युवाओं को सृजन के कार्य में लगाने के संकल्प के साथ तीन दिवसीय विशाल युवा समागम का हुआ समापन

वाराणसी-आज 27 दिसम्बर से चल रहे प्रान्तीय युग सृजेता उत्तर प्रदेश का युवाओं को सृजन के कार्य में लगाने के संकल्प के साथ भव्य समापन किया गया । सर्वप्रथम श्रद्धेय कालीचरण शर्मा एवं श्रद्धेय चिन्मय पांड्या द्वारा दीप प्रज्ज्वलन एवं युवा संगीत ॥ आज युग पुकारता जाग नौजवान —॥ के साथ प्रातः कालीन सत्र का शुभारम्भ हुआ ।
आज गायत्री की उपासना क्यो? पर बोलते हुए श्रद्धेय कालीचरण शर्मा जी ने कहा कि आज युवा दिग्भ्रमित होते जा रहे हैं उन्हें क्या करें क्या न करें का बोध नहीं हो पा रहा हैं । गायत्री महामंत्र का सूर्योदय के समय जाप मस्तिक में सदविचारो को जगाता हैं । गायत्री महामंत्र हृदय में बुद्ध के समान धैर्य धारण करने की शक्ति के साथ सृजन कार्य हेतु उत्साह को जगाता हैं । आगे कहा की परम पूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्यजी ने गायत्री की आधी शक्ति हम सभी के लिये एवं आधी विश्व के गायत्री परिवार के साधकों को दे दिया हैं जो चन्दन सी शीतलता एवं कल्प वृक्ष सा सुख का अनुभव कराता हैं । आगे कहा की आलस्य शारीरिक शक्ति एवं प्रमाद मानसिक शक्ति का नाश करता हैं ।
आध्यात्मिकता एवं व्यक्तित्व विकास पर अपना उदबोधन देते हुए देव संस्कृति विश्वविधालय हरिद्वार के प्रति कुलपति श्रद्धेय चिन्मय पांड्या ने कहा कि आध्यात्मिक जीवन शैली ही युवाओं को महान बनाता हैं । इसका प्रत्यक्ष उदाहरण गांधी , सुभाष , विवेकानंद एवं शिवाजी में देखने को मिलता हैं । जिस तरह डूबते हुए इन्सान को सांस की जितनी तड़प रहता हैं उतना ही तड़प भगवान के लिये रखना ही आध्यात्म हैं । मनुष्य के जीवन का उद्देश्य मात्र मौज करने के लिये नहीं बल्कि अवसर को पहचान कर स्वंय को जानकर श्रेष्ठ लक्ष्य को प्राप्त करना यही सच्चा आध्यात्म हैं । युवाओं को संबोधित करते हुए कहा की आप अपने मन के बस में न रहे , मन एवं इच्छाओ को नियंत्रित करें और प्रयास करें की हमारी भावनाओ को सुने । यही आध्यात्म का प्रथम सूत्र हैं । अपने गुण -दोष को पहचाने और गुण को बढ़ाए यही आत्म सुधार हैं । ईश्वर पर पूरी निष्ठा और विश्वास ही आध्यात्म का दूसरा सूत्र हैं । मीरा के भजनों को भजने से अच्छा हैं मीरा के गुणों को अपने अंदर समाहित करें । आध्यात्म के तीसरे सूत्र को बताते हुए कहा की अहंकार से ऊपर उठे प्रतिस्पर्धा नहीं परिष्कार का पथ चुने । नाविक का उदाहरण देते हुए कहा की नाविक को भौतिक , रसायन , एवं गणित का ज्ञान भले ही न हो किन्तु तैरना एवं डूबते हुए लोगों को पूरी निष्ठा के साथ बचाना यही सच्चा आध्यात्म हैं ।
सायं 2बजे कार्यक्रम संयोजक श्री गंगाधर उपाध्याय के धन्यवाद ज्ञापन एवं जिला युवा समन्वयक श्री हरिशंकर मौर्य के स्वागत के साथ कार्यक्रम का भावभीनी समापन किया गया । कार्यक्रम में स्वामी वशिष्ठा नन्द जी की विशेष उपस्थिती रहीं । अग्रेतर क्रम में अगला युवा समागम कार्यक्रम हेतु बहराइच एवं स्रवस्ठ जिले को लाल मशाल सौपा गया ।
कार्यक्रम की संपूर्ण व्यवस्था श्रद्धेय श्री केदार प्रसाद दुबे एवं आशीष सिंह केंद्रीय प्रतिनिधि शांतिकुंज हरिद्वार की देख -रेख में पूरा किया गया।

रिपोर्टर:-महेश पाण्डेय वाराणसी

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