समाज सेवा ही मानव का नैतिक दायित्व-स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश/ उत्तराखंड- महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, पर्यावरणविद्, समाज से परित्यक्त जनों, कुष्ठ रोगियों, पीड़ितों की सेवा व समाज सेवा के कार्यों में अपना जीवन समर्पित करने वाले, महान समाजसेवी, पद्मविभूषण डॉ.मुरलीधर देवीदास आमटे(बाबा आम्टे ) जी की पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि बाबा आमटे एक ऐसे मसीहा थे जिन्होंने नर में ही नारायण को खोजा और नर सेवा को ही नारायण सेवा के रूप में स्वीकार कर अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि कुष्ठ रोगियों को आज भी कई स्थानों पर समाज की मुख्य धारा से अलग रखा जाता हंै बाबा आमटे ने दिल से उनकी सेवा की और उसी को जीवन का ध्येय बना लिया। गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन से प्रेरणा लेकर बाबा आमटे 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जेल भी गए। तत्पश्चात उनका सेवाभावी हृदय कुष्ठ रोगियों की सेवा और समाज सेवा हेतु समर्पित हो गया। आनंद वन आश्रम आज भी उनकी सेवाओं की कहानियां कहता है।
स्वामी जी ने कहा कि भारत में राष्ट्र सेवा और समाज सेवा के प्रति समर्पित जीवन जीने वाले अनेक महापुरूष हुये जिनका जीवन युवाओं को लिये प्रेरणास्रोत है और वह समाज को पुरातन संस्कारों एवं मूल्यों को साथ लेकर आधुनिकता की ओर बढ़ने का संदेश भी देता है। भारतीय संस्कृति अपने आंचल में ‘विविधता’ को समेटे हुए है ‘विविधता में एकता’ के साथ मानवीय संबंधों, मानवता एवं समर्पण का संदेश देती है। आईये महापुरूषों के जीवन से प्रेरणा लेकर आधारभूत मूल्यों को आत्मसात कर सबके हित साधन के लिये जीने का संकल्प लें। हमारे समाज में जो असहाय, पीड़ित, संत्रस्त है उसकी सहायता के लिये आगे आयें यही मानव का नैतिक दायित्व और परम कर्तव्य भी हैं।’
बाबा आमटे ने समाज से परित्यक्त, कुष्ठ रोगियों, पीड़ितों को आश्रय दिया, सेवा की और साथ ही उन्हें जीवन का एक सूत्र भी दिया ‘श्रम ही है श्रीराम हमारा’। उन्होंने लोगों को सम्मान और गरिमा पूर्ण जीवन जीने हेतु प्रेरित किया। राष्ट्रीय एकता और राष्ट्र भावना जागृत करने के लिये बाबा आम्टे ने कश्मीर से कन्याकुमारी और असम से गुजरात तक दो बार भारत जोड़ो आंदोलन चलाया। पद्मश्री, राष्ट्र भूषण, पद्म विभूषण और मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित बाबा आमटे का जीवन पर्यावरण को समार्पित था ऐसे महान आत्मा को उनकी पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि।

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