बरेली/फतेहगंज पश्चिमी। 93 लोगों की रेस्क्यू टीम पांच दिन से रबड़ फैक्ट्री के जंगल में घूम रही अकेली बाघिन को तलाश रही हैं मगर उसकी परछाई भी नहीं मिल पा रही है। उसकी किसी भी कमरे में कोई तस्वीर भी कैद नहीं हुई है। रेस्क्यू टीम के अधिकारियों का मानना है कि रवड फैक्ट्री में टीम की चहल कदमी के बाद से वह और भी सतर्क हो गई है। अब टीम के पास इंतजार करने के अलावा दूसरा रास्ता नहीं है। फिलहाल टीम ने कैमरों की संख्या बढ़ा दी है। अंदाजा लगाया जा रहा है कि बाघिन रबड़ फैक्ट्री के किसी गोदाम में छुप कर बैठ गई। वहां से निकल ही नहीं रही है। रविवार को भी पूरे दिन टीमों ने बाघिन की तलाश को कांबिंग की। शनिवार तक का रेस्क्यू टाइम दिया गया था, जो पूरा हो गया। विशेषज्ञों का कहना है रविवार की रात बाघिन के बाहर आने की उम्मीद है। इसलिए फैक्ट्री में वायरलैस कैमरा दो की जगह 10 लगाए गए हैं, जबकि 22 सीसीटीवी सेंसर कैमरा लगे हैं।
93 लोगों की टीम चार दिन से छान रही खाक
बाघिन पकड़ने के लिए वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ देहरादून, कानपुर जू, टाइगर रिजर्व दुधवा नेशनल पार्क, हल्द्वानी, लखनऊ आदि जगह से टाइगर विशेषज्ञों की टीम लगी है। इस टीम में 93 लोग हैं जिसमें प्रमुख 40 सदस्य ट्रेंकुलाइज करने के लिए नामित किए गए हैं। बुधवार से रेस्क्यू शुरू हुआ। गुरुवार से वायरलेस कैमरे, चार मचान और दो पानी की टंकियों पर निगरानी के ठिकाने बनाए गए। मगर चालाक बाघिन के सामने चार दिन से सारे इंतजाम बौने साबित हो रहे हैं।
मुख्य वन संरक्षक ललित वर्मा ने बताया कि रविवार को भी बाघिन की कोई लोकेशन ट्रेस नहीं हो सकी और न ही कैमरों में कोई फोटो कैद हुआ। संभवत: रात को बाघिन शिकार को बाहर निकलेगी। सभी टीमें मुस्तैद हैं। मौका देखते ही उसे पकड़ लिया जाएगा।।
बरेली से कपिल यादव