उत्तराखंड : भारत चीन सीमा को जोड़ने वाला गंगोत्री गंगोरी बेली ब्रिज बनकर तैयार

उत्तराखंड – गंगोत्री हाईवे पर भारत-चीन सीमा को जोडऩे वाला गंगोरी बेली ब्रिज बनकर तैयार हो गया है। बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) शिवालिक के चीफ इंजीनियर एएस राठौर ने किया बेली ब्रिज का उद्घाटन किया। उन्होंने बताया कि 1.3 करोड़ रुपये की लागत से 190 फीट लंबे इस बेली ब्रिज को बीआरओ के जवानों ने सात दिन में तैयार किया है। पुल की भार क्षमता 40 टन होगी। तय समय से पहले पुल का निर्माण होने पर जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान बीआरओ की टीम को बधाई दी। बेली ब्रिज के बनने से चारधाम यात्रा का सुचारु संचालन न होने की आशंकाओं पर भी विराम लग गया है।
बीती एक अप्रैल को भारत-चीन सीमा पर स्थित सेना चौकियों सहित गंगोत्री धाम व भटवाड़ी ब्लाक के 42 गांवों को जोड़ने वाला असी गंगा नदी पर बना गंगोरी बेली ब्रिज टूट गया था। वह ब्रिज बीआरओ ने आठ जनवरी 2018 में बनाया था, लेकिन उसकी भार क्षमता सिर्फ 18 टन थी। बीती एक अप्रैल को एक रेत से भरे डंफर के भार से ही पुल टूट गया था।
इसके बाद वैकल्पिक व्यवस्था के लिए बीआरओ ने असी गंगा नदी में ह्यूम पाइप डालकर मार्ग तैयार किया। ताकि वाहनों की आवाजाही सुचारु रहे। बरसात से पहले नया पुल तैयार करने के दबाव के बीच बीआरओ ने इस टूटे पुल को हटाने और नया पुल बनाने की योजना तैयार की। इसके लिए पठानकोट, चंडीगढ़, भारत-चीन सीमा के रिमझिम बॉर्डर, जोशीमठ और ऋषिकेश से सामान एकत्र किया गया। 12 अप्रैल तक सामान एकत्र होने के बाद 13 अप्रैल से बीआरओ के जवानों ने ब्रिज को जोड़ने का कार्य शुरू किया। ब्रिज के निर्माण में बीआरओ ने आर्मी से भी तकनीकी सहयोग लिया।
– तय समय से दस दिन पूर्व बना ब्रिज
बेली ब्रिज के उद्घाटन के बाद बीआरओ शिवालिक के चीफ इंजीनियर एएस राठौर ने ब्रिज का तकनीकी निरीक्षण भी किया। उन्होंने दिन-रात पुल निर्माण में जुटी बीआरओ की टीम को बधाई दी। कहा कि तय समय से दस दिन पहले बेली ब्रिज बनकर तैयार हो गया। इस मौके पर बीआरओ के ऑफीसर कमान एमके खुल्लर, ओसी सरजीत मोहंती आदि माैजूद थे।

-पौड़ी से इन्द्रजीत सिंह असवाल की रिपोर्ट

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