बीमार और लाचार सेवा बनकर रह गयी 108 सेवा

पौड़ी गढ़वाल- 13 वर्ष का हर्षमय सफ़र करने के वाद आज उत्तराखंड की 108 ग्रामीण एम्बुलेंस सेवा जहां तहां जंक खा रही है। वर्ष 2005 में शुरु हुई यह सेवा आज पूर्णरूप से ठप्प है। वज़ह है कि स्वास्थ्य विभाग के पास एम्बुलेंस में डालने के लिए तेल नही है अनेकों पेट्रोल पम्प का सरकार पर लाखों का बकाया है जिस वजह से आगे का तेल देने से पेट्रोल पम्प मालिकों से मनाही कर दिया है।

जीवीके ईएमआरआई 108 सेवा प्रथम चरण में आँध्र प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड, राजस्थान, गोवा, तामिलनाडु, कर्नाटक, असम, मेघालय और मध्य प्रदेश मे कार्यरत हुई थी जिस का धीरे धीरे बिस्तार हुआ और आज यह ग्रामीण भारत की रीढ़ बन चुकी है। बिभिन्न राज्यों में इस सेवा के लिए प्रथम चरण में एम्बुलेंस की जो ब्यवस्था थी।
आँध्र प्रदेश- 752
गुजरात- 403
उत्तराखंड- 108
राजस्थान-164
तामिलनाडू- 375
गोवा- 18
कर्नाटक- 408
असम- 280
मेघालय- 28
मध्य प्रदेश- 55

गौरतलब है कि उत्तराखंड में 108 में सेवारत कर्मचारियों को बिगत 4 महीने से मेहनताना भी नही मिला है। 90% एम्बुलेंस ट्रैफिक नियमों के मानक में बिफल हो चुके है। अब बिकट समस्या ग्रामीणों की यह है कि जहां पहले ही हॉस्पिटल की किल्लत थी वहां अब 108 सेवा भी बंद हो चुकी है। अकेले रिखणीखाल क्षेत्र में 3 108 एम्बुलेंस थी जिस में से 1 पर टायर नही 2 में तेल नही है। यही एम्बुलेंस थी जो मरीजों को कोटद्वार व अन्य हॉस्पिटल लेकर जाते थे।

108 एम्बुलेंस का कर्मचारी हड़ताल पर है और प्रधानमंत्री के देहरादून दौरे पर नरेंद्र मोदी जी देहरादून में बिना प्रोटोकॉल का मिलने की योजना बना रहे है। 108 सेवा समिति का कहना है कि अगर प्रधानमंत्री जी हमें न मिले तो प्रदेश का चक्काजाम किया जाएगा। समिति 12 सूत्रीय मांग के साथ सरकार से भी मिल चुकी है मगर हालत जस का तस है। बिगत 1 हफ्ते से उत्तराखंड की टैक्सी यूनियन की भी हड़ताल चल रही है उत्तराखण्ड मार्ग का चक्का बुरी तरह जाम है आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है। जिस कारण पहाड़ी क्षेत्र के मरीजों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। अधिकारी सुस्त है सरकार सोई है और बेचारी जनता चारो तरफ से परेशान है। सरकार जल्दी से जल्दी दोनों मुद्दों का समाधान निकाले अन्यथा पहाड़ी क्षेत्र की स्थिति भयानक होने वाली है।

– पौड़ी गढ़वाल से इन्द्रजीत सिंह असवाल

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