माता-पिता, अतिथियों की सेवा से बरसती है देवकृपा

फतेहगंज पश्चिमी, बरेली। गांव खिरका में चल रहे नौ दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा के सातवें दिन बुधवार सायं नैमिष धाम से आए कथाव्यास आचार्य अवध किशोर जी महाराज ने श्रीगणेश के प्रथम पूज्य देवता बनने की प्रेरणादायी कथा का संगीतमय बखान किया। बताया-माता-पिता से श्रेष्ठ इस ब्रह्मांड में कोई नहीं है। माता-पिता की सच्चे मन से नियमित सेवा-सुश्रूषा करके उनका आशीर्वाद लेने वाले के लिए सृष्टि में पाने को कुछ भी शेष नहीं रह जाता है। कहा- पूजा करो पांच देवों की घर में जो चाहो कल्याण। प्रथम सजीव देवता है माँ। वाणी, कर्म या भाव से मां को सदैव प्रसन्न रखने और कभी भी दिल न दुखाने वाले पर देव कृपा स्वाभाविक ही बरसती है। दूसरा सजीव देव पिता है जो खुद कष्ट सहकर, भूखे पेट रहकर भी अपने बच्चों को कभी कोई कष्ट नहीं होने देता। ऐसे दूसरे सजीव देव को भी कभी कोई दुख नहीं देना चाहिए। अतिथिगण तीसरे सजीव देव हैं। घर पर आए अतिथियों की सेवा करने वालों पर भी प्रभु की कृपा सदैव बरसती है। कथा में मुख्य यजमान पूर्व प्रधान कृष्ण पाल गंगवार, उनकी धर्मपत्नी, परीक्षित दीपचंद, दीनानाथ, सर्वेश गंगवार कोटेदार, नत्थू लाल समेत बहुत से विवेकशील, श्रद्धालु महिला-पुरुषों की सक्रिय सहभागिता रही।।

– बरेली से कपिल यादव

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