मोदी सरकार का सपना हुआ चकनाचूर: ओडीएफ में नंबर वन फिर भी जा रहे खुले में शौच

*औपचारिक बनकर रह गया स्वच्छता अभियान पंचायतों के ग्रामों में बने शौचालय नहीं है इस्तेमाल के लायक ओडीएफ की हकीकत आ रही सामने

मध्यप्रदेश/तेन्दूखेड़ा/दमोह- स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत जहां पूरे देश में शौचालय निर्माण कराये गये थे वहीं प्रदेश में दमोह जिले को ओडीएफ का दर्जा भी मिला था जिसके अंतर्गत जनपद पंचायत तेन्दूखेड़ा ने भी ओडीएफ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी जिसके लिए उच्चाधिकारियों ने काफी वाहवाही भी बटोरी थी लेकिन इस ओडीएफ मिशन के तीन साल बाद इसकी हकीकत आज सामने आ रही है अनेक ग्रामों में लोग अपनी खुले में शौच जाने लगे हैं क्योंकि विभिन्न जनपद पंचायतों के ग्राम के हितग्राहियों के शौचालय अपूर्ण और पंचायत के सौतेलेपन की मार झेल रहे हैं जिससे यहां के रहवासियों को मजबूर होकर बाहर ही शौच के लिए जाना पड़ रहा है पंचायत में बने शौचालय निर्माण के कार्य में हुई अनियमितताएं अब धीरे धीरे उजागर होने लगी है मामला यह है कि दमोह जिले की तेन्दूखेड़ा जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत चंदना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वच्छता मिशन योजना सिर्फ एक दिखावा बनकर रह गई है यहां के सरपंच सचिव और रोजगार सहायक सचिव की मिलीभगत से से पूरी योजना में जमकर भ्रष्टाचार किया गया है पंचायत के लोगों को शासन की योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है इस ग्राम पंचायत के गांव हर्रई में ना ही सीसी सड़कें बनी हुई है ना ही कोई विकास कार्य के दरवाजे खुले है सिर्फ कागजों में इस गांव का विकास हुआ है इस पंचायत में आने वाले गांव हर्रई में गिने चुने शौचालय का निर्माण किया गया है लेकिन बनाए गए शौचालय गुणवत्ताहीन होने के कारण जर्जर होकर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं सभी शौचालय पंचायत के रोजगार सचिव सरपंच द्वारा गुणवत्ताहीन बनाए गए हैं शासन की योजना को सरपंच सचिव और रोजगार सहायक सचिव द्वारा चूना लगाया जा रहा है
*किसी के यहां रख है लकड़ी तो कोई कबाड़*
इस गांव में जिन हितग्राहियों ने स्वयं से शौचालय निर्माण कराया उनके निर्माण की गुणवत्ता ठीक है लेकिन जिनके शौचालय ग्राम पंचायत चंदना की एजेंसियों के माध्यम से बनवाएं है उनमें भारी अनियमितता बरती दिख रही है इसमें कहीं टंकी व पाइप टूटी हुई है तो कहीं सेप्टिक टैंक में ढक्कन ही नहीं लगा है कहीं नल नहीं है तो कहीं दरवाजा गायब हैं कई के घरों में शौचालय का उपयोग कबाड़ा जलाऊं लकड़ी व गोबर कडे रखने के लिए उपयोग होते हैं
*उपयोग से पहले ही टूट गए शौचालय*
मामले में हितग्राहियों का कहना है कि संबंधित ठेकेदारों और सरपंच सचिव और रोजगार सचिव की कमीशन खोरी के चलते घटिया तथा गुणवत्ताहीन कार्य कर आधा अधूरा काम किया गया है कई बार बोलने पर भी कार्य में सुधार नहीं किए उल्टे ग्राम पंचायत अधिकारियों के साथ मिलकर हमारी राशि भी निकाल ली गई अब स्थिति ऐसी है कि इतनी बड़ी राशि आवंटित होने के बावजूद वे खुले में जाने के लिए मजबूर हैं कई लोगों ने बताया उपयोग से पहले ही हमारे शौचालय टूट गए और कई जगह से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं
