भारत को कमजोर दिखाने की होड़ में रहती हैं रेटिंग एजेंसी

देखने में आ रहा है कि देश के विपक्षी दलों के साथ वैश्विक रेटिंग एजेंसी भी भारत को नीचा दिखाने में कोई अवसर चूकना नहीं चाहती। इसी क्रम में अभी हाल ही में वैश्विक हैप्पी कंट्री की सूची जारी की गई जिसमें भारत को सूची में 126वें नंबर पर रखा गया। कितना हास्यावद है!

यह नहीं समझ परे हैं कि आंकलन एवं सर्वे रिपोर्ट बनाने का आधार का मापदंड क्या रखा गया!! जहां तक हमको ज्ञात हो रहा है इस प्रकार की रेकिंग एजेन्सी किसी भी देश को किसी भी क्षेत्र में रेंक देने के लिए वैश्विक एनजीओ एवं कुछ चुने हुए पत्रकारों की राय लेती है, इन एनजीओ का मुख्य काम क्या होता है, यह कोई नहीं जानता लेकिन यह विभिन्न देशों के बारे में अपनी राय व्यक्त करती हैं, अब प्रश्न उठता है कि क्या कुछ एनजीओ भारत जैसे देश की रेकिंग निर्धारित करने के लिए अधिकृत एजेन्सी कही जा सकती है? यह सर्वविदित है कि भारत की सम्प्रभुता पर कुछ परिवारों, एजनीओ आदि का वार करना नियम बन गया है तो ऐसी अवस्था में हैप्पी कंट्री की सूची में भारत को 126वें स्थान पर रखना स्वयं पर प्रश्नचिन्ह् लगा रहा है। एक प्रश्न और है कि क्या रेकिंग एजेन्सी ने इन हैप्पी देशों को हैप्पी देशांे की सूची में डालने से पूर्व क्या इन देशों के प्रति व्यक्ति आय, जनसंख्या, क्षेत्रफल के साथ औद्योगिक स्थिति का आंकलन किया?

मैंने गूगल पर सर्च किया तद्नूसार हैप्प्ी कंट्री में सूची के भारत से अधिक हैप्प्ी कंट्री के तुलना अंाकड़े रखने का प्रयास कर रहा हूं। अतः अब आप स्वयं की आकलन करें रिपोर्ट पर कि कितनी पक्षपात पूर्ण है और निराधार पूर्ण है। आपको याद होगा कि गत वर्षों में श्रीलंका किस आर्थिक बदहाली स्थिति से गुजरा था कि श्रीलंका के राष्ट्रपति को देश छोड़कर भागना पड़ा क्योंकि पर चीन का भारी कर्ज का बोझ इतना बढ़ गया कि मूल तो छोड़ो ब्याज का भुगतान भी नहीं कर पा रहा था और श्रीलंका की जनसंख्या की बात करें तो 214,13,299। अब बात करें पाकिस्तान का स्थान 108 नंबर पर जनसंख्या 220,892,340, जीडीपी 348 बिलीयन डाॅलर, औद्योगिक उत्पादन के क्षेत्र में जनवरी 23 में 7.82 प्रतिशत की गिरावट दर्ज देश में मुख्य उद्योग खनिज एवं विभिन्न घरेलू उद्योग और आर्थिक स्थिति का तो हाल सर्वविदित है ही। सभी देशों एवं संस्थानों के आगे कर्ज हेतु कटोरा लेकर घूम रहा है। विश्व बैंक ने ग्रे सूची में डालते – डालते रह गया, देश पर कुल कर्जो का मूल तो छोड़ों ब्याज का भुगतान भी नहीं कर पा रहा है, आम-जनता में भूखमरी का हाल है। पेट्रोल एवं अन्य आवश्यक सामग्री के भाव भी आसमान को छू रहे हैं तो क्या पाकिस्तान हैप्पी कंट्री की सूची में शामिल होने की स्थिति में है? अब बात करें बांग्लादेश की तो सूची में बांग्लादेश का स्थान 118 और आबादी 164,689,383। देश का मुख्य उद्योग कपड़ा, हां 1971 के बाद देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हुई है लेकिन कैसे भी हैप्पी कंट्री की श्रेणी में शामिल नहीं हो पा रहा है, नेपाल की आबादी 29,136,808 सूची में 78वां स्थान, देश का प्रमुख उद्योग पयर्टन। प्रति व्यक्ति आय 96,640 इस पर राजनीतिक हालात अस्थिर, जनता में सरकार के प्रति एकराय नहीं, लेकिन सूची में हैप्पी कंट्री।

