बरेली। मुसलमानों का 13 या 14 अप्रैल से पवित्र माह रमजान का माह शुरू हो रहा है। इसको लेकर मस्जिदों और घरों में तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं। रमजान में पढ़ाई जाने वाली विशेष नमाज (तरावीह) के लिए शहर के हाफिज दूसरे शहरों में जाने से बच रहे हैं। वह जिले के आसपास के ही शहरों में नमाज पढ़ाने के लिए जगह तलाशने मे लगे हैं। हाफिजों को डर है कि अगर लॉकडाउन लग गया तो वह दूसरे शहरों में फंस जाएंगे। कोरोना संक्रमण के बढ़ते कहर के बीच रमजान में तरावीह पढ़ाने के लिए शहर के हाफिज गुजरात, महाराष्ट्र आदि प्रदेशों में नहीं जाएंगे। वह आसपास के शहरों में ही तरावीह पढ़ाएंगे। रमजान का चांद निकलते ही उसी रात से तरावीह (विशेष नमाज) शुरू हो जाती हैं। तरावीह की नमाज के लिए शहर से बड़ी संख्या में हाफिज गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक, सहित अन्य प्रदेशों में जाते है। शहर के हाफिजों की किरअत (सस्वर कुरआन शरीफ का पाठ) अच्छी होने की वजह से दूसरे प्रदेशों में काफी मांग रहती है। उनको रमजान से पहले ही तरावीह पढ़ाने का निमंत्रण दिया जाता है। तरावीह पूरी होने पर हाफिजों को नजराने (उपहार) भी दिए जाते हैं। इस साल अधिकतर हाफिजों ने दूसरे प्रदेश में न जाने का फैसला किया है। पिछले वर्ष रमजान में लॉकडाउन के चलते मस्जिदों में ताले लग गए थे। सामूहिक रूप से तरावीह की नमाज अदा नहीं हो पाई थी। हाफिजों ने अपने घरों में ही स्वजन संग तरावीह पढ़ी थी। सहरी व इफ्तार भी घरों में ही हुई थी।।
बरेली से कपिल यादव