*शौचालय का निर्माण घटिया*
जनपद पंचायत तेन्दूखेड़ा की ग्राम पंचायत चंदना में आने वाले सभी गांव में जमकर भ्रष्टाचार की इबारत लिखी गई है जहां शौचालय बनाने में हुए भ्रष्टाचार ने इस अच्छे खासे मोदी सरकार के स्वच्छता मिशन पर धब्बे जरुर लगा दिए हैं एक और मिशन को पूरा करने की हड़बड़ी में शौचालयों का निर्माण घटिया हुआ है वहीं ग्राम के लोगों के शौचालय में गुणवत्ताहीन सामग्री के कारण सालभर में ही ज्यादातर शौचालय छतिग्रस्त होकर गिर चुके हैं कई शौचालयों में तो निर्माण से अब तक दरवाजे वॉसवेसन और सीट तक नहीं लगी है वही कुछ शौचालयों की दीवारें अधूरी पड़ी है तो कहीं छप्पर ही नहीं डाला गया और शौचालय का निर्माण पूरा हो गया और कागजों में ओडीएफ घोषित कर दिया है
*इस तरह बढ़ती गई राशि*
केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत मिशन को सरकारी अमला ही कमजोर करने में तुला हुआ है इसका उदाहरण ग्राम पंचायत चंदना में दिखने को मिला है और जहां शौचालय निर्माण के नाम पर इस तरह से राशि भी बढ़ती गई है
जिला पंचायत के माध्यम से 1999 में समग्र स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है इसके तहत गांव में शौचालय बनाए जाने के लिए पात्र हितग्राही को 5सौ रुपए दिए जाते थे लेकिन 2007 में राशि बढ़कर 12सौ रुपए हो गई इसके बाद 2009 में राशि 22 सौ रुपए कर दी गई इस बीच 1अप्रैल 2012को केंद्र की कांग्रेस सरकार ने समग्र स्वच्छता अभियान को निर्मल भारत अभियान का नाम दे दिया जिसके बाद शौचालय के लिए 46सौ रुपए निर्मल भारत अभियान और 44सौ रुपए रोजगार गारंटी योजना के तहत मिलने लगा लेकिन जब केंद्र में भाजपा की मोदी सरकार बनने के बाद 2अक्टूबर 2014 को निर्मल भारत अभियान का नाम बदलकर स्वच्छ भारत मिशन कर दिया गया और राशि बढ़कर 12हजार रुपए कर दी गई
*लाखों का किया गया घोटाला*
स्वच्छ भारत अभियान के तहत जनपद पंचायत तेन्दूखेड़ा की ग्राम पंचायत चंदना के अंतर्गत आने वाले सभी गांव के लोगों ने शौचालय निर्माण के नाम पर लाखों रुपये के घोटाले का आरोप लगाया स्थानीय लाभार्थियों की माने तो यह घोटाला पंचायत के सरपंच सचिव और रोजगार सहायक सचिव और इस विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से किया गया है ग्रामीण यह भी बताते हैं कि इस सभी विकास कार्यों के नाम पर हुए भ्रष्टाचार का पूरा काम रोजगार सचिव और सरपंच द्वारा किया गया है
*मनरेगा योजना में सिर्फ कमीशनखोरी*
इस ग्राम पंचायत में विकास कार्यों में तो भ्रष्टाचार किया ही है लेकिन कुछ काम ऐसे भी है कि सिर्फ कागजों में नजर आ रहे हैं जिसका भी मंगलवार को खुलासा किया जाएगा जिसमें मनरेगा योजना में भी गरीब परिवार के लोगों को काम नहीं दिया गया है जिसका जिक्र जल्द ही किया जाएगा जिसके कुछ दस्तावेज और फोटोग्राफी और वीडियो भी हमारी टीम को प्राप्त हुए हैं वहीं दूसरी ओर इस सारे भ्रष्टाचार के संबंध में अधिकारियों से बात करना जरुरी नहीं समझा गया क्योंकि इनके द्वारा सिर्फ खानापूर्ति के लिए कार्रवाई या फिर देखवा लेते हैं या फिर जांच करवाते हैं यह बोल दिया जाता है*केंद्र की मोदी सरकार का सपना हुआ चकनाचूर स्वच्छता अभियान बना मजाक ओडीएफ में नंबर वन फिर भी जा रहे खुले में शौच*
