लखनऊ। पूरे देश जहां कोरोना वायरस से जूझ रहा है। वहीं उत्तर प्रदेश का अलग ही हिसाब किताब चल रहा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ रोज टीम 11 के साथ कोविड 19 को लेकर मीटिंग करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिया करते हैं कि कोरोना वायरस से बचने के लिए हर संभव प्रयास किया जाए। अस्पतालों का निरीक्षक किया जाए। गरीबों का मुफ्त इलाज किया जाए और उन्हें दवाइयां मुफ्त में उपलब्ध कराया जाए। लेकिन उत्तर प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों और निजी अस्पतालों में डॉक्टर पैसा कमाने में जुटे हुए हैं। अगर कोई गरीब कोरोना पीड़ित मरीज़ अस्पताल में भर्ती हो जाए तो उससे बेड चार्ज से लेकर दवाइयों तक का पैसा ले लिया जाता है। यही नहीं कोई मरीज़ अपना कोरोना टेस्ट कराने चाला जाए तो उसे कोरोना पॉजिटिव बता कर भारत सरकार, डब्ल्यू0 एच0 ओ0 से अच्छा खासा पैसा 1500000/=(डेढ़ लाख) रुपया बना लेते हैं और उसके बाद दो से तीन दिन के भीतर बुखार उतर जाने के बाद छोड़ दिया जाता है। अगर कोई मरीज़ अधिक बीमार है तो उसे कोरोना बता दिया जाता है। इसके बाद उस मरीज़ को अपने पास रखते हैं। उसके मर जाने के बाद उसके शरीर के अंदर से किडनी, दिल आदि निकाल कर प्लास्टिक के अंदर पैक कर दिया जाता है। जिससे किसी को कुछ पता ना छले और डाक्टर का धंधा भी आराम से चले। उत्तर प्रदेश में कई झोला छाप डाक्टर भी हैं। जो हर दूसरे मरीज़ को कोरोना पॉजिटिव बता कर धन कमा रहे हैं। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण बात ये है कि हमारी सरकारें इस बात से अनजान बनी हुई है। कहते हैं कि डॉक्टर भगवान का दूसरा रूप है। लेकिन आज कुछ डाक्टरों ने अपने इस रूप को कलंकित कर दिया है। अब केवल कोरोना वायरस के नाम पर आम आदमी को लुटा जा रहा है।