सादा जीवन-उच्च विचार ही जीवन का सार

सादा जीवन उच्च विचार ही जिंदगी का सार है। प्रख्यात लेखक व दार्शनिक हेनरी डेविड के शब्दों में ” जीवन पैसा कमाने व व्यर्थ चीजों को जमा करने के लिए नहीं बल्कि ज्ञान बढ़ाने, व्यावहारिक जीवन जीने और खुद पर आश्रित होने के लिए है।” यह सब अन्य देशों में सिखाया भी जाता है मगर भारतीय परंपरा में तो समाज का सर्वोच्च मूल्य है सादगी। कुछ साल पहले कोरोना ने कितने ही लोगों का जीवन बदल दिया। लोगों की दिनचर्या में कितना परिवर्तन आया था। लोगों के खानपान और सोच में बदलाव दिखा। सादगी से लोग जीने लगे थे। प्रकृति के नियमों का पालन करने लगे थे। इसके कारण कई लोगों ने जीवन की जंग जीत ली। वास्तव में जीवन बहुत सरल है अगर प्रकृति के अनुसार जिएं …मगर बढ़ती प्रतिस्पर्धा व दिखावे ने सबको बदल कर रख दिया है।

बैक बैलेंस और ज्यादा आगे आने की इच्छा ,सोशल मीडिया लोगों पर इतना हावी है कि वह चीजों का आनंद ही नहीं लेते और रिश्तों मे अपनापन खोते जा रहे हैं। बस जीवन जी रहे हैं जीवन का आनंद नहीं ले पा रहे हैं। एक दौड़ सी लगी है और वे इसका हिस्सा बनते जा रहे हैं। इसीलिए जीवन में थोड़ा ठहराव भी जरूरी है।
सच में आप जीवन में खुशी और शांति चाहते हैं तो इन चीजों का पालन कीजिए।
समाज से जुड़े – हम सब जीवन में किसी न किसी समाज से जुड़े है। हमेशा अपने समाज से जुडकर समाज के लोगों को आगे बढ़ाएं ,जरूरतमंदों की मदद करें। आपके पास आवश्यकता से ज्यादा है आप उसका आनंद न ले पाएंगे न उसे संभाल पाएंगे। देना सीखें तो समाज से जुड़कर आप सकारात्मक रहेंगे ।

कुछ नया सीखे– हमेशा कुछ नया सिखते रहें। आपका नयापन आपको एनर्जी देगा, आपको सकारात्मकता देगा
नहीं तो जीवन में ठहराव आ जाता है। हमारी खुशी खत्म हो जाती है। पानी भी एक जगह रुक जाता है तो गंदगी आ जाती है । पानी पीने लायक नहीं रहता ऐसे ही जीवन है। ठहराव नहीं आना चाहिए। हमेशा नयापन कुछ नया सीखते रहें, कुछ पढ़ते रहें जिससे आप हमेशा खुश रहेंगे।
दिखावे से दूर रहे– मेरी दादी कहती थी जितनी चादर उतने पैर फैलाओ। किसी की देखा देखी में हम जीवन का अमूल्य समय बर्बाद कर सपने देखने लगते हैं और कहीं ना कहीं ये सब हमारे लिए घातक होता है ।
प्रकृति के साथ रहे– ईश्वर की सुंदर रचना है प्रकृति। यह कह सकते हैं कि प्रकृति ही ईश्वर है। प्रकृति खुशी शांति देती है बल्कि हम प्रकृति को जो भी देते हैं वो हजार गुना करके देती है। प्रकृति हमें जीना सिखाती है, निस्वार्थ भाव से रहना सिखाती है।
जीवन में जितने भी उच्च पदों पर पहुंचे वे कहीं ना कहीं लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं और उन्होंने हमेशा सादगी को अपनाया। एपीजे अब्दुल कलाम ,मदर टेरेसा ,रतन टाटा ने हमेशा सादगी को महत्व दिया। जितना हम साधारण बनेंगे उतने आगे बढ़ेंगे क्योंकि चालाकियां, दिखावा आपका सुकून छीन लेते हैं। सरलता के साथ जीवन को जीने की शुरुआत जरूर कीजिए। साथ ही प्रकृति के नियमों का पालन कीजिए।

ट्विंकल आडवाणी,बिलासपुर छत्तीसगढ़

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

किसी भी समाचार से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है।समाचार का पूर्ण उत्तरदायित्व लेखक का ही होगा। विवाद की स्थिति में न्याय क्षेत्र बरेली होगा।