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*औपचारिक बनकर रह गया स्वच्छता अभियान पंचायतों के ग्रामों में बने शौचालय नहीं है इस्तेमाल के लायक ओडीएफ की हकीकत आ रही सामने*
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*विशाल रजक तेन्दूखेड़ा/दमोह!* स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत जहां पूरे देश में शौचालय निर्माण कराये गये थे वहीं प्रदेश में दमोह जिले को ओडीएफ का दर्जा भी मिला था जिसके अंतर्गत जनपद पंचायत तेन्दूखेड़ा ने भी ओडीएफ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी जिसके लिए उच्चाधिकारियों ने काफी वाहवाही भी बटोरी थी लेकिन इस ओडीएफ मिशन के तीन साल बाद इसकी हकीकत आज सामने आ रही है अनेक ग्रामों में लोग अपनी खुले में शौच जाने लगे हैं क्योंकि विभिन्न जनपद पंचायतों के ग्राम के हितग्राहियों के शौचालय अपूर्ण और पंचायत के सौतेलेपन की मार झेल रहे हैं जिससे यहां के रहवासियों को मजबूर होकर बाहर ही शौच के लिए जाना पड़ रहा है पंचायत में बने शौचालय निर्माण के कार्य में हुई अनियमितताएं अब धीरे धीरे उजागर होने लगी है मामला यह है कि दमोह जिले की तेन्दूखेड़ा जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत चंदना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वच्छता मिशन योजना सिर्फ एक दिखावा बनकर रह गई है यहां के सरपंच सचिव और रोजगार सहायक सचिव की मिलीभगत से से पूरी योजना में जमकर भ्रष्टाचार किया गया है पंचायत के लोगों को शासन की योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है इस ग्राम पंचायत के गांव हर्रई में ना ही सीसी सड़कें बनी हुई है ना ही कोई विकास कार्य के दरवाजे खुले है सिर्फ कागजों में इस गांव का विकास हुआ है इस पंचायत में आने वाले गांव हर्रई में गिने चुने शौचालय का निर्माण किया गया है लेकिन बनाए गए शौचालय गुणवत्ताहीन होने के कारण जर्जर होकर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं सभी शौचालय पंचायत के रोजगार सचिव सरपंच द्वारा गुणवत्ताहीन बनाए गए हैं शासन की योजना को सरपंच सचिव और रोजगार सहायक सचिव द्वारा चूना लगाया जा रहा है
*किसी के यहां रख है लकड़ी तो कोई कबाड़*
इस गांव में जिन हितग्राहियों ने स्वयं से शौचालय निर्माण कराया उनके निर्माण की गुणवत्ता ठीक है लेकिन जिनके शौचालय ग्राम पंचायत चंदना की एजेंसियों के माध्यम से बनवाएं है उनमें भारी अनियमितता बरती दिख रही है इसमें कहीं टंकी व पाइप टूटी हुई है तो कहीं सेप्टिक टैंक में ढक्कन ही नहीं लगा है कहीं नल नहीं है तो कहीं दरवाजा गायब हैं कई के घरों में शौचालय का उपयोग कबाड़ा जलाऊं लकड़ी व गोबर कडे रखने के लिए उपयोग होते हैं
*उपयोग से पहले ही टूट गए शौचालय*
मामले में हितग्राहियों का कहना है कि संबंधित ठेकेदारों और सरपंच सचिव और रोजगार सचिव की कमीशन खोरी के चलते घटिया तथा गुणवत्ताहीन कार्य कर आधा अधूरा काम किया गया है कई बार बोलने पर भी कार्य में सुधार नहीं किए उल्टे ग्राम पंचायत अधिकारियों के साथ मिलकर हमारी राशि भी निकाल ली गई अब स्थिति ऐसी है कि इतनी बड़ी राशि आवंटित होने के बावजूद वे खुले में जाने के लिए मजबूर हैं कई लोगों ने बताया उपयोग से पहले ही हमारे शौचालय टूट गए और कई जगह से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं
