भूपेन्द्र नारयण मंडल विश्वविद्यालय: मधेपुरा क्या है इसके अनोखे राज

बिहार/ मधेपुरा – बिहार का एक ऐसा विश्वविद्यालय जो बिहार क्या पूरे देश में अपने कारनामे के लिए प्रसिद्ध है । इस विश्वविद्यालय से शायद ही कोई छात्रा और छात्र फेल होते है । क्योंकि की यहाँ की शिक्षा व्यवस्था ही कुछ अलग ढंग से डिजाइन की हुई है । आप पढ़े या ना पढे कॉलेज में हाजरी दे या फिर पूरी सेमस्टर गायब हो जाय । आपका दाखिला समय से हो या फिर कभी भी पास होने की 100 प्रतिशत गारंटी है । यहाँ से हर साल हजारो छात्र प्रमाण पत्र लेकर बेरोजगारों की लाइन में खड़े हो जाते । बेरोजगारों की लाइन में खड़े होने के बाद इन छात्रों को समझ मे आता है कि उनकी फर्स्ट क्लास की प्रमाण पत्र की ताकत कितनी है ।
6 साल के बाद मिला फर्स्ट क्लास का प्रमाण पत्र , जिससे उस छात्र के वर्तमान जीवन मे कोई मायने नही रखता क्योंकि उससे उसके जीवन में कोई बदलाव नही आने वाला है फिर भी वो तत्काल तो झूटी खुसी में सुमार हो जाते है और उनके अभिभावक भी छाती चौरी कर परोसी को बड़े गर्व से कहते है कि मेरी बेटी मेरा बेटा स्नातक में फर्स्ट क्लास नंबर से पास हुआ है । पर शायद वो भूल जाते है कि इस फर्स्ट क्लास के प्रमाण पत्र से उन्हें कुछ हासिल नही हो सकता ना तो उसे अच्छी नौकरी मिलने वाली हैं और ना ही वो एक अच्छा व्वसाय ही कर सकता है। और छात्र भी इस हकीकत से अनजान नही है वो भी अपनी शैक्षणिक ताकत को भली भांति जानते है । जरा सोचिए जिस विश्वविद्यालय में छात्र सिर्फ परीक्षा में शामिल होते हैं । जो कभी अपना कॉलेज जहाँ उस छात्र का दाखिला हुआ है उसका मुँह तक नही देखा जो छात्र कभी अपनी रेजिस्ट्रेशन से लेकर फॉर्म भरने तक , यहाँ तक कि एडमिट कार्ड भी लेने कॉलेज नही गया हो और
सीधा परीक्षा में शामिल होकर परीक्षा पास हो जाते है । आखिर ये सब गोरखधंदा चलता कैसे है । कौन इसका जिम्मेदार है किसके निशान देहि पर ये सब किया जाता है । क्या इन सब चीजों की जानकारी विश्वविद्यालय प्रमुख को पता नही है , या फिर सबकी मिलीभगत है । आखिर इससे किसको फायदा होता हैं। क्या आप अच्छे छात्र को पास करवा रहे हैं या फिर गधों की फौज तैयार करवा रहे हैं। क्या यही छात्र विश्वविद्यालय और अपने जिला से लेकर देश का नाम रोशन करेंगे ? क्या इस तरह की शिक्षा व्यवस्था पे राज्य के शिक्षा मंत्री की नजर नही पड़ती । क्यू छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जाता है । अभी एक दिन पहले ही स्नातक पार्ट वन की प्रायोगिक परीक्षा खत्म हुई है
पूरे विश्वविद्यालय में हजारों छात्र परीक्षा में शामिल हुए । पर 90 प्रतिशस छात्र को पता ही नही था कि परीक्षा कब और कहाँ देनी है । ये तो छोड़िए मधेपुरा विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले कॉलेज जहाँ छात्रों का सेंटर पड़ा है उनको खुद पता नहीं है हमारे कॉलेज में किन किन कॉलेज के छात्र का सेंटर पड़ा है। छात्र सुबह 9 बजे से परेशान है 11 बजे से परीक्षा शुरू होनी है पर वो 2 बजे तक पता ही करता रह जाता है कि परीक्षा कहाँ देना है । कितने समय से देना है।इस चक्कर मे कितने ही छात्र हो रही परीक्षा में शामिल भी नही हो पाया। पर इसकी चिंता ना तो छात्र को है और ना ही कॉलेज प्रशासन को दोनों एक दूसरे को अच्छी तरह से जानते हैं। छात्र से पूछने पर पता चला कि 2000 हजार जमा कीजिये हाजरी बनाइए और मस्त रहिये और काम हो जाएगा। धन्य हो ऐसे विश्वविद्यालय का।

-शिव शंकर सिंह, पूर्णिया ,बिहार

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