जन जागरण का काम करते हैं कवि – विधायक तेजपाल नागर

ग्रेटर नोएडा – कवि लोग जन जागरण का काम करते हैं, ये कहना है दादरी विधान सभा क्षेत्र के लोक प्रिय विधायक तेजपाल नागर का , ग्रेटर नोएडा स्तिथ स्टेलर एम आई होम्स आयोजित मुशायरे, शामे-ग़ज़ल में विधायक जी ने कहा कि मुशायरा एक यज्ञ की तरह होता है जिसमें जनता के नवविचार और जीवन जीने की नव कला की जानकारी मिलती है साथ ही साथ कवि समाज अपने समय के प्रश्नो को उछाल कर समाज के सामने रखता है क्योंकि कविता समाज का दर्पण होता है

स्टेलर एम आई सिटी होम्स साहित्य मंच एवँ दयार-ए-ग़ज़ल के तत्वावधान वरिष्ठ साहित्यकार एवँ सुप्रसिद्ध कवि/ ग़ज़लकार श्री दवेन्द्र ‘माँझी’ के सान्निध्य में शामे-ग़ज़ल आयोजित हुई । जिसका संचालन उदयपुर से आये प्रख्यात कवि /ग़ज़लकार श्री दीपक कुमार नगायच “रोशन” ने की और इस कार्यक्रम की रूपरेखा मुंबई के जानेमाने शायर श्री रवि केडिया “आदिल” ने तैयार की और जिसे अंजाम तक पहुचाने का कार्य जोश-ए-लबरेज नवोदित शायर अमरीश शर्मा “राजन” ने किया।
शामे-ग़ज़ल को एक बड़े समारोह में प्रवर्तित करने का श्रेय स्टेलर एम आई सिटी होम्स की ए-ओ-ए टीम के अध्यक्ष श्री अखिलेश कुमार खां और श्री अभय मिश्रा, श्री हरिन्द्र सिंघल, श्री लोकेश गहलोत, श्री विनित मिश्रा, श्री रोशन धनाई, श्री तैयब अली , श्री दिनेश पंत श्री गौरव कुमार, श्री विकास जादौन , श्री धीरज कुमार, श्री तजिन्द्र देवरा एवँ माईपेंसिलमेगज़िन डोट कोम के संपादक श्री प्रसुन कुलश्रेष्ट को जाता है।

जहां देश के दिल कहे जाने वाले दिल्ली शहर से श्री दवेन्द्र ‘माँझी’ ने अपनी शायरी से सबको मंत्र मुग्ध कर दिया , वहीं शामे-गजल में शिरकत कर रहे अन्य शायर एवँ शुअ’रा,श्री नीरज कुमार मनचंदा (हिसार)पूनम मनचंदा (हिसार) , अनीता जैन जी (हिसार) और मध्य प्रदेश के भोपाल, इन्दौर, देवास से आये शायर श्री नितिन पंडे, श्री विनोद नामदेव सिंह शजर /शुअ’रा सुश्री अलका राज़ अग्रवाल , फरीदाबादके श्री मोहन संप्रास , शशि रंजना शर्मा ‘गीत ‘ ने कार्यक्रम को अपने अपने अंदाज में एक और ही पड़ाव पर ले गये।
शामे-ग़ज़ल का संचालन कर रहे हर मन अजीज दीपक कुमार नगायच “रोशन” ने संचालन को बखूबी निभाया और मुशायरे की जान रहे हम उम्र शायर रवि केडिया “आदिल” ने एक से बढ़ कर एक शे’अर सुनाये.
प्रमुशायरे में वाह वाही लूटने वाले कुछ शे’अर आप सब के लिये प्रस्तुत है

“रोज गिरता हूँ बिखर के टूट जाता रोज हूँ
उम्र भर लगता है मुझको होश आयेगा नहीं “
अमरीश शर्मा “राजन”

“यार अपनी खुदी नहीं जाती
बेवफाई भी की नहीं जाती”
नितिन पंडे

“छुपा लेते हैं हम अपने ग़मों को
हमें आता नहीं अख़बार होना”
दीपक कुमार नगायच “रोशन”

“जैसे मेरा वजूद ही घर में न हो कोई
कोने में घर के रख के भुलाया गया मुझे”
रवि केडिया “आदिल”

“बेअसर हैं ये दवाएं भी ज़माने भर की
ज़ख़्म कब दिल के दवाओं से भरे जाते हैं”
अनीता जैन हिसार (हरियाणा)

“ज़िन्दगी उसकी ही होती है यहाँ पर मुख़्तलिफ़
जो रखे इक आइना अपनी अना के सामने”
नीरज कुमार मनचंदा

“ज़मीर बेचने निकले थे हम मगर हमसे।
बिका न एक भी वो दो से तीन बेच आए”
अलका राज़ अग्रवाल

“रखता नहीं किसी से अब कोई वास्ता भी
अपने में सब है डूबे ये कैसी ज़िंदगी है”
पूनम मनचंदा

“मिट्टी से, मिट्टी पर, मिट्टी लिख दूंगा,
पानी से, पानी पर, पानी कौन लिखे”

विनोद सिंह नामदेव ‘शजर’ इन्दौर मध्यप्रदेश

– नोएडा से प्रसून कुलश्रेष्ठ

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