लोगों को सुनने में अक्सर मिलता है फेक न्यूज़ : नारायण बारेठ

बाड़मेर/राजस्थान- आजकल जगह जगह पर अक्सर सुनने को मिलता है फेक न्यूज़…. इस शब्द ने संसार का सुख चैन छीन लिया, इसमें हाइटेक प्रणाली से लैस युवा पीढ़ी सहित मोबाइल फोबिया का डाटा कच्चे माल की तरह इस्तेमाल हो रहा है इसीलिए यह ध्वनि गूंज रही है – तुम मुझे डाटा दो ,मैं तुम्हे आटा दूंगा। जब से सोशल मीडिया का उभार हुआ है ,डाटा महत्वपूर्ण पदार्थ हो गया है l लिहाजा अब गूगल को भी लगा कि पत्रकारों को डाटा सत्यापन ,सोर्सिंग और डाटा साक्षरता के लिए जागरूक पारंगत किया जाये। इसी मकसद से गूगल इन्टेटिव न्यूज़ ने डाटा लीड्स की साझीदारी में जयपुर प्रेस क्लब में एक कार्यशाला आयोजित की गई।

इसमें पत्रकार ,मीडिया शिक्षक और पत्रकारिता पढ़ रहे विद्यार्थी शामिल थे। अच्छी संख्या में सीखने और सीखने वालों की भीड़ थी। इस जटिल मुद्दे की गुत्थी सुलझाने के लिए गूगल नेटवर्क के प्रमुख ट्रेनर प्रोफ उमेश आर्य ,राजस्थान में ट्रेनर और पत्रकार विशाल सूर्यकान्त ,डाटा एक्सपर्ट पियूष अग्रवाल ,प्रबंधक ज्योति राठोड मौजूद थे।विद्यार्थियों ने दिलचस्पी ली और बहुत मनोयोग से सुना।यह एक कठोर सच है कि फेक न्यूज़ के दबदबे के मुकाबले उससे निपटने के प्रयास बहुत कम है।पूरी दुनिया इससे त्रस्त है। जब ये आयोजन चल रहा था दिल्ली में खबर फ़ैल गई कि नोबल पीस कमेटी भारत के एक बड़े नाम को पुरस्कार देने जा रही है। नोबल कमेटी को इसकी काट करने में मानों पसीने आ गए।

भारत क्या पूरा यूरोप और अमेरिका सहित अन्य देश भी इससे परेशान है। अमेरिका में एक चुनाव में ट्रम्प केम्प ने खबर फैला दी कि ओबामा बाहरी है ,देश में पैदा नहीं हुए। ओबामा को जगह जगह पर अपना जन्म प्रमाण पत्र दिखाना पड़ा। यूरोपियन कौंसिल के अनुसार उसके दो तिहाई नागरिक हफ्ते में एक बार फेक न्यूज़ का सामना करने की शिकायत करते है। यूरोप के अस्सी फीसद लोगो ने माना फेक न्यूज़ उनके देश और लोकतंत्र के लिए एक बड़ा मुद्दा है l युवा पीढ़ी की आधी आबादी ने अपनी सरकारों से कहा है कि उन्हें फेक न्यूज़ से निपटने का हुनर सिखाये।

एक्सपर्ट इसके तीन रूप बताते है – Misinformation,disinformation and Mal Information/ पहली भ्रामक , दूसरी बिल्कुल गलत और तीसरी सूचना सही मगर इसे फ़ैलाने का मकसद बहुत ज्यादा हानिकारक। पश्चिम में प्रशासन अपने शिक्षकों और जागरूक लोगो से आव्हान कर रहा है कि समाज को इससे पार पाने का हुनर दे। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। वहां पर इसकी बहुत जरूरत है। गूगल ने कोई चार माह पहले ही यह कार्यक्रम अपने हाथ में लिया है।यह प्रशिक्षण की शृंखला है। इसके लिए देश के दो दर्जन शहर चुने गए है। इसमें अंग्रेजी और दस भारतीय भाषाएँ शामिल की गई है। विशाल सूर्यकान्त जयपुर से है। वे अच्छे पत्रकार और शिक्षक है। वे कई जगह लोगो को इसकी बेहतर तालीम दे चुके है। इसे और व्यापक करने की जरूरत है। कितना अच्छा हो ये हमारे राज्य की लगभग सभी ग्राम पंचायत स्तर तक पहुंचे।

ऐसा नहीं है कि फेक न्यूज़ के सभी खिलाफ है। कुछ इसके लाभान्वित भी है।उन्हें लगता है मुद्द्त बाद कोई उपयोगी हथियार उनके हाथ लगा है।इसमें में किसी भी सच्चाई को पल में ढेर कर सकते है। मार्क ट्वेन कहते थे जब तक सच चलने के लिए जूते पहनंने लगता है ,झूठ आधी दुनिया का सफर तय कर लेती है। माहौल इतना मुफीद है कि फेक न्यूज़ खुद महफ़िल में आकर कह दे कि वो फेक है तो भी हमारे लोग शायद नहीं माने।

लेखक टिम ओरियाली कहते है जिसकी मुट्ठी में डाटा है ,उसकी मुट्ठी में सत्ता है। सदियों से सुनते आ रहे है अंतत सत्य की जीत होती है। लेकिन सच्चाई को इतने बड़े इम्तिहान से शायद ही कभी गुजरना पड़ा हो l कार्यक्रम के अन्त में जयपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष मुकेश मीणा और उनके पत्रकार साथियों सहित पदाधिकरियों का आभार जताया गया।

– राजस्थान से राजूचारण

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