मध्यप्रदेश /शाजापुर- एलईडी बल्ब खरीद चुके लोग इन दिनों अपने आपको ठगा महसूस कर रहे हैं। दरअसल, पांच माह से डाकघर में बल्ब ही नहीं है। ऐसे में खराब हो चुके बल्ब बदलवाने के लिए वह चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन बल्ब कब आएंगे इसका किसी को अता-पता नहीं है। इधर गंगाजल की बोतलें तो एक बार आकर ही रह गई। गंगाजल भी लोगों को नहीं मिल पा रहा है। प्रदेश में बिजली की बचत को बढ़ावा देने के लिए एलईडीबल्ब योजना की शुरूआतसाल 2016 में की गई। उर्जा बचत का संदेश देने वाली उजाला योजना खुद अंधेरे में चल रही है, क्योंकि एलईडी बल्ब का टोटा हो चुका है। डाकघर में मिलने वाला बल्ब महज 70 रुपए की कीमत पर मिल जाता है,जबकि बाजार में मिलने वाले एलईडी ब्लब की कीमत ज्यादा है। ऐसे में उपभोक्ता हर दिन डाकघर में पूछताछ के लिए पहुंच रहे हैं, लेकिन बल्ब नहीं मिल पा रहे हैं।
योजना के लाभ से वंचित:- जानकारी अनुसार जिले में अब तक डेढ़ लाख से ज्यादा बल्ब बिक चुके हैं। नए बल्ब तो पांच माह से लोगों को मिल नहीं पा रहे हैं, ऐसे में वह पूछताछ कर लौट रहे हैं। समस्या उनकी है जो बल्ब ले चुके हैं लेकिन खराब होने के बाद रिप्लसमेंट वारंटी के चलते इन्हें बदलवाने आ रहे हैं। ऐसे में बल्ब खरीद चुके लोगों को खराब होने पर योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।उल्लेखनीय हैकि डाकघर से मिलने वाला बल्ब कम वॉट का होने से बिजली का खर्चा बचाता है जबकि उजाला काफी अधिक होता है। इससे 31 फीसद तक बिजली की बचत होती है।
गौरव व्यास शाजापुर