लंगर सिख धर्म में बहुत महत्व रखता है। सिख समुदाय के लोग गुरुद्वारों में प्रदान किए जाने वाले नि:शुल्क शाकाहारी भोजन को लंगर कहते हैं। यह भोजन अर्थात लंगर हर समुदाय, जाति व धर्म के लोगों के लिए उपलब्ध होता है।
कहते है कि लंगर धन गुरु साहिब जी की कृपा से आज दुनिया भर के गुरुद्वारों में हर किसी को निशुल्क मिलता है। दुनिया भर में ऐसे कई गुरुद्वारे है जहां लोगों के लिए यह लंगर सेवा 24 घंटे और 7 दिन चल रही है।
इतिहास .
लंगर के इतिहास पर नजर डालें तो पता चलता है कि इसकी शुरुआत धन गुरु नानक देव जी ने लगभग 15 वीं सदी में शुरू की। धन गुरू नानक देव जी की वाणी से पता चलता है कि वे ज़रूरतमंदों को भोजन करवाने में विश्वास रखते थे। आपको बता दें कि एक बार नानक देव जी के पिता जी ने उन्हें कुछ पैसे देकर नया व्यापार शुरू करने की बात कही लेकिन उन्हें रास्ते में भूख के सताए हुए कुछ ऐसे लोग दिखे जिन्हें भोजन की बहुत जरूरत थी।
गुरु साहिब जी से उनकी हालत देखी नहीं गई और उन्होंने पास पड़े पैसों से उन लोगों को भोजन करवा दिया । कहा जाता है कि उसी दिन से बाबा नानक देव जी ने लंगर प्रथा की शुरआत की उनके द्वारा चलाई गई यह लंगर प्रथा आज भी चल रही है और आज के अलग होते समाज को भाईचारे की ओर बढ़ा रही है।