अपने जन्मदिन पर बोले वसीम बरेलवी: लहजे में आजिजी हो तो मान जाएंगे हार हम भी

बरेली। कामयाबी की जमानत माने जाने वाले मशहूर शायर वसीम बरेलवी मंगलवार को 80 साल के हो गए। बहुत कम उम्र में कविताओं और शायरियों की ओर आकर्षित हुए वसीम बरेलवी उम्र के इस पड़ाव में भी पूरे जोश के साथ मंचों पर अपने चाहने वालों के सामने मौजूद रहते हैं। देश और विदेशों के हजारों मुशायरे में अपनी बेहतरीन रचनाओं से शहर का मान बढ़ाने वाले शायर के 80वें जन्मदिन तमाम लोगों ने शुभकामनाएं दी है। प्रख्यात शायर वसीम बरेलवी ने मंगलवार को अपना 80 वां जन्मदिन मनाया। साहित्य जगत की शख्सियतों में शुमार वसीम बरेलवी का जन्म 18 फरवरी 1940 को बरेली बड़ा बाजार के फूटा दरवाजा मोहल्ले में हुआ। बचपन से ही कविताओं और शेर-ओ-शायरी की ओर रुझान रखने वाले वसीम के बचपन का नाम जाहिद हसन है। उनके वालिद नसीम अपने दौर के मशहूर शायर थे। पिता को देखते हुए बचपन से ही शुरू हुई वसीम की साहित्य यात्रा आज भी जारी है। बचपन से ही कुछ कर गुजरने का साहस रखने वाले जाहिद आज अपनी रचनाओं के माध्यम से साहित्य के फलक पर वसीम बरेलवी के नाम से चमक बिखेर रहे हैं। गंगा जमुनी तहजीब वाले शहर बरेली की धरती पर पैदा होने वाले शायर की रचनाओं में गंगा-जमुनी तहजीब की झलक भी खूब देखनें को मिलती है। प्रोफसर वसीम जब मंच से शेरो-शायरी सुनाते है तो पब्लिक दाद देने को मजबूर हो जाती है। लाखों दिलो में बसने वाले और देश- विदेश के कई सम्मानों से नवाजे जाने वाले मशहूर शायर के जन्मदिन की पूर्व संध्या से ही उन्हें बधाइयां देने वालों का तांता लगा रहा। मोहब्बत और इंसानियत की पैरोकार उनकी कलम को चाहने वालों की संख्या आज लाखों में है। उनकी शायरी को दुनिया के हर कोने में बैठे लोग अदब से सुनते है। प्रोफेसर वसीम बरेलीवी एमएलसी भी रह चुके हैं।।

– बरेली से कपिल यादव

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