मनुष्य का जीवन है अनमोल मोह माया के जंजीर में बंध जाते है लोग! महंत ज्ञान प्रकाश

पटना/बिहार- देसरी प्रखंड क्षेत्र के लखनपुर ताल में संत मिश्रीलाल राय के सत्यलोक गमन को लेकर सत्संग का आयोजन किया गया. सत्संग में राजापकड़ कवीर मठ के मठाधीश महंत साहेव ज्ञान प्रकाश जी महाराज, जफराबाद मठ के मठाधीश गोबर्धन दास, संत योगेंद्र शरण नाथ, राजेन्द्र गोसाई, अशोक गोसाई, लालबाबू गोसाई, जगदीश गोसाई, रामदयाल राय, सुरेंद्र राय, रविंद्र राय, हरिवंश गोसाई मुख्य रूप शामिल हुए. सत्संग में आये सभी संतों का गुरुपूजन हरेंद्र गोसाई, रमेश राय, प्रमोद राय, जयलाल गोसाई ने किया.
महंत साहेव ज्ञान प्रकाश जी महाराज ने प्रवचन देते हुए कहे कि ब्रह्मचारी का दो मार्ग है, एक सन्यास का दूसरा गृहस्त का. अधिकतर लोग गृहस्त जिवन अपनाने है. जो मोह माया के जंजीर में बांध जाते है और अंत्योस्टि तक बांधे रह जाते है. गृहस्त को कर्म कांड करना होगा. कर्म कांड करने में लोग इतना आगे बढ़ जाते है कि उन्हें यज्ञ करना पड़ता है. गृहस्त बनाने में लोगों को तीन प्रकार की दुःखो भौतिक, बैदिक, आध्यात्मिक दुःख का सामना करना पड़ता है. सभी जीव जंतु में ईश्वर का वास है और ईश्वर उसमें वास करते है. सभी प्राणियों का शरीर उनका घर है. संसार की सभी वस्तुओं को ईश्वर देखते है. इसलिए सभी वस्तुओं को त्याग कर दो. किसी भी वस्तुओं का लालच नही करो. सभी का त्याग कर दो।
रिपोर्ट-नसीम रब्बानी, पटना/ बिहार

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