जीएसटी की आड़ में लघु मीडिया पर हमला

नई दिल्ली: अख़बार पर भी जीएसटी लगने की तैयारी जीएसटी से पत्रकार बेरोजगार हो जायेगे। जब से मोदी सरकार ने न्यूज प्रिंट पर जीएसटी लागू किया, तब से अखबारों की बंदी और पत्रकारों की बेरोजगारी शुरू होने का खतरा मंडराने लगा। जीएसटी कौंसिल की मीटिंग से थोड़ी बहुत आशा बची थी, लेकिन वह भी खत्म हो गई। संभावना जताई जा रही थी कि लघु समाचार पत्रों को बचाने के लिए न्यूज प्रिंट पर से जीएसटी हटाया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पिछले दिनों वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में जीएसटी कौंसिल की बैठक हुई और इसमें अखबारों को कोई राहत नहीं दी गई। मोदी सरकार ने छोटे-मझोले अखबारों पर गाज गिरा दी है। जीएसटी के कारण छोटे अखबार तंगहाली की कगार पर हैं। गौरतलब है कि सरकारी विज्ञापनों पर टिके हुए छोटे अखबारों को डीएवीपी (विज्ञापन और दृश्य प्रचार निदेशालय) के जरिए विज्ञापन दिए जाते रहे हैं, लेकिन जबसे नरेंद्र मोदी की सरकार बनी है, राहें मुश्किल हो गर्इं हैं। डीएवीपी ने विज्ञापन जारी करने के नियमों में बेहद सख्ती कर दी है। डीएवीपी 20 लाख से कम टर्नओवर वाले प्रकाशकों पर भी जीएसटी पंजीकरण कराने के लिए अपना प्रेशर डालता रहा है छोटे अखबारों के लिए 2019 सबसे अधिक खतरनाक साल होगा। सरकार की डीएवीपी पॉलिसी (विज्ञापन और दृश्य प्रचार निदेशालय) 2016 और जीएसटी के कारण 90 फीसदी अखबारों के दफ्तर पर अगले साल ताला लग सकता है। लागत से कम पर अखबार की बिक्री नहीं हो, इसके लिए मोनोपोली कमीशन भी सहयोग नहीं कर रहा है। गौरतलब है कि छोटे उद्योगों को बचाने लिए सरकार की कई पॉलिसी हैं।

-देवेन्द्र प्रताप सिंह कुशवाहा

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