हिंदी पत्रकारिता के पितामह गणेश शंकर विद्यार्थी की 130 वीं जयंती पर जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया ने उनके आदर्शों पर चलने की शपथ ली।
आज हिंदी ज्ञानोदय के प्रतीक/सिरमौर व पत्रकारिता के पितामह गणेश शंकर विद्यार्थी जी की जयंती है। जिनका जन्म 26 अक्टूबर 1890 को इलाहाबाद के अतरसुइया मोहल्ले में इनके ननिहाल में हुआ था। इनके पिता जय नारायण कस्बा हथगांव जनपद फ़तेहपुर के निवासी थे। इनका फ़तेहपुर जनपद से आत्मिक लगाव रहा है। वह 41 वर्ष की कम उम्र में ही दंगो की भेंट चढ़ गए। उन्होंने हिंदी पत्रकारिता को नए आयाम दिए। उन्होंने मानव कल्याण के लिए दंगो को रोकने की कोशिश की थी। हजारों परिवार उनके प्रयासों से दंगे की भेंट चढ़ने से बच गए लेकिन एक दिन वह स्वयं इन दंगो की भेंट चढ़ गए। कम उम्र में ही उनकी आत्मा इस नश्वर शरीर को छोड़कर परमात्मा में विलीन हो गई। उनके जाने के बाद उनके पीछे छूट गए उनके आदर्श और उनकी मुहिम।
आज के दौर के पत्रकारों को वाकई में उनके जीवन से सीख लेनी चाहिए। किसी मुद्दे को मुहिम बनाना व उसे अंजाम तक पहुंचाना यही वह किया करते थे। ऐसा आजकल के कई पत्रकार करते भी हैं।
आज उनकी जयंती पर जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंड़िया ने एक वेवीनार का आयोजन किया। पत्रकार साथियों ने उनके आदर्शों पर चलने की शपथ ली।