पीकू वार्ड में एईएस प्रभावित बच्चों का होगा इलाज

*वेक्टर रोग नियंत्रणार्थ स्वास्थ्य कर्मियों का  एकदिवसीय प्रशिक्षण 

  • एईएस/ जेई से प्रभावित मरीजों के इलाज की दी गई जानकारी

मोतिहारी/बिहार-  एईएस/जेई से प्रभावित बच्चों के  उचित प्रबंधन एवं पीकू /एईएस वार्ड में भर्ती कर इलाज सुनिश्चित करने को लेकर जिले के चिकित्सा पदाधिकारियों, एएनएम, जीएनएम एवं भीबीडीएस का एकदिवसीय प्रशिक्षण मोतिहारी सदर अस्पताल स्थित सभागार में हुआ। स्वास्थ्य कर्मियों का प्रशिक्षण सदर अस्पताल के एसएनसीयू के डॉ अमृतांशु, सदर अस्पताल  पीकू वार्ड के नोडल डॉ पंकज कुमार के द्वारा हुआ। मौके पर चिकित्सकों ने एईएस के इलाज में चलने वाली  दवाओं के डोज की जानकारी देते हुए बताया कि  चमकी के मामलों में इलाज की तुरंत व्यवस्था होनी जरूरी है।

10 बेड वाले पीकू वार्ड में एईएस प्रभावित बच्चों का होगा इलाज:

भीडीसीओ धर्मेंद्र कुमार व सत्यनारायण उराँव ने बताया जिले के सदर अस्पताल में 10 बेड वाले पीकू वार्ड में एईएस प्रभावित बच्चों का इलाज किया जाएगा।  साथ-साथ 1 से 12 वर्ष तक के अति गंभीर बीमारी से ग्रसित बच्चों के उपचार एवं देखभाल हेतु भी पीकू का उपयोग किया जाएगा।  ताकि 1 माह से 12 वर्ष तक के अति गंभीर बच्चों का पीकू में भर्ती कर अविलंब त्वरित उपचार कर उनकी जान बचायी जा सके।

चमकी से बचाव के उपाय:

सदर अस्पताल के चिकित्सक डॉ सुनील कुमार ने बताया कि बढ़ रहे तापमान में चमकी /एईएस का मामला बढ़ना तय है। इससे बचाव के लिये अभिभावक अपने बच्चे को धूप से बचाएं। रात को किसी भी हालत में भूखे नहीं सोने दें। दिन में एक बार ओआरएस घोल कर जरूर पिलाएं। बच्चे को कच्चा फल नहीं खाने दें। बच्चा अगर घर में भी है तो घर की खिड़की व दरवाजा बंद नहीं करें। हवादार रहने दें। साफ सफाई पर ध्यान दें। अपने क्षेत्र की आशा, चिकित्सकों व नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र के नम्बर अपने पास रखें।

चमकी बुखार से बचाव के लिए ये सावधानियाँ हैं जरूरी: 

-बच्चे को बेवजह धूप में घर से न निकलने दें।
-गन्दगी से बचें, कच्चे आम, लीची व कीटनाशकों से युक्त फलों का सेवन न करें।
-ओआरएस का घोल, नीम्बू पानी, चीनी लगातार पिलायें।
-रात में भरपेट खाना जरूर खिलाएं।
-बुखार होने पर शरीर को पानी से पोछें।
-पारासिटामोल की गोली या सिरप दें।

– बिहार से नसीम रब्बानी

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