बलिया की पीड़ित दलित महिला से मिलने पहुंची महिला जागृति समिति

• टीम ने जाना पीड़ित महिला का हाल
• हमले में 80 फीसदी जली दलित महिला की मौत
• योगी राज में सवर्ण-सामंती ताकतों का मनोबल सातवें आसमान पर
वाराणसी- भाकपा माले, राष्ट्रीय इंकलाबी दलित- आदिवासी अधिकार मंच, जन अधिकार मंच, महिला जागृति समिति की सात सदस्यीय संयुक्त टीम बलिया की पीड़ित दलित महिला से मिलने वाराणसी में कबीर चौरा स्थित महिला जिला अस्पताल दिनांक 10/3/18 दिन शनिवार को पहुँची। टीम ने पाया कि महिला को लगभग अस्सी फीसदी जला दिया गया है।
• टीम ने अपनी जाँच में पायाः-

पीड़ित परिवार का कहना है कि अभियुक्त गुड्डू सिंह से सूद पर जो पैसा लिया गया था उसका कई गुना बहुत पहले ब्याज सहित चुकाया जा चुका है। इसके बावजूद और पैसे की मांग लगातार पिछले साल भर से अभियुक्त की ओर से की जा रही थी और इसी के चलते पिछली बार भी खेत में जलाकर उन्हें मारने का प्रयास किया गया और अभियुक्तों पर उस मामले में भी मुकदमा दर्ज हुआ।

दो-तीन पहले उसी मामले में जब गिरफ्तारी का वारंट आया तो ठीक अगले दिन दोबारा रेशमी देवी को पुनः रात में सोते समय मिट्टी का तेल छिड़ककर जलाकर मार डालने की कोशिश की गई।

जाँच टीम को साफ-साफ दिख रहा है कि इस जघन्य अपराध के पीछ मुख्य रूप से घनघोर पूँजीवादी लालच और ब्राह्मणवादी, सवर्ण-सामंती घृणा काम कर रही है, जो योगी-मोदी सरकार के संरक्षण फल-फूल रही है।

साल भर के अंदर दूसरी बार उनके ऊपर हमला किया गया है। यह हमला पहली घटना को लेकर किया गया है। हमलावर ठाकुर जाति के हैं और पीड़िता दलित समुदाय से संबद्ध है।

अभी तक मुख्य अभियुक्त गुड्डू सिंह की गिरफ्तारी नहीं हुई है।

पीड़िता रेशमी राम गाँव जजौली, थाना भीमपुरा, ब्लॉक बेलथरा, जिला बलिया की रहने वाली हैं।

पीड़ित परिवार का कहना है कि भाजपा सरकार में मंत्री उपेंद्र तिवारी और स्थानीय भाजपा विधायक द्वारा लगातार दबाव बनाकर अपराधियों को बचाने की कोशिश की जा रही है।

पीड़ित परिवार को पुलिस प्रशासन द्वारा आश्वासन दिया गया था कि 24 घंटे के अंदर अपराधियों को गिरफ्तार करेंगे पर अभी तक केवल दो अभियुक्तों की गिरफ्तारी हुई है और मुख्य अभियुक्त को सरकारी दबाव के चलते जानबूझकर गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है।

पीड़ित परिवार पर मुकदमा वापस लेने का भी लगातार दबाव बनाया जा रहा है। इसके पहले वाले हमले के दौरान ही अगर पुलिस प्रशासन ने उचित कार्रवाई की होती तो अपराधियों ने इस तरह का दुस्साहस नहीं किया होता।

जाँच टीम ने यह भी पाया कि पीड़िता के साथ अस्पताल में कोई भी महिला पुलिसकर्मी मौके पर नहीं थी।

जाँच टीम में मुख्य रूप से अनूप श्रमिक, मनीष शर्मा, अनिल कुमार मौर्या, विनोद कुमार, फजर्लुरहमान अंसारी, सरताज अहमद, चंद्रिका मौर्या शामिल थे।

जाँच टीम ने माँग की है कि मुख्य अभियुक्त को तत्काल गिरफ्तार किया जाए और पीड़िता और उसके पूरे परिवार की सुरक्षा प्रशासन द्वारा सुनिश्चित की जाए।

अभियुक्तों को संरक्षण दे रहे संबंधित पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई हो और योगी सरकार यह सुनिश्चित करे कि सत्तारूढ़ पार्टी का विधायक और मंत्री पीड़ित परिवार पर समझौते का दबाव बनाना बंद करे।

डॉक्टरों का कहना है कि पीड़िता की जो हालत है उसका इलाज इस अस्पताल में बेहतर ढंग से संभव नहीं है, अतः उनकी सर्वोत्तम अस्पताल में उपचार की तत्काल व्यवस्था करवाई की मांग भी किया था अंततः पीङिता की मौत आज रविवार सुबह छ: बजे हो गयी शव बीएचयू पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। पीड़ित परिवार को कम से कम 25 लाख का मुआवजा दिये जाने की मांग रखी गई है।

रिपोर्ट-:अनिल गुप्ता वाराणसी

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