बरेली। कोरोना महामारी के इस दौर में एक कहावत ज्यादा ही चरितार्थ हो रही है, आपदा में अक्सर। कुछ लोग मजबूरी में तो कुछ जान बूझकर इस आपदा को अवसर बनाने में जुटे हुए हैं। इसी दौरान हमने देखा कि एक परिवार नगर निगम के सामने पड़े सीवर लाइन बिछाने के सीमेंट के बड़े-बड़े पाइपों में रह रहा है। उसके आगे यहां रहने की बड़ी मजबूरी है। साथ ही सरकार की गरीब आवास योजना की भी पोल खोलती हैं। गरीबों के सिर के नीचे छत के लिए चलाई जा रही है। नगर निगम के सामने इन दिनों सीवर लाइन का काम तेजी से चल रहा है। जिसको लेकर जोरों शोरों से खुदाई का काम किया जा रहा है। यहां पर बड़े-बड़े सीमेंट के पाइप लाए गए हैं। जिनका इस्तेमाल नगर निगम सीवर लाइन डालने के लिए करता है। फिलहाल एक परिवार ने पाइप को ही अपना आशियाना बना लिया है। एक पांच साल का बच्चा कैरम खेल रहा था। उसका दूसरा भाई सो रहा था। छोटे-छोटे बच्चों से बात करने पर उन्होंने जो जवाब दिया वह बहुत ही मार्मिक था। बच्चों ने अपना नाम पारस, सूरज और पिता का नाम इंद्रपाल बताया। उनकी मां की मौत हुए तीन साल गुजर गए। तभी से पिता दोनों बच्चों को कबाड़ बीन कर पाल रहा है। वह लोग चौपुला गिहार बस्ती के पास किराए के मकान में रहते थे। उस दिन पहले मकान मालिक ने किराया न देने पर इंद्रपाल को मकान से निकाल दिया। तब से वह अपने दोनों बच्चों को लेकर नगर निगम के सामने पड़े पाइप में रह रहा है। इंद्रपाल अपनी पत्नी की मौत के बाद खुद ही अकेले बच्चों को पाल रहा है। दिन भर कबाड़ बीनने का काम करता है। कबाड़ बीनकर वह बच्चों का पेट पाल रहा है। जब बह कबाड़ बीनकर निकल जाता है तो उसके दोनों बच्चे पाइप में रहकर दिन गुजारते है। छोटे से पाइप के आशियाने में बच्चे कभी कैरम खेलकर, कभी सोकर दिन गुजारते है। नगर निगम का काम तेजी से चल रहा है। यहां पड़े सीमेंट के पाइप जल्दी इस्तेमाल में लिए जाएंगे। यहां से पाइप हटते ही एक बार फिर इंद्रपाल के सिर से छत जाएगी।।
बरेली से कपिल यादव