मूर्तियो के तोड़ने की राजनीति !राजधानी में नहीं है इनकी सुरक्षा के कोई इंतजाम

लखनऊ- देश में लगातार मूर्तियों के हताहत होने की खबरें आ रहीं है। घटना की शुरूआत त्रिपुरा में भाजपा सरकार बनने के बाद लेनिन की मूर्ति गिराने हुई। फिर शुरू हुआ मूर्तियों के गिराने का सिलसिला। इसके बाद कोलकता में श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मूर्ति को क्षतिग्रस्त कर दिया गया। इस बात की निन्दा प्रधानमंत्री मोदी समेत देश के तमाम बड़े-बड़े नेता करने लगे। इसके बावजूद राजधानी लखनऊ में मूर्तियों के सुरक्षा के मद्देनजर कोई भी व्यव्स्था नहीं की गई।
बता दें कि राजधानी में दर्जनों महापुरूषों की मूर्तियां लगाई गई है। वहीं सैकड़ों की संख्या में राजधानी में मूर्तियां मौजूद है। प्रदेश व देश में लगातार बढ़ती घटनाओं के बावजूद राजधानी में इन मूर्तियों के सुरक्षा के मद्देनजर कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
जब हमारी टीम रियल्टी चेक करने लखनऊ के विभिन्न चौराहों पर पहुंची तो देखा कि अब्दुल हमीद चौक स्थित शहीद कमांडर अब्दुल हमीद की प्रतिमा के आसपास किसी तरह की सुरक्षा व्यवस्था का कोई प्रबंध नही था। वहीं ग्लोब पार्क स्थित डॉ. राजेंद्र प्रसाद की प्रतिमा, लालबाग चौराहा स्थित बाल गंगाधर तिलक की प्रतिमा, महाराणा प्रताप चौराहा स्थित प्रतिमा, नेता जी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा के आसपास किसी सुरक्षा व्यवस्था का प्रबंध नहीं किया गया था।
त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में बीजेपी के जीत के बाद अराजकतत्वों ने लेनिन की मूर्ति तोड़ दी थी। जिसके बाद सियासी माहौल गर्म हो गया था। वहीं दूसरी तरफ कोलकता में श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मूर्ति तोड़ने के बाद उनके मुँह पर कालिख पोत दी। वहां पर कुछ लोगों ने एक पोस्टर लिखकर छोड़ा है, जिसमें बांग्ला भाषा में लिखा गया है कि यह लेनिन की मूर्ति तोड़ने का बदला है।
रिपोर्ट-लखनऊ से अनुज मौर्य की रिपोर्ट

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