फतेहगंज पश्चिमी, बरेली। कोरोना काल में धुएं का फैलना घातक हो सकता है। कोरोना काल में ज्योति पर्व दीपावली सचमुच जगमगाए, इसके लिए आतिशबाजी और पटाखों से दूरी बनानी जरूरी है। धुआं कोरोना पीड़ितों व सांस के मरीजों के लिए बहुत ही घातक है। ऐसे में लोग अभी से आपस में पटाखे न छोड़ने की अपील करने में लगे हैं। सोशल मीडिया पर भी ऐसे मैसेज काफी वायरल हो रहे है। वहीं संभावना है कि महामारी के माहौल को देखते हुए प्रशासन की ओर से भी आतिशबाजी पर हल्की पाबंदी लगाई जा सकती है। इसके अलावा बीते लॉकडाउन में मध्यम वर्ग के लोगों की तो कमर ही टूट चुकी है। ऐसे में वे लोग भी फिजूलखर्ची से बचेंगे। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस दीपावली पटाखों की बिक्री कम रहेगी। लोगों का भी कहना है कि पटाखों के शोर से धूल और धुएं के अलावा कान, आंख और सांस की दिक्कत पैदा होती है। कोरोना पीड़ितों को सबसे अधिक परेशानी सांस फूलने की होती है। यह फेफड़े और सांस से संबंधित हैं और जो लोग कोरोना वायरस से ठीक हो जाते है। उन्हें भी पूरी तरह सामान्य होने में बहुत समय लगता है। अब हर जगह कोरोना पीड़ितों की संख्या बहुत हो चुकी है। इस साल कोरोना वायरस देखते हुए दीपावली पर कई परिवार ऐसे भी हैं जो पटाखे नहीं छोड़ेंगे। इस महामारी में किसी भी जगह होम क्वॉरेंटाइन रह रहे मरीजों को यह जहरीली गैस बहुत घातक होगी। इस जहरीले धुएं की वजह से किसी की भी जान जा सकती है। वरिष्ठ चिकित्सकों की रिपोर्ट के अनुसार भी पटाखों का धुआं कोरोना काल में घातक है। ऐसे माहौल में पटाखों की बिक्री काफी कम रहेगी। दीपावली भले ही अभी एक महीना दूर है, लेकिन हम अभी से पटाखा नहीं जलाने का मन बनाएंगे तो पटाखों की बिक्री करने वाले भी मांग के हिसाब से ही माल कम मंगाएंगे। इस खबर का मकसद सिर्फ आपको यह बताना है कि सांसों का दुश्मन कोरोना वायरस प्रदूषण में और भी सक्रिय हो जाएगा और पटाखों से निकला जानलेवा धुंआ आपके किसी अजीज के लिए ही घातक साबित होगा।।
बरेली से कपिल यादव