी। अपनी बारी का इंतजार करने वालों की लंबी लाइन लगी हुई थी लाइन में फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन पुलिस द्वारा कराया जा रहा था। पुलिस की सख्ती की वजह से मंदिरों में पहुंचे भक्तों ने मास्क पहने रखे थे। लेकिन मंदिर व्यवस्थापक की ओर से गाइडलाइन के मुताबिक किसी तरह की व्यवस्था नहीं की गई थी। मंदिर में घंटा बजाने व शिवलिंग पर जल चढ़ाने की कोई पाबंदी नहीं थी। इसके अलावा कस्बा फतेहगंज पश्चिमी के टोल प्लाजा स्थित शिव मंदिर पर सुबह से भक्तों की भीड़ जुटने शुरू हो गई थी। यहां पर भक्त न तो सोशल डिस्टेंसिंग और न ही मास्क का प्रयोग कर रहे थे। मंदिर के व्यवस्थापक की ओर से गाइडलाइन के अनुसार कोई भी व्यवस्था नहीं थी। यहां पर भक्तों को शिवलिंग पर जल चढ़ाने और घंटा बजाने पर भी कोई पाबंदी नहीं थी। शहर के अलखनाथ मंदिर पर सुबह से भक्तों की भीड़ शुरू हो गई थी। यहां गाइडलाइन का पालन कराने के लिए पहले से पूरी व्यवस्था कर ली गई थी। भक्त घंटा न बजा सकें इसके लिए घंटों पर कपड़े बांध दिए गए थे। दूर दूर तक जल की व्यवस्था नहीं थी जितने भी नल से उनके हत्थे निकाल दिए गए थे। ताकि भक्त जल चढ़ाने की चेष्टा न करें। मंदिर प्रांगण के आस पास एक भी प्रसाद की दुकाने नहीं लगने दी गई थी। वह बाहर से फूल पन्नी लेकर पहुंच रहे थे तो उन्हें अंदर ले जाने की अनुमति नहीं थी। बाहर ही रखवा दी जा रही थी। मंदिर प्रांगण में एक बार में छह लोगों को ही प्रवेश मिल रहा था। उससे पहले बाहर ही उनकी थर्मल स्क्रीनिंग की जा रही थी। मंदिर के बाहर सोशल डिस्टेंसिंग के पालन के लिए पहले से बनवाए गए गोलों में ही भक्तों को खड़ा किया गया था। मुख्य मंदिर के दोनों द्वारों को जालीदार दरवाजे से बंद कर दिया गया था। मंदिर व्यवस्थापक ने ऐसी व्यवस्था केवल भक्तों को कोरोना के संकट से बचाने की मंशा से की थी।।

बरेली से कपिल यादव

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