अभी तक बात की एशिया देशों की तो अब बात करें यूरोपीय देशों की। प्रथम स्थान पर फिनलैंड, आबादी 116,5540,720 प्रति व्यक्ति आय 29 हजार यूएस डाॅलर, सबसे बड़े उद्योग इलेक्ट्राॅनिक्स (21.6 प्रतिशत- बहुत पुराना डाॅटा), मशीनरी, वाहन और अन्य इंजीनियर धातु उत्पाद (21.1 प्रतिशत), वन उद्योग (13.1 प्रतिशत), और रसायन ;10.9 प्रतिशतद्ध हैं। फिनलैंड में लकड़ी और कई खनिज और मीठे पानी के संसाधन हैं।

चैथे स्थान पर इस्रराइल, आबादी 8,655,535 प्रमुख उत्पादों में रसायन, प्लास्टिक, धातु, भोजन और चिकित्सा और औद्योगिक उपकरण शामिल हैं। तेल अवीव में केंद्रीत इजराइल का हीरा-कटिंग और पाॅलिशिंग उद्योग दुनिया में सबसे बड़ा है और विदेशी मुद्रा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। प्रति व्यक्ति आय 44,542 यूएस डाॅलर। तेरहवें स्थान पर कनाडा की आबादी 37,742,154 प्रति व्यक्ति आय 52,015 यूएस डाॅलर, मुख्य उद्योग खनिज, इश्योंरेंस, विज्ञान, आदि। अब अमेरिका 15वें स्थान पर 331,002,651 प्रति व्यक्ति आय 70,249 यूएस डाॅलर, मुख्य उद्योग हथियार उत्पादन, इश्योंरेंस सेक्टर, स्वास्थ्य सेवाएं जैसे उद्योग। अब बात ब्रिटेन की यानि यू.के. आबादी 67,886,011 प्रति व्यक्ति आय 56,510 यूएस डाॅलर। यूके की अर्थव्यवस्था में सेवा उद्योगों का प्रभुत्व है। इनमें रिटेल, हाॅस्पिटैलिटी, प्रोफेशनल सर्विसेज, बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन और फाइनेंस शामिल हैं। 2021 में, सेवा उद्योगों ने यूके की अर्थव्यवस्था में सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) में 1.70 ट्रिलियन का योगदान दिया, जो कुल यू.के. जीवीए का 80 प्रतिशत है। राजनीतिक अस्थिरता सर्वविदित है।

अब बात करें भारत की तो आबादी 138 करोड़, प्रति व्यक्ति आय 1,84 लाख, भारतीय अर्थव्यवस्था में प्रमुख उद्योग लोहा और इस्पात, कपड़ा, जूट, चीनी, सीमेंट, कागज, पेट्रोकेमिकल, पयर्टन, आॅटोमोबाइल, नगर निविर्माण, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), खनिज, रक्षा उत्पाद, हैंडीक्राफ्ट (विभिन्न उत्पाद) और बैंकिंग और बीमा हैं। साथ ही भारत के पास प्रत्येक क्षेत्र में अपने संसाधन है, पर्याप्त आय के स्रोत हैं, तुलना में सरकार को प्राप्त होने वाला राजस्व में प्रति वर्ष बढ़ोतरी हो रही है। जो विकास को दर्शाता है।

आप स्वयं ही उपरोक्त तथ्यों के आधार पर तुलना करते हुए निर्धारित करना होगा कि क्या भारत को 126वें स्थान पर रखा जाना औचित्यपूर्ण कहा जा सकता है!! यह स्थान केवल भारत के प्रति र्दुभावना व्यक्त करता है। लेकिन यह सत्य है कि विश्व के देशों में भारत की स्थिति और छवि बहुत ही स्पष्ट और ताकतवर देश के रुप में होती जा रही है। इसके अतिरिक्त वैश्विक स्तर पर व्यापारिक क्षेत्र से जुड़ी निर्माता कम्पनियां भी भारत को सबसे बड़े बाजार के रुप में देखने लगी है। इसी आकर्षण के चलते विश्व के बड़ी निर्माता कम्पनियां अपनी निर्माण इकाईयों को भारत के मेक इन इंडिया एवं आत्म निर्भर भारत योजना के अन्तर्गत स्थापित करने के लिए आतुर हो रही हैं। अब इस बात में कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि भारत शीघ्र ही विश्व के बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर तीव्र गति से अग्रसर हैं, इसके साथ ही हम कह सकते हैं कि भारत कभी भी अनहैप्पी देश की श्रेणी में शामिल ही नहीं था। केवल किसी कूटनीति या राजनीतिक कारणों से वह लोग भारत को किसी भी श्रेणी में शामिल कर दिखाकर भारत में राजनीतिक स्थिरता को खत्म करने के उद्देश्य है हम यह दावे के साथ कह सकते हैं भारत की जनता हमेशा खुश या हैप्पी रहते हैं और हमेशा स्वयं को आत्मनिर्भर होकर देश को आगे बढ़ाने के लिए अग्रसर होते हैं।

-पराग सिंहल

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