आखिर में क्या है एत्मादपुर के गांव रसूलपुर के मृतक प्रधान हरिकिशन वाल्मीकि की हत्या का पूरा सच?

आगरा – विगत दिनों थाना एत्मादपुर के गांव रसूलपुर में गांव के प्रधान हरिकिशन वाल्मीकि की किसी ने हत्या कर दी थी और उसके बाद में शव को गांव में बनी एक झोपड़ी में जला कर के साक्ष्य मिटाने की कोशिश की थी सुबह ग्रामीणों से मिली जानकारी के बाद में जब परिजन जली हुई झोपड़ी के पास पहुंचे तो वहां पर पड़े कपड़े और मृतक की बाजू में पड़ी ऑपरेशन के रॉड के आधार पर मृतक की पहचान हरिकिशन वाल्मीकि के रूप में की।
पुलिस ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया और बताया कि उपरोक्त व्यक्ति ने आरोप को स्वीकार करते हुए बताया है कि उसके द्वारा राशन कार्ड पर मोहर नहीं लगाने के कारण रंजिश से प्रधान हरिकिशन को पहले शराब पिलाई और जब वह नशे में हो गया तो उसकी गला दबाकर के हत्या कर दी और उसके बाद में साक्ष्य मिटाने के लिए इस झोपड़ी में लाकर के सव को जला दिया ।
पीड़ित परिवार और मृतक हरिकिशन के परिजनों का आरोप है कि इस घटना में अन्य लोग शामिल हैं मगर पुलिस उन्हें बचाना चाहती है मृतक प्रधान के लड़के का कहना है कि पुलिस ने मुकदमे के लिए पहले तो कोई पहल नहीं की। सुबह से लेकर के दूसरे दिन रात तक कोई मुकदमा नहीं लिखा गया और फिर रात को आधी रात के बाद पुलिस ने अपने आप एक तहरीर लिखी और उस पर जबरन उसके हस्ताक्षर करा कर मुकदमा दर्ज कर लिया न तो उसे तहरीर पढ़कर के सुनाई गई और न ही उसे मुकदमे के बारे में कोई जानकारी ही दी गई ।
सुबह मीडिया में छपी खबरों के आधार पर उसे जानकारी में आया कि उसके पिताजी की हत्या करने का आरोप गांव के ही एक व्यक्ति नरेश पुत्र भगवान दास के द्वारा स्वीकारा गया है। और पुलिस ने मुकदमा दर्ज करके उसे धारा 302 ,201 का आरोपी बना कर जेल भेज दिया है ।

अब पीड़ित परिवार अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा है और न्याय के लिए गुहार लगा रहा है पीड़ित परिवार का आरोप है कि पुलिस ने हम से जबरन हस्ताक्षर करा कर आरोपियों को बचाने का काम किया है इसको लेकर के वाल्मीकि समाज के विभिन्न संगठनों में भी काफी आक्रोश है प्रदेश के अन्य जनपदों से ही नहीं देश के अन्य राज्यों से भी सामाजिक संगठन के कार्यकर्ता रोजाना गांव में पहुंचकर के घटना की जानकारी ले रहे हैं वहीं पर इस पूरी घटना का सच सामने लाने के लिए अब वह इस घटना की जांच उच्च स्तरीय जांच समिति या फिर सीबीसीआईडी से जांच कराने की बात कर रहे हैं।

