लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल की स्थिति हुई बद से बदतर:कमीशन के लालच में बाहर की लिखते है दवाई

•सभी प्रकार के जाँच के लिए भी मरीज जाते है बाहर
•भारतीय जन औषधि केन्द्र में भी नही उपलब्ध है दवाई

वाराणसी/रामनगर-एक तरफ देश के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा सहित सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दावा है कि स्वास्थ्य सुविधाओं की दिशा में पिछली सरकारों की अपेक्षा सकारात्मक रूप से स्थितियां बहुत बदली हैं। कभी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा तो कभी सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दावा करते हैं कि अस्पतालों में दवाइयों के साथ साथ डॉक्टरों सहित कर्मचारियों की कोई कमी नहीं है और स्वास्थ्य सुविधाओं की सभी प्रकार की मशीनरियों की कमी को लगभग दूर करने का प्रयास भी किया गया है। लेकिन किसी आम शहर नही बल्कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के रामनगर में लाल बहादुर शास्त्री चिकित्सालय की दयनीय स्थिति केंद्र और राज्य सरकार के सभी प्रकार के दावों की पोल खोल रहा है। लगभग सभी दवाइयां और सभी प्रकार के जांच के लिए मरीजों और उनके तीमारदारों को अस्पताल से बाहर का मुंह देखना पड़ता है। कुछ महीनों पूर्व ही पार्टी के एमएलसी लक्ष्मण आचार्य ने जिस भारतीय जन औषधि केंद्र का उद्घाटन मरीजों और उनके तीमारदारों की सुविधा के लिए किया था अब वह भी मरीजों और उनके तीमारदारों के लिए सुविधाजनक साबित नहीं हुआ क्योंकि वहां पर केवल बीपी और शुगर की ही दवाइयां उपलब्ध हैं।अस्पताल कि सभी जांच संबंधित मशीनें या तो खराब पड़ी हुई है या फिर संबंधित डॉक्टर की कमी का दंश झेल रही है। सभी प्रकार की दवाइयों के लिए क्षेत्रीय मरीजों और उनके तीमारदारों को भी बाहर का ही मुंह देखना पड़ता है। क्योंकि डॉक्टरों और मेडिकल स्टोरों की मिलीभगत से ही दवा बिक्री के संबंध में बड़े स्तर पर कमीशनबाजी का खेल चल रहा है। अस्पताल प्रशासन भी नहीं चाहता कि इस समस्या से निजात मिले क्योंकि यह एक फलदायक नुकसान है। नाम का खुलासा न किए जाने की शर्त पर एक फार्मासिस्ट ने बताया कि डॉक्टर और नर्सों की कमी के साथ-साथ दवाइयों का उपलब्ध न होना जिला प्रशासन सहित शासन के उदासीन मंशा का प्रमुख उदाहरण है। नगर के प्रमुख समाजसेवी कृपा शंकर यादव ने बताया कि भारतीय जन औषधि केंद्र में दवाइयों का उपलब्ध न होना और डॉक्टरों द्वारा सभी प्रकार की जांच बाहर से कराए जाने से क्षेत्रीय मरीजों और उनके तीमारदारों को भारी असुविधाओं के साथ-साथ आर्थिक परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। कृपाशंकर ने यह भी बताया कि पिछले 4 महीने से इस अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन का प्रयोग न होना ही अपने आप में एक बहुत बड़ा असुविधाजनक विषय है। बताते चलें कि कृपा शंकर यादव पूर्व समय में भी कई बार लाल बहादुर शास्त्री चिकित्सालय के डॉक्टरों सहित वहां की व्यवस्था पर उंगली भी उठा चुके हैं। जिसकी जांच तत्कालीन संयुक्त निदेशक मनीषा सिंह सेंगर कर चुकी हैं।

रिपोर्टर-:महेश पाण्डेय मण्डल कॉर्डिनेटर वाराणसी

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