*शौचालय का निर्माण घटिया*
जनपद पंचायत तेन्दूखेड़ा की ग्राम पंचायत चंदना में आने वाले सभी गांव में जमकर भ्रष्टाचार की इबारत लिखी गई है जहां शौचालय बनाने में हुए भ्रष्टाचार ने इस अच्छे खासे मोदी सरकार के स्वच्छता मिशन पर धब्बे जरुर लगा दिए हैं एक और मिशन को पूरा करने की हड़बड़ी में शौचालयों का निर्माण घटिया हुआ है वहीं ग्राम के लोगों के शौचालय में गुणवत्ताहीन सामग्री के कारण सालभर में ही ज्यादातर शौचालय छतिग्रस्त होकर गिर चुके हैं कई शौचालयों में तो निर्माण से अब तक दरवाजे वॉसवेसन और सीट तक नहीं लगी है वही कुछ शौचालयों की दीवारें अधूरी पड़ी है तो कहीं छप्पर ही नहीं डाला गया और शौचालय का निर्माण पूरा हो गया और कागजों में ओडीएफ घोषित कर दिया है
*इस तरह बढ़ती गई राशि*
केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत मिशन को सरकारी अमला ही कमजोर करने में तुला हुआ है इसका उदाहरण ग्राम पंचायत चंदना में दिखने को मिला है और जहां शौचालय निर्माण के नाम पर इस तरह से राशि भी बढ़ती गई है
जिला पंचायत के माध्यम से 1999 में समग्र स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है इसके तहत गांव में शौचालय बनाए जाने के लिए पात्र हितग्राही को 5सौ रुपए दिए जाते थे लेकिन 2007 में राशि बढ़कर 12सौ रुपए हो गई इसके बाद 2009 में राशि 22 सौ रुपए कर दी गई इस बीच 1अप्रैल 2012को केंद्र की कांग्रेस सरकार ने समग्र स्वच्छता अभियान को निर्मल भारत अभियान का नाम दे दिया जिसके बाद शौचालय के लिए 46सौ रुपए निर्मल भारत अभियान और 44सौ रुपए रोजगार गारंटी योजना के तहत मिलने लगा लेकिन जब केंद्र में भाजपा की मोदी सरकार बनने के बाद 2अक्टूबर 2014 को निर्मल भारत अभियान का नाम बदलकर स्वच्छ भारत मिशन कर दिया गया और राशि बढ़कर 12हजार रुपए कर दी गई
*लाखों का किया गया घोटाला*
स्वच्छ भारत अभियान के तहत जनपद पंचायत तेन्दूखेड़ा की ग्राम पंचायत चंदना के अंतर्गत आने वाले सभी गांव के लोगों ने शौचालय निर्माण के नाम पर लाखों रुपये के घोटाले का आरोप लगाया स्थानीय लाभार्थियों की माने तो यह घोटाला पंचायत के सरपंच सचिव और रोजगार सहायक सचिव और इस विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से किया गया है ग्रामीण यह भी बताते हैं कि इस सभी विकास कार्यों के नाम पर हुए भ्रष्टाचार का पूरा काम रोजगार सचिव और सरपंच द्वारा किया गया है
*मनरेगा योजना में सिर्फ कमीशनखोरी*
इस ग्राम पंचायत में विकास कार्यों में तो भ्रष्टाचार किया ही है लेकिन कुछ काम ऐसे भी है कि सिर्फ कागजों में नजर आ रहे हैं जिसका भी मंगलवार को खुलासा किया जाएगा जिसमें मनरेगा योजना में भी गरीब परिवार के लोगों को काम नहीं दिया गया है जिसका जिक्र जल्द ही किया जाएगा जिसके कुछ दस्तावेज और फोटोग्राफी और वीडियो भी हमारी टीम को प्राप्त हुए हैं वहीं दूसरी ओर इस सारे भ्रष्टाचार के संबंध में अधिकारियों से बात करना जरुरी नहीं समझा गया क्योंकि इनके द्वारा सिर्फ खानापूर्ति के लिए कार्रवाई या फिर देखवा लेते हैं या फिर जांच करवाते हैं यह बोल दिया जाता है।

– विशाल रजक मध्यप्रदेश

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