हांथों में किताबों की जगह बीआरसी पर बोरियां ढो रहे हैं मासूम: तमाशबीन बना जिला प्रशासन

*पीएम के संसदीय क्षेत्र मे बच्चों से झाड़ू-पोछा लगवाने, किताबें ढुलवाने के बाद अब कराई जा रही है मजदूरी

*खुलेआम कराया जा रहा है बाल श्रम ज़िम्मेदारों के कान पर नहीं रेंग रही जूं

वाराणसी/आराजीलाईन- बाल श्रम को लेकर केंद्र और प्रदेश सरकार चाहे जितने कानून बना ले सख्ती कर ले लेकिन चोरी छुपे ही सही बाल श्रम बदस्तूर जारी है और मासूमों का बचपन मेहनत मजदूरी की आग में जल रहा है, ताज़ा मामला सामने आया है राजातालाब वाराणसी इलाहाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे स्थित सरकारी दफ्तर आराजी लाईन बीआरसी में जहां खुलेआम बाल श्रम कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही है और श्रम विभाग बेखबर होकर जांच की बात कर रहा है, मामला है आराजी लाईन क्षेत्र के ब्लाक संसाधन केंद्र का जहां पर मासूम बच्चे बोरियां ढो रहे है, जिन मासूम बच्चे के हाथों में खिलौने व पेन कॉपी किताब होनी चाहिए उन बच्चो के हाथों में भारी भरकम बोरियां थमा दी गई है, ये हालात तब हैं जब सरकार ने बाकायदा विभाग बनाकर बाल श्रम को रोकने के लिए सख्त हिदायत दे रखी है ।
प्रदेश सरकार भले ही बच्चों की शिक्षा के लिए बड़े-बड़े दावे करते हो लेकिन हकीकत वही है जो तस्वीरें बयां कर रही हैं. जिन बच्चों के हाथ में खिलौने व कॉपी किताब होने चाहिए उन बच्चों के हाथ में बोरियां थमा दी गई है और सरकारी अफसर इन मासूम बच्चों से काम कराने में जरा भी हिचक महसूस नहीं कर रहा है. ऐसे में प्रदेश सरकार ऐसे निरंकुश अफसरों पर क्या कार्रवाई करेगी साथ ही जिले का श्रम विभाग आंख मूंदे बैठा हुआ है. वहीँ इस पूरे मामले पर श्रम विभाग के ज़िम्मेदार अधिकारियों से बात करने पर उन्होंने पूरे मामले की जांच करने की बात कह कर पल्ला झाड़ लिया है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि मासूम बच्चों से मजदूरी करवाना ही सबसे बड़ा अपराध है तस्वीरें सामने हैं ऐसे में जांच के नाम पर लीलापोती क्यूँ तत्काल मौके पर पहुंचकर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने से श्रम विभाग क्यू कतरा रहा है, श्रम विभाग के अधिकारी आखिर अपनी ड्यूटी कब निभाएंगे और इनके खिलाफ भी कार्रवाई कब होगी.
श्रम विभाग और बाल अधिकार संरक्षण आयोग मे शिकायत के बाद श्रम विभाग, बाल आयोग ने भी जारी किया है नोटिस:-

यहां यह भी बता दें कि विगत 3 जुलाई को उक्त बीआरसी पर स्कूली बच्चों से किताबों के बंडल ढुलवाने की तस्वीरें और वीडियो क्षेत्रीय निवासी व सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता ने भी वायरल किया था। इतना ही नहीं श्रम विभाग, मुख्यमंत्री व बाल संरक्षण अधिकार आयोग से शिकायत भी की थी।
सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता ने बताया कि बाल मजदूरी करवाने वाले लोग ये भी नहीं देखते की मजदूरी करने वाले बच्चों की उम्र है क्या। कई बार यह देखने में सामने आया है कि चंद पैसों के बचाव को लेकर लोग 6 से 14 वर्ष के बच्चों से मजदूरी करवाते हैं, जो कानूनी जुर्म है। ऐसे लोगों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाना चाहिए, जो बाल मजदूरी अधिनियम और शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धज्जियां उड़ा रहे हैं।

रिपोर्टर:-महेश पाण्डेय के साथ (राजकुमार गुप्ता) वाराणसी

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