ठेके पर हो रहा ऑनलाइन प्रचार, पार्टियां भी ले रही फेसबुक, ट्विटर का सहारा

बरेली। कोरोना संक्रमण व चुनाव आयोग की पाबंदियों के बाद सभी पार्टियां अब ऑनलाइन प्रचार की तैयारी मे है। कोरोना संक्रमण लगातार तेजी पकड़ रहा केस रोज बढ़ रहे है। ऐसे में चुनाव आयोग ने चुनावी रैलियों पर रोक लगाई है। अब प्रत्याशियों के पास सिर्फ वर्चुअल रैलियां करने एवं प्रचार के लिए ऑनलाइन माध्यम ही मात्र रास्ता बचा है। राजनीति में प्रचार के बदलते स्वरूप और वर्चुअल प्लेटफार्म पीआर एजेंसियों को लाभ दे रही है। जिसके चलते पीआर कंपनी भी मिले इस मौके को भरपूर तौर पर भुनाना चाहती है।जिसके लिए वह ऑनलाइन प्रचार का ठेका ले रही है। इसके लिए पीआर एजेंसियों ने बकायदा अपना पैकेज बनाया है। जिसमें काॅलिंग से लेकर मैसेज तक के हिसाब से कई पैकेज उपलब्ध है। इसके साथ ही उन्होंने इसमें एड ऑन प्लान भी बना रखे है। उम्मीदवारों और पार्टियों के लिए पीआर कंपनियों ने पैकेज की न्यूनतम कीमत एक लाख रूपए रखी है। इसके साथ ही अन्य पैकेज की रकम पार्टी व प्रत्याशियों को देखकर तय होती है। इसके अलावा एड आन प्लान का भी कुछ यही हाल है। जानकारी के मुताबिक पार्टियों ने पार्टियों ने चुनावी मैदान में युवाओं की टीमों को उतार दिया है जो इंटरनेट मीडिया में सक्रिय भी है लेकिन चुनाव मैदान में उन्हें प्रोफेशनल और एक्सपर्ट की जरूरत है। जिसके चलते वह पीआर कंपनियों के पास पहुंच रहे है। पैकेज देकर प्रचार प्रसार का ठेका लेने वाली पीआर एजेंसियों ने हर चीज का रेट तय कर रखा है। वाटसएप हो या फेसबुक, यू-ट़़्यूब हो या ट्विटर हैंडल, इंस्टाग्राम से लेकर टेलीग्राम तक सभी प्लेटफार्म पर सुविधा उपलब्ध है। इसके अलावा कॉलिंग मैसेज, सोशल प्लेटफार्म पर एड पोस्टर का भी दाम तय है। पार्टी या प्रत्याशी जिस हिसाब से सुविधाएं लेते जाते है उसी हिसाब से पैकेज और उसका दाम तय हो जाता है।।

बरेली से कपिल यादव

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