आखिर में क्या है हत्या के राज का सच

पुलिस के द्वारा जो एफ आई आर दर्ज की गई है उसमें उसने कहा है कि कि मृतक हरिकिशन पुत्र नत्थू लाल ग्राम रसूलपुर के मौजूदा प्रधान थे वह शराब पीने के आदी थे और गांव में किसी के साथ भी शराब पी लेते थे 28 जुलाई 2020 को शाम के करीब 7:30 बजे पिता ने शराब पीकर अनील की चक्की के सामने से अपने घर वापस आ रहे थे तभी नरेश पुत्र भगवानदास निवासी रसूलपुर मेरे पिता को रोककर बातचीत करते हुए हाथ पकड़ कर के खिंच कर अपने घर ले गया नीतू पुत्र रमेश चंद सर्विस पुत्र बनवारी लाल ने देखा है किंतु वह यह समझ कर कि प्रधान तो किसी के भी घर चला जाता है कोई ध्यान नहीं दिया रात्रि में मेरे पिता के घर वापस न आने पर सुबह मेरे पिता को मेरी बहन रचना भाई अनुज चाचा सियाराम ने तलाश किया तो पता चला कि रसीद की झोपड़ी में एक व्यक्ति की जली लाश मिली है वहां जाकर मेरे परिजनों ने देखा तो सब को पहचान लिया मेरे पिता का ही शब था जिस का पंचनामा भरकर पुलिस ने पोस्टमार्टम करा दिया है मैंने गांव में घूम कर जानकारी की तो मेरे गांव के रामेश्वर सियाराम ने बताया कि सुबह 4:00 बजे हम जूनियर हाई स्कूल की तरफ जा रहे थे तो बाबू के मकान के पास नरेश पुत्र भगवानदास को हड़बड़ी में रशीद खां की झोपड़ी की तरफ से आते हुए देखा था श्रीमान जी गांव वालों से मिली जानकारी से मुझे पूर्ण विश्वास है कि पुरानी रंजिश के कारण नरेश नेता हरिकिशन की हत्या कर दे सबको रसीद की झोपड़ी जला दिया है।
बड़ा सवाल यह है कि जब प्रधान हरिकिशन वाल्मीकि घर से लापता हुआ था तो परिजनों ने शाम से लेकर रात्रि तक प्रधान की तलाश क्यों नहीं की क्या मृतक प्रधान के घरवालों ने आरोपी के घर जाकर के प्रधान के बारे में कोई जानकारी की।
घटना के चश्मदीद गवाहों के द्वारा यह जानकारी हत्या के बाद पीड़ित परिवार को दी कि प्रधान हरिकिशन को आरोपी बाह पकड़कर घसीटते हुए ले गया है तो यह जानकारी गवाहों ने रात को ही पीड़ित परिवार को क्यों नहीं दी।

जहां पर आरोपी के द्वारा मृतक प्रधान हरिकिशन वाल्मीकि हत्या की गई वहां पर ऐसा कोई साक्ष्य पुलिस ने क्यों संकलित नहीं किया कि मृतक ने आरोपी से अपनी जान बचाने के लिए कोई पहल की है जिसका कोई साथ उस जगह पर मौजूद है एक व्यक्ति किसी व्यक्ति की गला दबाकर के हत्या करता है तो क्या कुछ मिनटों में ही मृतक की हत्या हो जाती है और वह अपनी जान बचाने के लिए किसी भी तरह की हरकत नहीं करता है।

आरोपी ने स्वीकारा है कि उसने पहले मृतक हरिकिशन वाल्मीकि गला दबाकर की हत्या की फिर उसके बाद में उसकी लाश को झोपड़ी में लाकर के जला दिया।
इस बात में भी कहीं ना कहीं एक बड़ा झोल नजर आ रहा है आरोपी के द्वारा जो घटना स्वीकारी गई है और वहां पर जो झोपड़ी घटनास्थल पर है उसके आसपास घनी आबादी है गांव से सटी हुई वह जगह है ऐसे में एक व्यक्ति अकेला एक व्यक्ति की हत्या करके सश को लेकर झोपड़ी तक पहुंच गया और किसी ने उसे देखा तक नहीं ।

घटनास्थल पर मौजूद एक ढकेल और परी नीम की मुट्ठी मुट्ठी लकड़ियों की जलने की हालत को देखकर के अंदाजा लगाया जा सकता है कि आग काफी समय तक जलती रही है झोपड़ी और लकड़ियों में लगी आग की स्थिति को देख कर के अंदाजा लगाया जा सकता है की आग 2 से 3 घंटे तक जली रही होगी कितने लंबे समय तक आबादी के पास एक झोपड़ी में आग जलती रही मगर गांव के किसी व्यक्ति ने उस आग को जलने के कारण की जानकारी तक नहीं की आखिर में सुबह ही जाकर के उस जली हुई झोपड़ी को ही क्यों देखा गया।

पुलिस ने 29 जुलाई सुबह ही एक झोपड़ी में मौजूदा प्रधान की जली हुई लाश बरामद होने की जानकारी होने पर घटनास्थल पर पहुंच गई और साक्ष्य संकलन के नाम पर शव के पोस्टमार्टम के नाम पर 2 दिन एक रात तक कोई तहरीर मृतक के परिजनों से नहीं ली और आधी रात को पुलिस ने अपने आप लिखी हुई तहरीर पर पीड़ित के हस्ताक्षर कराने के बाद मुकदमा पंजीकृत कर सिर्फ एक आरोपी को इस पूरे घटना का आरोपी बनाकर के जेल भेज देना कहीं ना कहीं घटना के खुलासे में संदेह पैदा करता है इसलिए पीड़ित परिवार अब इस हत्या के सही अनावरण के लिए घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग कर रहा है

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