बच्चों का कैसे बने भविष्य :जब समय से नही आते अध्यापक

तंबौर/सीतापुर-विकासखण्ड बेहटा सीतापुर के अंतर्गत प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय इटौवा का नजारा सुबह ८:१५पर देखने लायक था,क्योंकि वहां पर बने प्राथमिक विद्यालय इटउवा तथा उच्च प्राथमिक विद्यालय में अध्यापक नही आये थे,प्राथमिक विद्यालय में कुछ बच्चे गेट के पास खड़े थे,तथा कुछ बच्चे स्कूल के बरामदे खड़े होकर अपने गुरुजनो का इंतज़ार कर रहे थे किंतु गुरुजनों का कहि अता पता नही था।बच्चे सुबह उठकर एक नई उम्मीद के साथ स्कूल आते हैं कि हमारे गुरुजी समय से स्कूल आ गए होंगे,लेकिन गुरुजी को तो बच्चों के भविष्य के साथ खेलना है,तो वो समय से क्यों आये।इन विद्यालयो में अध्यापकों की पर्याप्त संख्या है किंतु कोई भी अध्यापक अपना फर्ज निभा सकने में असमर्थ दिखाई पड़ता है।ग्रामीणों को तो ये भी नही पता कि स्कूल कितने बजे खुलता है,और कितने बजे बंद होता है।अभिभावक तो अपने बच्चों को यह सोंचकर स्कूल भेजते है कि मेरा बच्चा आगे चलकर एक नया मार्ग प्रशस्त करेगा,जिससे वो खुद,हमे और समाज के लिए कुछ अच्छा करेगा,लेकिन ऐसे अध्यापक अभिभावकों के सपनों को चकनाचूर कर रहे हैं, तथा बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।उच्च प्राथमिक विद्यालय में ८:१५पर न तो कोई शिक्षार्थी था और न कोई शिक्षक।बच्चो की कोई गलती नहीं है,जब समय से गुरुजन ही नही आते तो बच्चे विद्यालय आकर क्या करें यही सोंचकर बच्चे भी विद्यालय नही आते।ऐसे अध्यापकों से उच्च अधिकारियों से मोती रकम ली जाती है,नही तो शिकाय करने के बावजूद कोई कार्यवाही क्यों नही होती।अधिकारियों को जब अवगत कराया जाता है,तो वह यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं कि दिखवाकर आवश्यक कार्यवाही की जाएगी।अतः आवश्यक कार्यवाही के नाम पर क्या किया जाता है यह किसी से छिपा नही है।खाना पूर्ति करके फिर अनुपस्थित और देर से आना सामान्य प्रक्रिया हो जाती है,ऐसे भ्रष्ट अध्यापको की खिलाफ कब कार्यवाही होगी ये आने वाला समय ही बता सकता है।
– सुशील पांडे,सीतापुर

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